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न्यूज क्लिपिंग्स् | 612 भारतीयों ने टैक्स हैवन देशों में कर रखा है अवैध निवेश

612 भारतीयों ने टैक्स हैवन देशों में कर रखा है अवैध निवेश

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published Published on Apr 4, 2013   modified Modified on Apr 4, 2013

नई दिल्ली। खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने \'टैक्स हैवन\' देशों में निवेश और गुप्त वित्तीय लेन-देन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 612 भारतीय समेत दुनियाभर के 1.2 लाख से ज्यादा संस्थाओं, व्यक्तियों, उद्योगपतियों, नेताओं, कॉरपोरेट घरानों, ट्रस्टों ने 170 से ज्यादा देशों में अवैध तरीके से निवेश कर रखा है। ये निवेश मुख्यत: ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कुक आइलैंड, समोआ जैसे छोट-छोटे अपतटीय देशों में किए गए हैं। इन \'टैक्स हेवन\' देशों में निवेश के लिए कोई कर नहीं देना होता है और दुनिया भर से लोग यहां आकर काला धन लगाते हैं।

इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेसटिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) की एक टीम की जांच में कई भारतीयों के नाम सामने आए हैं जिसमें आंध्र प्रदेश के पेड्डापल्ले से कांग्रेस सांसद विवेकानंद गद्दम और राज्यसभा सांसद व यूबी ग्रुप के मालिक विजय माल्या सहित कई उद्योगपतियों जैसे-एस्सार ग्रुप के वाइस चेयरमैन रविकांत रुइया, ओनिडा के मालिक सोनू मीरचंदानी, सत्यम के चेयरमैन रहे रामलिंगा राजू के बेटे तेजा राजू, वडोदरा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य राधिकराजे गायकवाड़, एमआरएफ टायर्स के राहुल मामेन मपिल्लई, बर्जर पेंट्स के गुरचरण सिंह ढींगरा, पापड़ किंग के नाम से मशहूर मुरुगेसू लंकालिंगम, इंडिया बुल्स के वाइस चेयरमैन सौरभ मित्तल, समीर मोदी, चेतन बर्मन, अभय कुमार ओसवाल और विनोद दोषी शामिल हैं। इस सूची में ऐसे व्यापारी भी हैं जिनकी आयकर विभाग और सीबीआइ ने जांच की हैं। जांच में अपतटीय देशों में कई ऐसे निवेश सामने आए जिसमें आरबीआइ और फेमा नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है।

हालांकि इनमें से कुछ ने अपने निवेश को सही या फिर ऐसे किसी भी निवेश से इन्कार किया है। लेकिन आइसीआइजे का दावा है कि उसके पास इस बात की जानकारी है कि कब कितना नकद हस्तांतरण किया और कंपनियों और लोगों में क्या गठजोड़ है।

आइसीआइजे के मुताबिक सिंगापुर और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की कंपनियों की मदद लेकर टैक्स हैवन देशों में फर्जी कंपनियां बनाई गई और ऐसे बैंक खाते तैयार किए गए जिनके बारे में पता नहीं लगाया जा सके। सिर्फ 28 लोगों को 21 हजार कंपनियों का निदेशक बनाया गया। ये वो लोग हैं जो वजूद में ही नहीं हैं।

आइसीआइजे के अनुसार, वित्तीय लेन-देनों का विवरण करीब 25 लाख गोपनीय फाइलों में समाहित है और कंप्यूटर में यह डाटा 260 जीबी से अधिक है। यह डाटा विकिलीक्स द्वारा 2010 में अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों को उजागर करने वाले डाटा से 160 गुना ज्यादा बड़ा है।

गोपनीय फाइलें नकद हस्तांतरण, निगमन की तिथियां, कंपनियों और व्यक्तियों के बीच संबंधों की सच्चाई को दर्शाती है। इन फाइलों से यह पता चलता है कि अवैध तरीके से वैश्विक स्तर पर निवेश किस तरह से फैलता जा रहा है और इसे देश की सरकारें ही प्रश्रय दे रही हैं।

खोजी टीम ने 15 महीने की अथक जांच के बाद पाया कि कर मुक्त अपटीय देश अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन कानून को ताक पर रखकर विश्व को अवैध निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। खुलासे में अपतटीय कंपनियों में \'नामित निदेशकों\' की कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कई भारतीय शामिल हैं।

आइसीआइजे वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों का एक स्वतंत्र नेटवर्क है जो वैश्विक स्तर पर खोजी रिपोर्ट तैयार करता है। आइसीआइजे के इस प्रोजेक्ट से विश्व के 38 मीडिया संस्थान जुड़े हुए हैं जिसमें भारत का एक अखबार समूह भी शामिल है।


http://hindi.yahoo.com/national-10272475-064833675.html;_ylt=At68gg2C4tpEGbDmI1IGWhqFGbF_;_ylu=X3oDMTNxcWpmZnVkBG1pdANNZWdhdHJvbiBIb21lcGFnZQRwa2cDZDZmMmNlZWEtMDMwMS0zNjdhLTk3NDgtY2FhNmZkOWMwM2QxBHBvc


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