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न्यूज क्लिपिंग्स् | डाउन टू अर्थ खास: बदलाव की पटरी पर भारतीय रेल

डाउन टू अर्थ खास: बदलाव की पटरी पर भारतीय रेल

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published Published on Jan 3, 2023   modified Modified on Jan 4, 2023

डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी

दुनिया के चौथे सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क भारतीय रेलवे ने अगले सात वर्षों में नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रेलवे दो तरह से इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की योजना बना रही है।

पहला दिसम्बर 2023 तक सभी ट्रेनों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक ट्रेन में तब्दीली और दूसरा साल 2030 तक ट्रेनों और स्टेशनों में अक्षय स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा की सप्लाई। अगर यह लक्ष्य हासिल हो जाता है तो भारत को साल 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 33 प्रतिशत की कमी लाने में मदद मिलेगी, क्योंकि परिवहन एक अहम क्षेत्र है जहां काफी हद तक उत्सर्जन कम करने की संभावनाएं हैं।

आसान शब्दों में कहें, तो नेट-जीरो का मतलब है ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को जितना हो सके शून्य के करीब लाना। ज्यादातर कॉरपोरेशंस, जो इस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, वे कार्बन ऑफसेट पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके तहत वे खुद जो उत्सर्जन करते हैं, उसके मुआवजे के तौर पर हरित गतिविधियां करते हैं मसलन कि वृक्षारोपण या भू-संरक्षण अभियान। लेकिन, उसके उलट भारतीय रेलवे उत्सर्जन कम करने पर फोकस कर रही है।

पूरी खबर-डाउन टू अर्थ


डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी https://www.downtoearth.org.in/hindistory/energy/solar-energy/Down-to-Earth-Special-Indian-Railways-on-track-for-transformation-86878
 

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