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न्यूज क्लिपिंग्स् | 7 घंटे में 754000 को मिली विवादों से आजादी

7 घंटे में 754000 को मिली विवादों से आजादी

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published Published on Dec 7, 2014   modified Modified on Dec 7, 2014
निराकृत मामले

0 प्रारंभिक विवाद 04.54 लाख

0 मनरेगा प्रकरण 02.47 लाख

0 राजस्व विभाग 01.20 लाख

0 न्यायालयीन 01.80 लाख

0 बैंक व वित्तीय संस्थान 15733

0 बिजली विभाग 23621

बिलासपुर (निप्र)। राष्ट्रीय लोक अदालत ने शनिवार को सुबह 10 से शाम 5 बजे के बीच महज 7 घंटे में 7 लाख 54 हजार से अधिक परिवारों को विवादों से आजादी दिला दी है। अब इन्हें न तो पुराने मामले के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ेगा और न ही विरोधी की मान-मनौव्वल करनी पड़ेगी। इसमें से कई ऐसे दंपति हैं, जिनके परिवार टूट गए थे और भरण-पोषण से लेकर अपने अधिकार के लिए अपनों से ही कोर्ट में लड़ रहे थे। लोक अदालत की समझाइश पर आपसी सहमति से इन्होंने फिर से एक-दूजे का दामन थाम लिया। एक जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट की 5, बिलासपुर जिला न्यायालय की 25 समेत प्रदेश की 584 खंडपीठों में प्रारंभिक विवाद के 7 लाख 54 हजार मामलों में दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता कराया गया। इस दौरान करोड़ों रुपए का अवार्ड भी पारित किया गया है।

हाईकोर्ट में 73 लाख का अवार्ड पारित

हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा, जस्टिस एमएम श्रीवास्तव, जस्टिस पी सैम कोशी, जस्टिस आईएस उबोवेजा, जस्टिस गौतम भादुड़ी, जस्टिस सीबी बाजपेयी की 5 खंडपीठ लगाई गई थीं। मामलों में समझौता कराने वरिष्ठ अधिवक्ता वीवीएस मूर्ति, डॉ. निर्मल शुक्ला, एनएस धुरंधर, वरिष्ठ अधिवक्ता दयाराम शर्मा, विनय कुमार हरित उपस्थित थे। इसमें 1330 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे। इसमें सर्विस, बीमा, दुर्घटना दावा के 159 मामलों को निराकृत करते हुए 73 लाख 85 हजार 500 रुपए का अवार्ड पारित किया गया। लोक अदालत में लोक निर्माण विभाग ने बर्खास्त किए गए 8 कर्मचारियों को 10 प्रतिशत बैक वेज के साथ सेवा में लेने सहमति दी है। इसके बाद मामले को निराकृत किया गया है। लोक निर्माण विभाग में पदस्थ कमलुराम समेत 8 कर्मचारी नक्सली दहशत के कारण वर्ष 2004 से 2007 तक अनुपस्थित थे। लंबे समय तक अनुपस्थित रहने पर विभागीय कार्रवाई करते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 6 वर्ष से मामला हाईकोर्ट में चल रहा था। इस मामले को सुनवाई के लिए लोक अदालत में रखा गया। सुनवाई के दौरान दंतेवाड़ा के कार्यपालन अभियंता उपस्थित हुए। वर्तमान में बस्तर में नक्सली दहशत को देखते हुए उन्होंने याचिकाकर्ताओं को सेवा में वापस लेने की सहमति दी। वापसी के साथ उन्हें 2008 से 2010 प्रतिशत बैक वेज देने की सहमति दी। समझौता होने पर मामले को निराकृत किया गया।

बिलासपुर सिविल जिला में 1 लाख मामले निराकृत

नेशनल लोक अदालत में बिलासपुर जिला न्यायालय की 25 खंडपीठ समेत मुंगेली, मस्तूरी, बिल्हा, तखतपुर के न्यायालय में लाखों की संख्या में प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। इसमें 1 लाख से अधिक मामले निराकृत कर 10 करोड़ रुपए से अधिक का अवार्ड पारित किया गया। जिला न्यायालय में प्रारंभिक विवाद के 80 हजार 870 प्रकरण निराकृत हुए। इसमें नगर निगम, बिजली विभाग, बैंकों के मामले हैं। इसके अलावा नियमित कोर्ट में चल रहे 52 हजार 663 प्रकरणों का निराकृत किया गया है।

