Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | कपास पर शाप: कैसे बीटी कपास के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई गुलाबी सुंडी

कपास पर शाप: कैसे बीटी कपास के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई गुलाबी सुंडी

Share this article Share this article
published Published on Oct 27, 2023   modified Modified on Oct 27, 2023

डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर 

गुलाबी सुंडी यानी पिंक बॉलवर्म के हमलों के चलते 2000 के दशक से भारतीय किसानों को अपनी कपास की फसल से लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि इस कीट ने आनुवंशिक रूप से संशोधित बीटी कपास के प्रति भी प्रतिरोध विकसित कर लिया है।

इससे पहले आप पढ़ चुके हैं कि गुलाबी सुंडी के कारण आत्महत्या के कगार पर पहुंचे किसान, बीटी कपास को भी भारी नुकसान

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में कीट विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख और कीट विज्ञानी गोविंद गुजर का इस बारे में कहना है कि 1996 में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में सफलता के बाद बीटी कपास को 2002 में भारत में पेश किया गया था।

इससे पहले, अमेरिकी बॉलवर्म (अमेरिकन सुंडी) कपास के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका था, क्योंकि इसने कीटनाशक सिंथेटिक पाइरेथ्रोइड्स, ऑर्गेनोफॉस्फोरस और कार्बामेट्स के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया था। इसकी वजह से 1985 से 2002 के बीच भारत के सभी 11 कपास उत्पादक राज्यों में किसानों को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा था।

डाउन टू अर्थ से बात करते हुए गुजर ने बताया, “बीटी कपास, या बोल्गार्ड-I को बॉलवर्म की सभी तीनों प्रजातियों (अमेरिकी, चित्तीदार और गुलाबी सुंडियों) से बचाने के लिए पेश किया गया था। इसके लिए इसमें क्राय1एसी टॉक्सिन को भी शामिल किया गया है।“

उन्होंने आगे बताया कि, 2005 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह देखना शुरू किया कि क्या यह कीट बीटी कपास के प्रति प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं। उसके एक साल बाद, अमेरिकी बॉलवॉर्म के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए बीटी कपास के आनुवंशिक कोड को क्राय2एबी जीन के साथ एनकोड किया गया था।

विशेषज्ञ का कहना है कि, "हालांकि 2008 में हमारी टीम को पहली बार गुजरात के अमरेली में गुलाबी सुंडी के असामान्य व्यवहार का पता चला। यह कीट बीटी कपास को खाने के बाद भी जीवित था, मतलब कि इसने बीटी कपास के प्रति भी प्रतिरोध विकसित कर लिया था।" उनका आगे कहना है कि, "2009-10 में हमारे वैज्ञानिक अध्ययन ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि गुलाबी सुंडी ने गुजरात के चार जिलों में क्राय1एसी जीन के खिलाफ भी प्रतिरोध विकसित कर लिया था।"

पूरी रपट- डाउन टू अर्थ


डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर https://www.downtoearth.org.in/hindistory/agriculture/farming/cotton-curse-how-pink-bollworm-evolved-to-be-the-biggest-threat-for-bt-cotton-92487
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close