Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | तीन नए कृषि अध्यादेश बड़े खिलाडियों के लिए हैं

तीन नए कृषि अध्यादेश बड़े खिलाडियों के लिए हैं

Share this article Share this article
published Published on Sep 19, 2020   modified Modified on Sep 19, 2020

-लोकवाणी,

किसान को अपनी फ़सल बेचने व स्टॉक की छूट! अब किसान अपना उत्पाद स्टॉक कर सकता है और किसी भी राज्य में जहाँ उसे बढ़िया भाव मिले वहाँ बेच सकता है. इस बात का बड़े ज़ोर शोर से प्रचार किया जा रहा है. वैसे ये बंदिश कब थी? ख़ैर, मान लिया कि किसी भी राज्य में बेचने की व स्टॉक की छूट दी है इससे किसान अपनी मर्ज़ी का भाव ले सकेगा. और इसके लिए सरकार ऐग्रिकल्चर इंफ़्रा फ़ंड का इंतज़ाम भी किया है. पर ऐसा प्रचार करने वाले सत्ता में बैठे किसान समुदाय के नेता दरअसल पूँजीपतियों की भाषा बोल रहें हैं.

फ़ार्म सेंसस 2015-16 अनुसार देश में 82.6% किसानों के पास पाँच एकड़ कृषि भूमि है. अब इतनी छोटी जोत का ज़मींदार अपने उत्पाद का बढ़िया भाव लेने के लिए हज़ार किलोमीटर दूर जा सकता है? या स्टॉक कर सकता है?

मेरे गाँव और आसपास के गावों में टमाटर की खेती होती है. कोई एक क़िले में बोता है तो कोई हद दो से तीन क़िले में. और उन पर ऐसी कोई पाबंदी भी नहीं थी कि वे अपना टमाटर तमिलनाडु या बंगाल में बेच कर नहीं आ सकते थे. पर क्या उनके लिए ऐसा सम्भव है ? मान भी लें कि कुछ किसान मिलकर साधन कर अपनी फ़सल बेच आएँ. पर यह ज़रूरी नहीं कि हर किसान का उत्पाद एक ही भाव पर बिक जाएगा. जिसका कम भाव पर बिका वह किराया भरते रोयेगा.

अब रही बात स्टॉक की, तो एक क़िले वाला क्या और कितने दिन तक स्टॉक कर लेगा? उसे घर ख़र्च भी चलाना है. उसके साथ तो वही बात है कि नंगा नहाएगा क्या और निचोडेगा क्या ! इस स्टॉक वाले खेल में भी बड़े खिलाड़ी मोर्चा मारेंगे. इसका एक उदाहरण देता हूँ. हम कुछ साथियों ने 1999-2000 में छत्तीसगढ़ में ज़मीन ली और उसमें बेल वाली सब्ज़ियाँ लगा दी. जब सीज़न आया तो ये हाल हो गया कि खीरा घिया आदि सब पचास पैसे किलो आ गई. मतलब ये कि ज़मींदार को तुड़ाई मज़दूरी भी पल्ले से देनी पड़ रही थी. पर वहीं दूसरी तरफ़ आज़ादपुर मंडी में इनका भाव दस रुपए किलो था. रायपुर से आज़ादपुर मंडी तक भाड़ा आदि सब मिलाकर पाँच से छह रुपए किलो में पहुँच पड़ रही थी. मतलब कि व्यापारी को एक किलो पर सीधा चार से पाँच रुपए किलो मुनाफ़ा मिल रहा था. और ज़मींदार दीहाड़ी भरते भी रो रहा था.

ऐसा एक क़िस्सा और था जो हरियानवी किसान बताया करते। अक्सर देखने में आता है कि किसान की देखा देखी फ़सल बोने की आदत है. तो एक दफ़ा वहाँ टमाटर की खेती काफ़ी संख्या में हो गई. उस समय वहाँ हरियाना और गुजराती ही बाहरी ज़मींदार थे. फ़र्क़ इतना था कि हरियाणा वाले औसत 20-50 एकड़ के ज़मींदार थे जबकि गुजराती 500-1000 एकड़ के. तो जब टमाटर का सीज़न आया तो रायपुर में भाव पिटना शुरू हुआ. गुजरातियों ने ये देखा तो उन्होंने शहर में एक हफ़्ते का टमाटर फ़्री बँटवा दिया. जब अगले दिन हरियाना वाले गए तो उनका टमाटर कोई ना ले. बात ये है कि इस एक हफ़्ते के खेल ने उनका सारा खेल ख़त्म कर दिया. और दूसरी तरफ़ गुजरातियों के पास स्टॉक करने के लिए वेयर हाउस और केमिकल की सुविधाएँ थी. हफ़्ते बाद इन गुजरातियों ने उसी टमाटर का बढ़िया भाव लिया.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


राकेश सांगवान, http://lokvani.in/agriculture-reforms-for-big-players/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close