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न्यूज क्लिपिंग्स् | पृथ्वी पर इंसानों की सिर्फ एक ही आवश्यक भूमिका है- वह है एक नम्र दृष्टिकोण की

पृथ्वी पर इंसानों की सिर्फ एक ही आवश्यक भूमिका है- वह है एक नम्र दृष्टिकोण की

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published Published on Dec 24, 2021   modified Modified on Dec 29, 2021

-न्यूजक्लिक,

हम जिस ग्रह पर रहते हैं, मैं आपको उसे देखने के एक वैकल्पिक तरीके से परिचित कराना चाहता हूँ। हम इसे पृथ्वी ग्रह कहते हैं, लेकिन वास्तविकता में इसे महासागर ग्रह कहा जाना चाहिए। इस ग्रह पर जीवन को संभव बनाये रखने के लिए जो तत्व बेहद महत्वपूर्ण है, वह है पानी। यह पानी का ग्रह है। हमें सिखाया गया है कि महासागर समुद्र से बनता है। हालाँकि, महासागर इससे कहीं अधिक है।

यह जल का एक ऐसा ग्रह है जो कि कई चरणों के जरिये निरंतर प्रसार में गतिमान है, जिसमें हर चरण आतंरिक तौर पर प्रत्येक चरण से सम्बद्ध है। यह समुद्र, झीलों, नदियों और नालों का पानी है। यह पानी ही है जो भूमिगत, ग्रह के भीतर गहराई में बह रहा है, चट्टानों में कैद है। यह पानी है जो वातावरण में है या बर्फ में घिरा हुआ है। और यह पानी है जो ग्रह पर मौजूद प्रत्येक पौधे और जानवर के भीतर प्रत्येक जीवित कोशिका के माध्यम से प्रवाहित होता है।

जल जीवन है, जो सूर्य की शक्ति से समुद्र से अवशोषित कर वायुमंडल में लाया जाता है और हमारी प्रत्येक जीवित कोशिका के जरिये प्रवाहित होता है। जल वह जीवन है जो हमारे शरीर के जरिये प्रवाहित होकर अपशिष्ट को बाहर निकालता है और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। मेरे शरीर में अभी जो जल है वह कभी बर्फ में बंद था। कभी यह भूमिगत हो गया था। कभी यह बादलों में या समुद्र में था। यहाँ तक कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव भी हमारे शरीर पर उसी प्रकार से कार्य करता है जिस प्रकार से वह समुद्र में मौजूद पानी पर असर डालता है।

इस ग्रह पर मौजूद सभी जीवित चीजों के साथ जल का एक समान रिश्ता है, और सामूहिक रूप से यह सारा जल अपने विभिन्न स्वरूपों में मौजूद रहता है और पृथ्वी के सामूहिक महासागर का निर्माण करता है। समूचे ग्रह के लिए समुद्र एक जीवन रक्षक प्रणाली की भूमिका अदा करता है। समुद्र की गहराइयों के भीतर, पादक-प्लवक व्हेल एवं अन्य समुद्री जानवरों के मल-मूत्र से मिलने वाले नाइट्रोजन और आयरन के भोजन से ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। जबकि नदियों और झीलों का पानी विषाक्त पदार्थों, लवणों, और कचरे को निकालता है। ज्वारनद और आर्द्रभूमि बाकी के बचे विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए किसी गुर्दे की तरह काम करते हैं, और खनिज लवण को समुद्र में बहा देते हैं। सूरज से निकलने वाली गर्मी पानी को वायुमंडल में खींच कर लाने का काम करती है, जहाँ पर इसे शुद्ध किया जाता है और वापस ग्रह की सतह पर गिरा दिया जाता है, जहाँ जीवित प्राणियों के द्वारा इसे अपनी-अपनी प्रणालियों के जरिये इसे पिया या अवशोषित किया जाता है।

