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न्यूज क्लिपिंग्स् | 16 माह में पता चल जायेगा, कितना है काला धन

16 माह में पता चल जायेगा, कितना है काला धन

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published Published on May 30, 2011   modified Modified on May 30, 2011

नयी दिल्लीः वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू कराया गया काले धन का पता लगाने का काम 16 माह में पूरा किया जाएगा. काले धन का पता लगाने के लिए बढ़ते दबाव के बीच सरकार देश विदेश में जमा काले धन का आकलन करने और कालेधन के अन्य पहलुओं का गहन अध्ययन करवा रही है.

देश के तीन शीर्ष स्तर के संस्थान इस काम को अंजाम देंगे. साथ ही ये यह भी बताएंगे कि मनी लांड्रिंग के लिए क्या तौर तरीके अपनाए जाते हैं, काले धन की वजह क्या है और किन किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा काली कमाई की जा रही है. अध्ययन शुरू कराने वाले वित्त मंत्रालय का कहना है, अभी तक इस तरह का कोई पुख्ता अनुमान उपलब्ध नहीं है कि देश और देश के बाहर कितना काला धन सृजित हो रहा है.

अध्ययन में यह भी बताया जाएगा कि किस तरह काले धन को पकड़ा जाए और उस पर अंकुश लगाते हुए उसे कर दायरे में लाया जाए. यह अध्ययन मार्च में शुरू किया गया है. नेशनल काउंसिल फ़ार एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीईएआर), नेशनल इंस्ट्टियूट आफ़ पब्लिक फ़ाइनेंस एंड पालिसी (एनआईपीएफ़पी) और नेशनल इंस्टिट्यूट आफ़ फ़ाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफ़एम) द्वारा यह अध्ययन किया जा रहा है.

काले धन पर सबसे पहला अध्ययन करीब 26 साल पहले 1985 में एनआईपीएफ़पी ने किया था. मंत्रालय ने कहा कि अनुमान विश्वसनीय नहीं है. यह 462 अरब डालर से 1,400 अरब डालर के बीच का अनुमान है. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे सहित मंत्रियों की संयुक्त समिति लोक विधेयक के मसौदे पर काम कर रही है. वहीं योग गुरु रामदेव ने काले धन के मसले पर 4 जून से भूख हड़ताल करने की धमकी दी है.

सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति भी बनाई है, जो इस तरह के धन को जब्त करने उसे राष्ट्रीय संपदा घोषित करने का का कानूनी ढांचा सुझाएगी. इस समिति में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी के अध्यक्ष भी शामिली होंगे. आईसीएआई ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में सिफ़ारिश की है कि चुनाव आयोग से पंजीकृत सभी राजनीतिक दलों से कहा जा सकता है कि धन के लेनदेन के समय ही उसकी सूचना दी जाए.

सिफ़ारिशों में कहा गया है, प्रत्येक राजनीतिक दल एक समान वित्त वर्ष के रूप में 31 मार्च का पालन करेगा और तालुका, जिला तथा राज्य स्तर शाखा खातों के आंकड़ों सहित समेकित वित्तीय बयान तैयार करेगा. इनमें यह भी कहा गया है कि सभी दलों को वित्तीय बयान के सामान्य उद्देश्य की प्रस्तुति के लिए एक समान प्रारूप का पालन करना चाहिए.

आईसीएआई की 38 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है, यह सिफ़ारिश की जाती है कि राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की किसी कंपनी से अपने खातों का ऑडि‍ट कराना चाहिए. इसमें यह भी सिफ़ारिश की गई है कि राजनीतिक दलों को अपना लेखा परीक्षण वार्षिक रूप से प्रकाशित कराना चाहिए और जानकारी वित्त वर्ष के अंत में छह महीने के भीतर पार्टी की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए, ताकि संबंधित पक्ष एवं आम जनता इसकी समीक्षा कर सके.

सिफ़ारिशों में कहा गया है, वार्षिक वित्तीय बयान अग्रणी राष्ट्रीय अखबारों में अंग्रेजी में और राज्य के अग्रणी अखबारों में स्थानीय भाषा में भी प्रकाशित होने चाहिए. इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल के प्रत्येक अंशदाता का पैन नंबर मांगा जा सकता है.


http://www.prabhatkhabar.com/node/9642


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