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न्यूज क्लिपिंग्स् | छत्तीसगढ़ः कहां तक सही है प्रतिबंधित तिवरा या खेसारी दाल को समर्थन मूल्य के अंतर्गत लाना

छत्तीसगढ़ः कहां तक सही है प्रतिबंधित तिवरा या खेसारी दाल को समर्थन मूल्य के अंतर्गत लाना

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published Published on Jan 12, 2024   modified Modified on Jan 12, 2024

मोंगाबे हिंदी, 12 जनवरी

पिछले 50 सालों से भी अधिक समय तक देश में प्रतिबंधित रही, तिवरा या खेसारी दाल की छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर ख़रीदी का मामला अब अटक गया है। असल में कांग्रेस पार्टी ने हाल ही में हुए राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में समर्थन मूल्य पर इस दाल की ख़रीदी का वादा किया था। लेकिन राज्य से कांग्रेस सरकार की विदाई के साथ ही अब तिवरा पर संशय के बादल छा गए हैं।

कांग्रेस पार्टी की घोषणा पर किसानों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि तिवरा दाल को भी कोई सरकार समर्थन मूल्य पर ख़रीद सकती है, क्योंकि एक समय तो इसकी फ़सल उगाने पर भी खड़ी फसल जला दी जाती थी और हल-बैल जब्त कर लिए जाते थे।

हालांकि चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के साथ राज्य से कांग्रेस सरकार की विदाई हो चुकी है। नवगठित सरकार के कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने मोंगाबे-हिंदी से कहा, “मेरी जानकारी में नहीं है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में क्या कहा था। लेकिन मैं आज ही इस मामले में अपने विभाग के अधिकारियों से चर्चा करता हूं और तिवरा दाल की खेती, ख़रीद-बिक्री व उपयोग से संबंधित जो भी बेहतर नीतिगत निर्णय लिए जा सकते हैं, उस पर हमारी सरकार ज़रुर विचार करेगी।”

असल में खेसारी, केसरी, तिवरा, लतरी जैसे नाम से चर्चित लेथिरस सेटाइवस प्रजाति की इस दाल की ख़रीद-बिक्री पर बरसों तक भारत में प्रतिबंध रहा है। वैज्ञानिकों का दावा था कि इस दाल के सेवन से मनुष्यों में तंत्रिका संबंधी रोग लैथिरिज्म, न्यूरोलैथिरिज्म या कलायखंज की बीमारी हो सकती है। इसके कारण निचले अंगों में पक्षाघात हो सकता है। लेथिरस के अधिकांश शोध उस अध्ययन पर आधारित थे, जब अकाल के दौरान लोगों ने लंबे समय तक इस दाल का ही मुख्य भोजन के तौर पर सेवन किया।

पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 12 जनवरी https://hindi.mongabay.com/2024/01/10/banned-tivara-or-khesari-dal-under-support-price-in-chhattisgarh/
 

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