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न्यूज क्लिपिंग्स् | अरावली पहाड़ी के वन्य जीवों पर होगी विशेष नजर

अरावली पहाड़ी के वन्य जीवों पर होगी विशेष नजर

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published Published on Nov 5, 2009   modified Modified on Nov 5, 2009

गुड़गांव,जागरण संवाददाता : अरावली पहाड़ी क्षेत्र के वन्य जीवों की सुरक्षा पर सरकार ने विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसी निमित्त गुड़गांव में अलग से डीएफओ पद का सृजन किया गया है। इस पद के दायरे में गुड़गांव के अलावा मेवात, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी एवं महेंद्रगढ़ जिले को शामिल किया गया है। अलग शाखा के सृजन से वन्य जीवों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा।

ज्ञात हो कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र में कई प्रकार के जंगली जानवर रह रहे हैं। यह बात कई बार प्रमाणित हो चुका है। जानवरों में तेंदुआ व लकड़बग्गा काफी संख्या में हैं। तेंदुए की संख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये दो बार सड़क पार करते दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। अरावली पहाड़ी क्षेत्र में काफी संख्या में अवैध निर्माण की वजह से इन जानवरों को खतरा रहता है। बताया जाता है कि कभी-कभी लोगों के भय से जानवर इधर उधर भागने लगते हैं। इसी दौरान वे सड़क पर आकर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

वन्य जीवों पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने के लिए लंबे समय से गुड़गांव में अलग से डीएफओ (वाइल्ड लाइफ) का पद सृजित करने की बात चल रही थी। संभवत: इसी मांग के तहत प्रदेश सरकार ने एक अतिरिक्त डीएफओ के पद को मंजूरी दे दी। हालांकि यह पद तकनीकी दृष्टिकोण से डिवीजनल वाइल्ड लाइफ आफिसर कहलाता है। डीएफओ (वाइल्ड लाइफ) के पद पर कुलविंदर सिंह की नियुक्ति कर दी गई है। इस नियुक्ति के बाद उम्मीद की जा रही है कि वन्य जीवों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही सुल्तानपुर नेशनल पार्क एवं वाइल्ड लाइफ सेंचुरी रेवाड़ी आदि पर भी विशेष ध्यान दिया जा सकेगा। पहले प्रदेश में पंचकुला एवं रोहतक में ही यह पद थे। जानकारों का कहना है कि अलग से डीएफओ का पद सृजित कर प्रदेश सरकार ने एक सही कदम उठाया है। अरावली पहाड़ी का इतना बड़ा क्षेत्र होने के बाद भी गुड़गांव या संबंधित जिलों में कहीं भी डीएफओ का पद न होना हास्यास्पद था। अब अधिकारी व कर्मचारी क्षेत्र का समय-समय पर दौरा करते रहेंगे इससे वन्य जीवों पर गलत नजर रखने वाले लोग सतर्क रहेंगे। मालूम हो कि देहरादून में गत दिनों आयोजित एक सेमिनार के दौरान चिंता व्यक्त की गई थी कि मेवात इलाके में कहीं जंगली जानवरों की तस्करी का केंद्र है। हालांकि इसका खुलासा नहीं हो पाया लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर है।

वन्य जीवों की सुरक्षा प्राथमिकता

डीएफओ (वाइल्ड लाइफ) कुलविंदर सिंह कहते हैं कि वन्य जीवों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। फिलहाल सुल्तानपुर नेशनल पार्क में बाहर से पक्षी आ रहे हैं। इस पर अगले 15 दिनों तक विशेष ध्यान रहेगा। उनका कहना है कि उनके दायरे में आने वाले जिलों में यानी गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी एवं महेंद्रगढ़ में कहीं भी जंगली जानवरों की तस्करी न हो इस पर विशेष नजर रहेगी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_5913341.html
 

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