यह वह जटिल वैश्विक चक्करदार प्रणाली है जो हमें जीवन के लिए आवश्यक भोजन, स्वच्छता और जलवायु के नियमन के लिए आवश्यक सभी चीजें मुहैय्या कराती है। जल ही जीवन है और जीवन ही जल है। नदियाँ और झरने धरती की रक्त धमनियां, नसें और कोशिकाएं हैं, जो वैसे ही कार्यों को निष्पादित करती हैं जैसा कि ये हमारे शरीर में करती हैं: कचरे को हटाने और कोशिकाओं तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम। जब किसी नदी को बाँध दिया जाता है, तो यह रक्त वाहिका में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करने के समान होता है।उदहारण के लिए, मिश्र में नील नदी पर बने विशालकाय असवान हाई डैम ने नीचे की धरती को पोषक तत्वों के बगैर रख दिया है, जिसके कारण उपर विषैले पानी का निर्माण होता जा रहा है।

यह समूची अन्योन्याश्रित प्रणाली अपनी स्वंय की जीवन-समर्थन प्रणाली है।जेम्स लवलाक द्वारा लिखित पुस्तक गैया एक परिकल्पना है जो प्रस्तावित करती है कि सभी जीवित जीव अपने अकार्बनिक वातावरण में एक-दूसरे के साथ सहक्रियात्मक एवं स्व-नियंत्रित जटिल प्रणाली का निर्माण करने के लिए परस्पर प्रभाव डालते हैं, जिससे ग्रह पर जीवन के लिए स्थितियों को बनाये रखने और चिरस्थायी बनाये रखने में मदद मिलती है। दूसरे शब्दों में कहें तो, जीवन अपने खुद के लाइफ सपोर्ट सिस्टम को संचालित करता है।इस व्यवस्था में, सभी प्रजातियाँ एक समान नहीं हैं। कुछ प्रजातियाँ जहाँ आवश्यक हैं वहीँ कुछ प्रजातियाँ कम हैं, लेकिन सभी प्रजातियाँ आपस में सम्बद्ध हैं।

इस जीवन-समर्थन प्रणाली की आवश्यक बुनियाद में सूक्ष्म जीव, पादकप्लवक, कीड़े, पौधे, कृमि और कवक हैं। वे तथाकथित “उच्च” जानवर उतने आवश्यक नहीं हैं और उनमें से ही एक मनुष्य भी है, और साथ ही वे पालतू जानवर और पौधे हैं जिनके हम मालिक हैं - जो कि चिंताजनक रूप से विनाशकारी हैं। मैं धरती की तुलना एक अन्तरिक्ष यान से करना पसंद करता हूँ। आखिरकार, यह गृह यही तो है- एक विशालकाय अंतरिक्ष-यान जो जीवन के सामान को साथ लेकर दूधिया रास्ते पर विशाल आकाशगंगा के चारों ओर लगातार तेज और उग्र चक्कर काट रहा है। यह इतनी लंबी यात्रा है जिसमें केवल एक चक्कर लगाने में ही 25 करोड़ वर्ष का समय लगता है। असल में देखें तो जबसे हमारे ग्रह का निर्माण हमारे निकटतम तारे की धूल से हुआ है तबसे अभी तक यह यात्रा केवल 18 बार पूरी की जा सकी है।

किसी अंतरिक्ष यान को काम करने के लिए व्यवस्थित लाइफ-सपोर्ट प्रणाली की दरकार होती है, जिसे एक अनुभवी और दक्ष चालक दल के द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यही वह चालक दल होता है जो हमारे वायुमंडल में विभिन्न गैसों का उत्पादन करता है, विशेषकर ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड का। यह वह चालक दल है जो फ़ालतू गैसों को, खासकर कार्बन और मीथेन को अलग करता है। यह वह दल है जो हवा को साफ़ रखने, कचरे को रीसायकलिंग करने और पानी के परिसंचरण में मदद करता है। इसके द्वारा परागण के जरिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भोजन की आपूर्ति भी की जाती है। यह वह दल है जो मिट्टी से विषाक्त तत्वों को निकालता है और मिट्टी को नम और उत्पादक बनाये रखता है। पौधे जानवरों के काम आते हैं और जानवर पौधों को अपनी सेवाएं देते हैं। पौधे अपना भोजन मिट्टी से ग्रहण करते हैं और जानवर अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं, और बदले में जानवर मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


कैप्टन पॉल वाटसन, https://hindi.newsclick.in/Attitude-and-role-of-Humans-Nature-and-earth


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