नानी के साथ रह रहे 4 बच्चों का खर्च अब पिता उठाएगा

एक मां को चार बच्चों से प्यारा प्रेमी हो गया और इन्हें छोड़कर प्रेमी के साथ घर बसा लिया। पिता ने भी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए दूसरी शादी रचा ली। फांके में दिन गुजार रही नानी के कंधे पर इनका बोझ आ गया। इधर-उधर से व्यवस्था कर जैसे-तैसे बच्चों का पेट पालने वाली नानी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शनिवार को लगी राष्ट्रीय लोक अदालत नानी समेत बच्चों के जीन में उजियारा लेकर आ गई। अदालत ने बच्चों को नानी के ही सुपुर्द करते हुए पिता को इनका खर्च उठाने का आदेश दिया है। पिता भी इन बच्चों से जब चाहे, तब मिल सकेगा।

शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत लगाए गए कुटुम्ब न्यायालय में 125 पारिवारिक मामले रखे गए थे। इसमें से 76 मामलों का आपसी सहमति से निराकरण किया गया। इनमें से अधिकांश मामले भरण-पोषण से संबंधित थे। वहीं अलग हो चुके कई दंपतियों ने सुलह कर ली और राजी-खुशी पति-पत्नी एक साथ अपने घर चलले गए। मगरपारा की रहने वाली वृद्घा खुद के गुजारे के लिए संघर्ष करती रहती है, ऊपर से 4 बच्चों का बोझ भी उस पर आ गया। उसकी बेटी की शादी 12 साल पहले हुई थी। वह अपने पति के साथ जरहाभाठा में रहती थी। करीब 4 साल पहले जब उसका छोटा बेटा सालभर का ही था, तभी मां बच्चों को छोड़कर अपने प्रेमी के चली गई। तब से नानी ही चारों बच्चों की परवरिश कर रही है। इन बच्चों के पिता ने भी दूसरी शादी कर ली है। वह बच्चों को अपने साथ रखना भी चाह रहा था, लेकिन बच्चे नानी के साथ रहना चाहते हैं। वृद्घा बच्चों के पालन-पोषण के लिए दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछा करती है। इसके बाद भी पैसे की तंगी बनी रहती है। चार बच्चों में 3 लड़के और एक लड़की है। उनमें से बड़ा बेटा अभी 11 साल का है। बच्चों के बड़े होने पर खर्च भी बढ़ रहे हैं। लिहाजा, उसने दामाद से आर्थिक मदद की पेशकश की, लेकिन उसने इनकार कर दिया। ऐसे में उसने कुटुंब न्यायालय में बच्चों के भरण-पोषण की मांग को लेकर फरियाद की। मामला न्यायालय में विचाराधीन था। शनिवार को उसके मामले को नेशनल लोक अदालत में रखा गया। इससे पहले सास व दामाद को न्यायालय के काउंसलर एएस कुरैशी, डॉ. उषाकिरण वाजपेयी, डॉ. सत्यभामा अवस्थी और टीआर कश्यप ने सहमति के लिए तैयार किया। वहीं दामाद को समझाइश दी गई। इसके बाद न्यायाधीश अरविंद कुमार वर्मा के समक्ष उनके बीच समझौता हुआ। वहीं जज ने दामाद को प्रति माह राशि तय कर उसे देने के लिए कहा। पिता भी अपने चारों बच्चों से मिल भी सकेगा।

मां रहेगी बेटी के साथ, बेटा उठाएगा जिंदगी का खर्च

एसईसीएल में नौकरी करने वाले बेटे ने शादी के बाद अपनी मां को साथ रखने से इनकार कर दिया था। मां अपनी बेटी के साथ रहती है। उसने भरण-पोषण से भी इनकार कर दिया था। लोक अदालत में जज ने बेटे को मां को गुजारा भत्ता स्वरूप हर माह 5 हजार रुपए देने का आदेश दिया है। एसईसीएल कॉलोनी में रहने वाले महेंद्र कुमार के पिता एसईसीएल में कार्यरत थे। पिता की मौत के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर नौकरी मिल गई। तब उसके साथ उसकी मां कृष्ण कुमारी भी साथ थी। शादी और बच्चे पैदा होने के बाद उनके बीच विवाद शुरू हो गया। ऐसे में मां कृष्ण कुमारी रेलवे क्षेत्र में रहने वाली अपनी बेटी के साथ रहने लगी। इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। बेटे ने भी भरण-पोषण से इनकार कर दिया। शनिवार को लोक अदालत में यह मामला रखा गया। इस दौरान जज ने बेटे को 5 हजार रुपए हर महीने मां को देने का आदेश दिया। वहीं साल में एक जोड़ा कपड़ा देने के निर्देश दिए गए हैं।

