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न्यूज क्लिपिंग्स् | खनन की आय की वजह से बाघ संरक्षण से पीछे हट रही है छत्तीसगढ़ सरकार?

खनन की आय की वजह से बाघ संरक्षण से पीछे हट रही है छत्तीसगढ़ सरकार?

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published Published on Sep 25, 2023   modified Modified on Sep 25, 2023

मोंगाबे हिंदी, 25 सितम्बर

छत्तीसगढ़ में बाघों की लगातार कम होती संख्या के बीच, राज्य सरकार ने अपने दो टाइगर रिज़र्व को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। बाघों का घर कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के कान्हा-किसली से लगे भोरमदेव अभयारण्य पर राज्य सरकार ने पहले ही विराम लगा दिया था। अब कोयला खदान के नाम पर, राज्य सरकार ने गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व को भी अटका दिया है। पिछले बारह सालों में यह दूसरी बार हुआ है, जब गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिज़र्व बनाने की योजना, पूरी क़वायद के बाद टाल दी गई है।

गुरुघासीदास तमोर पिंगला को टाइगर रिज़र्व बनाने के छत्तीसगढ़ सरकार के 2019 के प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी द्वारा 5 अक्टूबर 2021 को मंजूरी दिये जाने के बाद माना जा रहा था कि टाइगर रिज़र्व बनाने का रास्ता साफ़ हो गया है। इससे पहले राज्य सरकार ने भी इस टाइगर रिज़र्व को ख़ूब प्रचारित-प्रसारित किया और इसका श्रेय लेने के लिए विज्ञापन तक जारी किए गए। लेकिन राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव के चार साल बाद भी टाइगर रिज़र्व को अधिसूचित नहीं किया।

इसके उलट अब राज्य सरकार ने वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे की छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में, एक शपथपत्र देते हुए हवाला दिया है कि प्रस्तावित इलाके में कोयला भंडार, कोल बेड मीथेन ब्लॉक और ऑयल ब्लॉक्स हैं और ये रोजगार व राजस्व आय की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण हैं। राज्य सरकार ने यह तर्क ऐसे समय में दिया है, जब राज्य में बाघों की संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। 

पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 25 सितम्बर https://hindi.mongabay.com/2023/09/25/the-effort-to-convert-gurughasidas-national-park-into-a-tiger-reserve-is-getting-postponed/
 

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