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न्यूज क्लिपिंग्स् | नहीं निकलेगी गाद, सीधे बनेगी खाद- लोकेश चौहान की रिपोर्ट

नहीं निकलेगी गाद, सीधे बनेगी खाद- लोकेश चौहान की रिपोर्ट

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published Published on May 28, 2010   modified Modified on May 28, 2010

लोगों को मिलेगी बदबू से निजात और प्राधिकरण को मिलेगा तीन गुना शुद्ध पानी। शहर में नए लगने वाले चार एसटीपी में प्राधिकरण एसआरबी तकनीक का प्रयोग कर रहा है। इस तकनीक के जरिए गाद निकलने की बजाय एसटीपी से सीधे खाद निकलेगी। प्लांट से निकलने वाला पानी भी तीन गुना अधिक शुद्ध होगा। प्लांट को लगाने में भी कम जमीन की आवश्यकता होगी।

प्राधिकरण ने शहर में जो चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा रखे हैं, वे यूएएसबी तकनीक से संचालित हैं। इस तकनीक के प्लांट से जो पानी निकलता है, उसे सिर्फ सिंचाई कार्य में ही प्रयोग किया जा सकता है। बाकी बची हुई गाद को खाद बनने में लगभग पंद्रह दिन लगते हैं। इन पंद्रह दिनों तक गाद खुले में पड़ी रहती है। इससे लोगों को बदबू झेलनी पड़ती है। प्राधिकरण के मुख्य अनुरक्षण अभियंता यादव सिंह ने बताया कि अब जो चार प्लांट लगाए जा रहे हैं, उनमें यूएएसबी तकनीक की बजाय सीबीआर (सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर) तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। ये प्लांट 2011 तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद इन प्लांट में ही दूसरे प्लांट लगाकर इनकी क्षमता को दो गुना तक बढ़ाया जाएगा। इसका कार्य 2015 तक पूरा होगा।

शहर से निकलने वाले सीवरेज की स्थिति

वर्तमान में शहर से लगभग 76 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) सीवरेज निकल रहा है। इसमें से 72 एमएलडी सीवरेज यहां के लोगों का होता है, जबकि चार एमएलडी सीवरेज ऐसा होता है जो बाहर से यहां काम करने के लिए आने वाले लोग निकलते हैं।

दस गुना कम जगह में लगेंगे प्लांट

अब तक प्लांट जितनी जगह में लगते हैं, नई तकनीक के प्लांट इससे दस गुना कम जगह में लग जाएंगे। नोएडा में जमीन की ऊंची कीमत को देखते हुए ऐसे प्लांट काफी फायदे का सौदा होंगे। क्योंकि नए प्लांट में गाद को सुखाने की आवश्यकता नहीं होगी।

कई कार्यो में प्रयोग होगा प्लांट का पानी

एसबीआर तकनीक के प्लांट से निकलने वाला पानी आग बुझाने, निर्माण कार्य में प्रयोग होने के साथ उद्योगों में भी उपयोग में लाया जा सकेगा। वहीं इसे सिंचाई के लिए भी बेहतर पानी माना जा रहा है। यूएएसबी तकनीक के प्लांट से निकले पानी को सिर्फ पार्को की सिंचाई के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है।

कितनी खाद और कितना पानी

नई तकनीक से बनाए जाने वाले प्लांट की क्षमता अगर 50 एमएलडी होगी, तो उससे लगभग 40 एमएलडी पानी निकलेगा। इसी प्लांट से निकलने वाली खाद का आयतन तो लगभग सात एमएलडी होगा, लेकिन इसका भार किलोग्राम में बांटना खाद में मिले पानी की मात्रा पर निर्भर करेगा।

नए बनने वाले एसटीपी

सेक्टर क्षमता

168 50 एमएलडी

123 35 एमएलडी

50 25 एमएलडी

54 33 एमएलडी

2015 में बढ़ाई जाएगी एसटीपी की क्षमता

सेक्टर क्षमता

168 50 एमएलडी

123 35 एमएलडी

एसटीपी की मौजूदा स्थिति

सेक्टर क्षमता

50 34 एमएलडी

54 27 एमएलडी

आक्सीडेशन पांड

सेक्टर क्षमता

54 नौ एमएलडी

91 पांच एमएलडी


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_6447950/


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