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न्यूज क्लिपिंग्स् | इंसानों के चलते 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में खारी हो रही जमीन, बिगड़ रहा 'नमक चक्र' का संतुलन

इंसानों के चलते 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में खारी हो रही जमीन, बिगड़ रहा 'नमक चक्र' का संतुलन

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published Published on Nov 24, 2023   modified Modified on Nov 24, 2023

डाउन टू अर्थ, 24 नवम्बर 

क्या आप जानते हैं कि जो नमक हमारे लिए बेहद जरूरी है उसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा पर्यावरण और इंसानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। विडम्बना देखिए कि जिस तरह से पर्यावरण में खारापन बढ़ रहा है उसके लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं।

रिसर्च से पता चला है कि इंसानों के कारण दुनिया भर में बढ़ते लवणीकरण से 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में जमीन खारी हो रही है, जो मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर संकट बढ़ सकता है। इस प्रभावित होती जमीन के आकार को देखें तो वो करीब-करीब अमेरिका के बराबर है।

इतना ही नहीं नमक के वैश्विक उपयोग और उत्पादन में वृद्धि के साथ, पिछले 50 वर्षों में नदियों और नालों के खारेपन में भी वृद्धि हुई है, जो बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। मैरीलैंड विश्वविद्यालय के भूविज्ञान प्रोफेसर सुजय कौशल के नेतृत्व में अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए इस नए वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आया है कि हम इंसानो की वजह से वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक 'नमक चक्र' का संतुलन बिगड़ रहा है। मतलब कि धरती पर बढ़ती नमक की मांग का खामियाजा हमें पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के रूप में भुगतना पड़ रहा है।

जर्नल नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित इस रिसर्च में सामने आया है कि इंसानी गतिविधियां धरती की हवा, मिट्टी और मीठे पानी को खारा बना रही हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि यदि यह रुझान भविष्य में जारी रहते हैं तो वो “अस्तित्व के लिए खतरा” पैदा कर सकते हैं।
पूरी खबर- डाउन टू अर्थ


डाउन टू अर्थ, 24 नवम्बर https://www.downtoearth.org.in/hindistory/development/sustainable-development/human-activities-are-causing-salinity-in-250-million-acres-of-land-disrupting-the-salt-cycle-92940
 

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