बस गया बिखरता परिवार

तालापारा की जीनत कुरैशी की शादी सारंगढ़ निवासी जुनैद खान के साथ हुई थी। उनके दो बच्चे भी हैं। आपसी विवाद के चलते वह पिछले 6 माह से अलग रह रही थी। स्थिति तलाक तक आ चुकी थी। उसका मामला कुटुंब न्यायालय में चल रहा था। शनिवार को नेशनल लोक अदालत में काउंसलरों ने उनके बीच सुलह कराई। इसके बाद दोनों सारंगढ़ के लिए रवाना हो गए।

अदालत में समझौता, बाहर मारपीट

नेशनल लोक अदालत के दौरान कुटुंब न्यायालय में पति-पत्नी साथ रहने को राजी हो गए। जैसे ही वे अदालत से बाहर निकले, उनके बीच विवाद हो गया। इस बीच पति ने पत्नी के साथ आए उसके पिता की पिटाई भी कर दी। करीब पांच साल पहले शहर की पिंकी कुंडू का विवाह राजिम नयापारा में रहने वाले प्रणब कुंडू के साथ हुआ था। शादी के बाद दोनों भिलाई में रह रहे थे। दो साल पहले उनके बीच विवाद हुआ। इसके बाद दोनों अलग हो गए। तब से पिंकी अपने पिता अमोल अधिकारी के घर पर रह रही है। उनका मामला कुटुंब न्यायालय में चल रहा था। शनिवार को नेशनल लोक अदालत में उनके मामले को भी रखा गया था। इस बीच काउंसलरों ने उनके बीच सुलह कराई। इसके बाद दोनों साथ रहने के लिए राजी भी हो गए। सुनवाई के बाद दोनों पक्ष के लोग अदालत से बाहर आए। वहीं परिसर में ही उनके बीच फिर से विवाद हो गया। इस बीच प्रणब ने अपने ससुर अमोल की पिटाई कर दी। उनके साथ खड़े वकील ने बीच-बचाव किया। कुछ ही समय में वहां लोगों की भीड़ जुट गई। वहीं प्रणब वहां से भाग गया। इसके बाद भी पिंकी पति के साथ जाने को तैयार थी। बाद में उसने जज के पास जाकर अपनी बात रखी। वहां महिला का बयान दर्ज किया गया। इसके बाद वे चले गए।

लोक अदालत में निगम ने वसूले 1 करोड़ 89 लाख रुपए

राष्ट्रीय लोक अदालत में नगर निगम की बाजार शाखा, संपत्तिकर शाखा, जलकर आदि प्रकरणों को भी समझौते के लिए लगाए गए थे। इसमें से एक ही दिन में 13 हजार 323 प्रकरणों का निपटारा किया गया है। निगम को इससे 1 करोड़ 89 लाख रुपए की वसूली हुई है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति और नगर निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इन दिनों वसूली के लिए विभिन्न मोहल्लों में शिविर लगाया जा रहा है। ऐसे में लोक अदालत से नगर निगम को राहत मिली है। इसमें लगाए गए मामलों में अपेक्षा के अनुरूप वसूली हुई है। इससे नगर निगम के राजस्व अमले पर वसूली करने का दबाव कम हो गया है। राष्ट्रीय लोग अदालत में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने विवादित मामलों का निपटारा कराया है। इसका लाभ निगम और पक्षकारों दोनों को हुआ है। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में नगर निगम के सर्वाधिक जलकर से संबंधित प्रकरणों का निपटारा हुआ है। इसे 5 हजार 727 प्रकरण निपटे, जिससे निगम को 62 लाख 81 हजार रुपए की आय हुई है। इसी तरह संपत्तिकर के 2800 मामले निपटने से कुल आय 1 करोड़ 20 हजार रुपए राजस्व प्राप्त हुआ है। इन दोनों प्रकरणों से ही नगर निगम को मोटी आमदनी हुई है। इसके अलावा राजस्व नामांतरण के 149 प्रकरण निपटे,जिससे निगम को कोई आय नहीं हुई है। इसके अलावा बाजार विभाग दुकान से संबंधित 21 प्रकरणों में 2 लाख 34 हजार, लायसेंस से संबंधित 675 प्रकरण निपटने से 54 हजार 321,बाजार किराया के 925 प्रकरण से 17 लाख 48 हजार, भवन शाखा के 100 प्रकरण से 91 हजार 220 रुपए की वसूली हुई है। इसके अलावा खाद्य विभाग के 163, सामाजिक सुरक्षा के 1500 तथा समाज कल्याण विभाग के 1263 प्रकरण भी इसमें निपटाए गए हैं। लोक अदालत में निगम उपायुक्त हिमांशु तिवारी, अधीक्षण अभियंता भागीरथी वर्मा, कार्यपालन अभियंता वीके खेत्रपाल, राजस्व अधिकारी अशोक शर्मा आदि उपस्थित थे।

