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न्यूज क्लिपिंग्स् | हमारे सबसे नये और जरूरी कानूनों को भी हिंदी में समझ पाना इतना मुश्किल क्यों है?

हमारे सबसे नये और जरूरी कानूनों को भी हिंदी में समझ पाना इतना मुश्किल क्यों है?

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published Published on Jul 18, 2020   modified Modified on Jul 19, 2020

-सत्याग्रह,

बीते महीने की बात है. पीएम केयर्स फंड को लेकर उठ रहे तमाम सवालों की पड़ताल करते हुए हमने एक रिपोर्ट की थी. इन सवालों में से एक यह भी था कि पीएम केयर्स फंड लोक प्राधिकार यानी पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं. असल में इस फंड से जुड़ी कई जानकारियां मुहैया कराने को लेकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत कई आवेदन दायर किए गए थे जो खारिज हो गए थे. प्रधानमंत्री कार्यालय का तर्क था कि पीएम केयर्स फंड लोक प्राधिकार यानी पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, इसलिए इस पर आरटीआई कानून लागू नहीं होता और इसीलिए इसके तहत मांगी गई जानकारियां भी नहीं दी जा सकतीं.

पीएमओ के इस तर्क की पड़ताल करने के लिए हमने हिंदी में आरटीआई एक्ट पढ़ना शुरू किया. थोड़ी ही देर में हमें अहसास हो गया कि यह भाषा का एक बीहड़ है जिसमें कहीं पहुंचने से ज्यादा आसार भटकने के हैं. दुरुह हिंदी से किसी तरह गुजरते हुए हम आरटीआई कानून के अध्याय एक के खंड 2 (ज)(घ) पर पहुंचे. इसमें लिखा था:

“लोक प्राधिकारी” से समुचित सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किए गए आदेश द्वारा, स्थापित या गठित कोई प्राधिकारी या निकाय या स्वायत्त सरकारी संस्था अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत-

(i) कोई ऐसा निकाय है जो समुचित सरकार के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है.

(ii) कोई ऐसा गैरसरकारी संगठन है जो समुचित सरकार द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है.

हिंदी का बढ़िया ज्ञान रखने वालों को भी यह भाषा अजनबी लग सकती है. अभिप्रेत या सारभूत जैसे शब्द शायद ही कोई आम व्यवहार में बोलता हो. जब बोलता ही नहीं तो समझना तो दूर की बात है. यही वजह है कि हमने तय किया कि एक बार इसी हिस्से को कानून के अंग्रेजी संस्करण में भी देख लिया जाए. वहां इसे इस तरह लिखा गया था:

“public authority” means any authority or body or institution of self-government established or constituted by notification issued or order made by the appropriate Government, and includes any— (i) body owned, controlled or substantially financed; (ii) non-Government organisation substantially financed directly or indirectly by funds provided by the appropriate Government.”

साफ है कि साधारण सी अंग्रेजी जानने वाले के लिए भी इसे समझना मुश्किल नहीं है. लेकिन हिंदी में इस बात को जिस तरह से लिखा गया है उसके चलते साधारण तो क्या, असाधारण हिंदी ज्ञान वाला भी चकरा सकता है. इसी बात को थोड़ा समझ में आने वाली हिंदी में कुछ-कुछ इस तरह भी लिखा जा सकता था:

“लोक प्राधिकार यानी पब्लिक अथॉरिटी का अर्थ है कोई भी ऐसी संस्था, संगठन या संस्थान जिसकी स्थापना सरकार के किसी आदेश से हुई हो. इसमें ऐसी संस्थाएं शामिल हैं जिनका मालिकाना हक सरकार के पास हो या सरकार का उन पर नियंत्रण हो या फिर उनके खर्च का एक बड़ा हिस्सा सरकार देती हो. ऐसी गैर-सरकारी संस्थाओं को भी लोक प्राधिकार यानी पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा जिनके खर्च का एक बड़ा हिस्सा सरकार से आता हो, भले ही यह पैसा उन्हें सीधे (अप्रत्यक्ष) मिले या फिर किसी दूसरे तरीके (अप्रत्यक्ष) से.”

दिलचस्प बात यह है कि आरटीआई कानून में ही इस कानून को आम लोगों के लिए सरल भाषा में सुलभ बनाने की जरूरत बताई गई है. इसके अध्याय 6 के खंड 26 (2) में कहा गया है कि कानून लागू होने के 18 महीनों के भीतर सरकार एक ऐसी मार्गदर्शिका यानी गाइड लाए. इसमें कानून से जुड़ी सारी जानकारियां राजभाषा में इस तरह लिखी हुई हों कि वे आसानी में समझ में आ जाएं, क्योंकि इस कानून के तहत किसी अधिकार का इस्तेमाल करने वाले को इसकी जरूरत पड़ सकती है. लेकिन यह बात ही ज्यादातर लोगों के सिर के ऊपर से निकल जाने वाली बोझिल हिंदी में इस तरह से लिखी हुई है:

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


विकास बाहुगुणा, https://satyagrah.scroll.in/article/135892/bharat-kanoon-kathin-hindi-bhasha-kaaran


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