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न्यूज क्लिपिंग्स् | 2019 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से विस्थापित हुए 2.2 करोड़ लोग: रिपोर्ट

2019 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से विस्थापित हुए 2.2 करोड़ लोग: रिपोर्ट

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published Published on Mar 12, 2020   modified Modified on Mar 12, 2020

-डाउन टू अर्थ,

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पिछला दशक (2010-2019) इतिहास के सबसे गर्म दशक के रूप में दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 1980 के बाद से हर दशक अपने पिछले दशक से गर्म होता जा रहा है। डब्लूएमओ के अनुसार 2019 का तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर जा चुका है। जिसके चलते भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किये गए। गौरतलब है 2016 के बाद से यह दूसरा सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि 2016 में तापमान के इतने अधिक होने के लिए मजबूत एल नीनो को जिम्मेदार माना गया है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) से जुड़े खतरों के बारे में भी आगाह किया गया है। साथ ही बाढ़, सूखा, तूफान, हीटवेव जैसी आपदाओं के चलते करीब 2.2 करोड़ लोगों के विस्थापित होने की बात को माना गया है। इससे पहले 2018 में विस्थापितों का यह आंकड़ें 1.72 करोड़ आंका गया था। 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार “दुनिया, 2015 पेरिस समझौते के लक्ष्यों से काफी दूर है। और यदि इसे हासिल करना है तो इसके लिए त्वरंत कार्यवाही करने की जरुरत है।“ अब तक हम क्लाइमेट चेंज से बाढ़, सूखा, तूफान और हीटवेव जैसे खतरों का पूर्वानुमान कर रहे हैं, पर क्लाइमेट चेंज के चलते टिड्डी दल ने जिस तरह अफ्रीका, भारत और अन्य देशों में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। वो स्पष्ट तौर से क्लाइमेट चेंज के उभरते हुए नए खतरों को दर्शाता है। जिनका अनुमान लगाना मुश्किल है| इन्हीं कारणों से दुनिया के हर 9 में से एक इंसान भुखमरी का शिकार है। वहीं क्लाइमेट चेंज के चलते जिस तरह समुद्रों में अम्लीकरण बढ रहा है, उसके चलते पानी में ऑक्सीजन का स्तर लगातार गिर रहा है। साथ ही समुद्रों में आने वाली हीटवेव भी एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। इनके कारण न केवल समुद्री जीव बल्कि इंसानों पर भी संकट बढ़ता जा रहा है । रिपोर्ट के अनुसार 2019 में समुद्री तापमान भी अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। जिसके चलते 84 फीसदी से ज्यादा समुद्रों में एक या एक से अधिक हीटवेव अनुभव की गयी। 

भारत पर भी पड़ रहा है व्यापक असर

रिपोर्ट के अनुसार भारत भी जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से अछूता नहीं है। जिसके अनुसार भारत में मानसून से पहले तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी। गौरतलब है कि 10 जून 2019 को नयी दिल्ली एयरपोर्ट में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। यदि मानसून की बात करें तो देश में उसकी शुरुआत देर से हुई। जिससे जून माह में औसत से कम वर्षा हुई, जबकि बाद में उत्तर-पूर्वी भारत को छोड़कर देश के बाकि हिस्सों में भारी बारिश दर्ज की गयी। इसके साथ ही मानसून की वापसी भी नियत समय के बाद हुई थी । वहीं 2019 के दौरान भारत में भारी वर्षा (20 मिलीमीटर से अधिक वर्षा) दिनों की संख्या भी औसत से अधिक दर्ज की गयी। कुल मिलकर मानसून में 1961-2010 के औसत की तुलना में करीब 10 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गयी। 2013 के बाद देश भर में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी वर्ष की औसत वार्षिक वर्षा इतनी अधिक हुई है। जिसके चलते देश भर में आयी बाढ से करीब 2,200 लोगों की जान गयी थी| मध्य अप्रैल में चली धूलभारी आंधी ने भी भारत, पाकिस्तान को प्रभावित किया है। जिसके चलते भारत में करीब 50 लोगों की जान गयी थी। जबकि 15 जून तक करीब 60 और लोगों की जानें गयी थी। भारत के मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2010-2019 सदी का सबसे गर्म दशक था। पिछले 31 वर्षों में दूसरी बार सबसे अधिक समय तक इतना उच्च तापमान रिकॉर्ड किया गया था। 

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


ललित मौर्य, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/climate-change/climate-crisis/2-2-crore-people-displaced-due-to-natural-disasters-in-2019-report-69715


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