बिजली कंपनी ने बीपीएल परिवार को थमाया हजारों का बिल

बिजली कंपनी ने भारी-भरकम बिल देने के मामले में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों को भी नहीं छोड़ा। इसे लेकर उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी देखी गई। यही नहीं अधिकांश ने बकाया राशि जमा ही नहीं की। इसमें इमलीभाठा क्षेत्र के कई महिलाएं एवं पुरुष शामिल थे। इसमें अघनिया बाई बिल 11 हजार रुपए, आशोक कुमार 14 हजार, जिमयालला 39 हजार, त्रिवेणी बाई 10 हजार, , अमोला 14 हजार, अरूण पहाड़ी 25 हजार, अंगनी बाई 17 हजार आदि शामिल थे।

7 करोड़ का बिल 69 लाख वसूल

शहर के पूर्वी एवं पश्चिम डिवीजन में 4 हजार से अधिक उपभोक्ताओं को लोक अदालत के माध्यम से 7 करोड़ रुपए की वसूली के लिए नोटिस दिया गया था। इसी कड़ी में लोक अदालत में पूर्वी डिवीजन के बकाया राशि के मामले में 219 उपभोक्ताओं के साथ समझौता हुआ। जिसमें 24 लाख 12 हजार रुपए की वसूली हुई। इसके अलावा चोरी के 27 मामलों में 7 लाख 92 हजार रुपए प्राप्त हुए। जबकि 2501 उपभोक्ताओं के नोटिस दिया गया था। वहीं पश्चिम डिवीजन में 193 मामलों में समझौता हुआ। जिसमें 37 लाख रुपए वसूल हुए।

8 माह से पानी नहीं फिर भी आ रहा बिल

चांटीडीह क्षेत्र के श्रीवास गली समेत आसपास के गरीब परिवार के लोगों के घरों में पानी नहीं आ रहा है। इसके बाद भी महिलाओं के नाम पर हजारों रुपए का बिल जारी कर दिया गया है। इसे लेकर महिलाओं ने जिला न्यायालय परिसर में आयोजित लोक अदालत के दौरान नाराजगी जाहिर की। महिलाओं का कहना है कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा के नाम पर एक तरफ 200 रुपए पेंशन दिया जा रहा है। वहीं दूसरी तरह हर माह 200 रुपए का पानी बिल भी दिया जाता है। जबकि उन्हें निगम की योजना के अनुसार मुफ्त में पानी मिलना चाहिए। शिकायत करने वालों में तारा खातून, सरस्वती श्रीवास, लव श्रीवास, मनोहर लाल, यादराम, भगवती मानिकपुरी समेत बड़ी संख्या में अन्य महिलाएं शामिल थीं।

