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न्यूज क्लिपिंग्स् | एक लाख भ्रूणों की कोख में ही हत्या!

एक लाख भ्रूणों की कोख में ही हत्या!

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published Published on Dec 20, 2010   modified Modified on Dec 20, 2010

प्रदेश में जन्म से पहले ही गर्भपात की घटनाओं पर विराम लगता नहीं दिख रहा है। अकेले वर्ष 2009 में ही करीब एक लाख 10 हजार भ्रूण को प्रदेश की सरजमीं पर कदम रखने से पहले ही मार गिरा दिया गया। इतने अधिक गर्भपात की वजह 'पुत्र की चाह' मानी जा रही है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंची रिपोर्ट में होता है।

स्वास्थ्य विभाग को मिली रिपोर्ट के अनुसार साल 2009 में प्रदेशभर में साढ़े छह लाख महिलाएं गर्भवती हुई, लेकिन उनमें से सिर्फ 5.39 लाख महिलाओं ने ही बच्चों को जन्म दिया। बाकी, एक लाख 11 हजार भ्रूण को बच्चों के तौर पर जन्म लेने से पहले ही नष्ट कर दिया गया। नाम न छापने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि इतने अधिक गर्भपात नेचुरल नहीं हो सकते। इसके पीछे जरूर पुत्र की चाह रही है और कन्या भ्रूण की पहचान होने पर ही इन्हें नष्ट करवाया गया है। इतने अधिक गर्भपात से पता चलता है कि प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए चलाई जा रही तमाम स्कीम बेमानी साबित हो रही हैं। वहीं, पीएनडीटी एक्ट लागू होने के बावजूद इतनी अधिक भ्रूण हत्या होना स्वास्थ्य विभाग की नींद हराम कर चुका है।

स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डा. वंदना गुप्ता कहती हैं कि इतने अधिक गर्भपात क्यों हुए, इसका पता लगाने के लिए कारणों की पड़ताल शुरू कर दी गई है। वे कहती हैं कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं पर नजर रखने की प्लानिंग तैयार की जा रही है।

बाक्स

अल्ट्रासाउंड से हो रही लिंग जांच!

गर्भवती महिला के पेट में कौन सा लिंग पल रहा है, इसकी जांच सिर्फ अल्ट्रासाउंड से ही हो सकती है। इसके अलावा लिंग जांच का कोई और तरीका ही नहीं है। पेट में पल रहा गर्भ जब 12 सप्ताह का हो जाए, तो अल्ट्रासाउंड के जरिए लिंग का पता चल सकता है। आम तौर पर गर्भपात की जो भी घटनाएं होती हैं, वे 12 से 16 सप्ताह के भ्रूण के साथ ही पेश आती हैं।

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'निगरानी' में रहेंगी गर्भवती महिलाएं

गर्भवती महिलाओं पर निगरानी रखने के लिए गांवों में बने साक्षर महिला समूहों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इनसे जुड़े करीब एक लाख कार्यकर्ता अपने-अपने इलाके में गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड एकत्रित करेंगे। इन्हें गर्भ धारण के तीन महीने के अंदर-अंदर गर्भवती का नाम व ब्यौरा जमा करवाना होगा। समाज में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी भी इन्हें सौंपी जा रही है। इस योजना की पुष्टि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन हरियाणा के डायरेक्टर पीके दास भी करते हैं।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_7052266.html


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