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न्यूज क्लिपिंग्स् | .ताकि सर उठा के जिए हर विशेष बच्चा

.ताकि सर उठा के जिए हर विशेष बच्चा

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published Published on Mar 7, 2011   modified Modified on Mar 7, 2011
शिमला प्रदेश में 2284 विशेष बच्चों को अब तक स्कूल नहीं पहुंचाया जा सका है। वजह यह कि ये बच्चे स्कूल जाने की स्थिति में नहीं हैं। इन बच्चों के लिए 550 स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से होम बेस्ड प्रोग्राम चलाया जा रहा है। प्रदेश में 11,871 बच्चे विकलांगता के शिकार हैं। 2284 स्कूल जाने की स्थिति में नहीं हैं।

सर्व शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने मंडे मुलाकात के दौरान यह खुलासा किया। उन्होंने बताया, अभियान का उद्देश्य हर बच्चे को स्कूल पहुंचाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना है। जो बच्चे स्कूल जाने की स्थिति में नहीं हैं उन्हें होम बेस्ड प्रोग्राम से शिक्षित किया जा रहा है।

इसमें विशेष बच्चों के लिए प्रशिक्षित शिक्षक हफ्ते में तीन से चार दिन बच्चों के घर जाकर उनको शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। 145 शिक्षक विशेष बच्चों के लिए ही प्रशिक्षित किए गए हैं, जबकि 1200 सामान्य श्रेणी के शिक्षकों को तीन माह का विशेष कोर्स करवाया गया है। ऐसे बच्चों को शिक्षित करने के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध है।

जो बच्चे देख नहीं सकते, उनके लिए ब्रेल पुस्तकें, जो कम देख पाते हैं, उनके लिए बड़े अक्षरों वाली पुस्तकें, जिन्हें कम सुनाई देता है उनके लिए श्रव्य यंत्र और अन्य विकलांगता वाले बच्चों को उनकी सुविधा के अनुसार शिक्षित किया जा रहा है। प्रयास है कि विशेष बच्चों को सामान्य की श्रेणी में खड़ा किया जा सके। छह से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने के लिए अधिनियम के अनुसार उचित पग उठाए जा रहे हैं।


इसके लिए प्राइमरी स्तर पर कम से कम दो और मिडिल स्तर पर कम से कम तीन शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इसी तरह प्राइमरी स्कूल में 60 से 90 तक के बच्चों तक तीन व इससे ज्यादा छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।


बेहतर जीवन का ‘आधार’

विशेष बच्चों के लिए ‘आधार’ नाम से क्वालिटी एजूकेशन प्लान तैयार किया गया है। इसमें पांच बातों पर ध्यान दिया है। पहला शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित करना, दूसरा स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की भागीदारी तय करना, तीसरा बच्चों में स्कूल जाने के लिए उत्साह पैदा करना, चौथा सामान्य पढ़ाई के अलावा क्रियाकलापों के माध्यम से उन्हें शिक्षा दी जाए। पांचवें शिक्षकों को उस माहौल के अनुसार प्रशिक्षित किया जाए।

http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH--so-head-up-each-particular-childs-lived-1913116.html?HT1=


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