बेवा को लोक अदालत में राहत मिली

नेशनल लोक अदालत में पिछले 8 वर्ष से पति की मौत के बाद बीमा राशि पाने भटक रही बेवा को राहत मिली है। बीमा कंपनी ने 4 लाख 75 हजार रुपए देने की सहमति दी है। अदालत ने उसे एक माह के अंदर भुगतान करने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता फोरम में समझौता के लिए 20 प्रकरण रखे गए थे, जिसमें तीन प्रकरणों में ही आपसी सहमति से समझौता हुआ है। एक मामले में राजकिशोर नगर निवासी श्रीमती सरोज तिवारी पति भागवत प्रसाद तिवारी ने बजाज एलायंस इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पॉलिसी ली थी। पॉलिसी 29 अक्टूबर 2005 से 28 अक्टूबर 2010 के लिए वैध रही। बीमित व्यक्ति भागवत की 2 जनवरी 2006 को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। पति की मौत होने पर बेवा सरोज ने नामिनी होने पर बीमा राशि प्राप्त करने बीमा कंपनी को आवेदन दिया। कंपनी द्वारा बीमा दावा भुगतान नहीं करने पर उसने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश किया। पिछले 8 वर्ष से मामला जिला उपभोक्ता फोरम में चल रहा था। फोरम के अध्यक्ष अशोक कुमार पाठक व सदस्य प्रमोद वर्मा ने अन्य प्रकरणों के साथ इस मामले को भी आपसी समझौता से निपटाने नेशनल लोक अदालत में रखा था। मामले की सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने आवेदिका को 4 लाख 75 हजार रुपए बीमा राशि देने की सहमति दी। दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के उपरांत मामले को निराकृत किया गया। समझौता में उक्त राशि का बिना ब्याज के 1 माह के अंदर भुगतान करना होगा। तय समय पर राशि नहीं देने की स्थिति में बीमा कंपनी को 10 प्रतिशत ब्याज देना होगा। एक अन्य मामले में केशर आवास राजकिशोर नगर निवासी शरद कुमार चंदेल पिता उदय प्रताप चंदेल को जिला केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा समिति में धान बेचने के एवज में तीन अलग-अलग चेक दिए गए थे। उन्होंने तीनों चेक को अपने एसबीआई के खाते में जमा किया। इसमें से दो चेक की राशि उनके खाते में जमा हुई, किंतु एक चेक की राशि 4 हजार 860 रुपए जमा नहीं की गई। इस मामले को लेकर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश किया था। मामला दो वर्ष से फोरम में चल रहा था। इस मामले में बैंक द्वारा राशि भुगतान करने पर उन्होंने प्रकरण वापस ले लिया है। इसी प्रकार बीमित बाइक चोरी होने पर बीमा दावा नहीं देने के खिलाफ पेश याचिका में बीमा कंपनी न 39 हजार रुपए का भुगतान कर दिया है। इनके बीच समझौता होने से मामला निराकृत किया गया है।

नगर निगम के रवैए से हंगामा

नेशनल लोक अदालत में नगर निगम के रवैए के कारण जन उपयोगी अदालत में सुबह हंगामा की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। लोग निगम आयुक्त को घेरकर दिए गए बिल में समझौता करने की मांग करने लगे। इसकी शिकायत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शैलेश शर्मा से भी की गई। नेशनल लोक अदालत में बकाया पानी बिल, संपत्ति कर के मामलों में भी समझौता कराया जाना था। इसमें नगर निगम द्वारा उपभोक्ताओं को बकाया पानी, संपत्ति कर के संबंध में नियमित बिल की तरह देयक आदेश जारी किया गया। इसमें यदि किसी का बिल 10 हजार है तो उसमें बिल कब से जमा नहीं किया गया, इस बकाया पर सरचार्ज की राशि कितना है, इसमें छूट कितनी है, कितना भुगतान करना है, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया था। नोटिस में सिर्फ लोक अदालत में उपस्थित होकर बिल राशि पटाने कहा गया था। उपभोक्ताओं को उम्मीद थी कि अदालत में उनके पक्ष को सुनने के बाद रकम कम की जाएगी। मौके में पहुंचने पर ऐसा नहीं हुआ, उपभोक्तओं को बिल या संपत्ति कर में जितना जमा करने कहा गया है, वह पूरा जमा करना होगा। निगम की और से सिर्फ किश्त में जमा करने की सुविधा दी जा रही थी। इस बात को लेकर लोगों ने जमकर हंगामा करते हुए नारेबाजी भी की। निगम आयुक्त रानू साहू पहुंचीं तो लोगों ने उन्हें भी घेर लिया। उपभोक्ता समझौता कर बिल कम करने की मांग को लेकर अड़े रहे। आयुक्त ने भाजपा पार्षद महेश चंद्रिकापुरे को साफ शब्दों में बिल कम नहीं करने कली बात कही। इसके बाद लोगों ने प्राधिकरण के सचिव से भी इस संबंध में शिकायत की है।

मेले जैसा माहौल

जिला न्यायालय परिसर में नेशनल लोक अदालत में समझौता के लिए बड़ी संख्या में पक्षकार आए थे। पूरा न्यायालय परिसर भरा हुआ था। इसके अलावा मुख्य मार्ग में सुबह से दोपहर तक जाम की स्थिति बनी रही। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यातायात पुलिस के अलावा सिविल लाइन से अतिरिक्त बल लगाया गया था। न्यायालय में पक्षकारों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने अलग से स्टॉल लगाए गए थे।

देर शाम तक 14 सिविल जिले की जानकारी मिली है, जिसमें 7 लाख 54 हजार प्रकरणों में आपसी समझौता कराया गया है। रविवार तक पूरे आंकड़े मिलने की संभावना है। इसमें करोड़ों रुपए के अवार्ड पारित होने की संभावना है।

ओपी जायसवाल

उप सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण


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