Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | चुनावी गंगा: बिहार में 74 फीसदी सीवेज प्रदूषण झेल रही राष्ट्रीय नदी बनेगी 37वें मुख्यमंत्री की गवाह

चुनावी गंगा: बिहार में 74 फीसदी सीवेज प्रदूषण झेल रही राष्ट्रीय नदी बनेगी 37वें मुख्यमंत्री की गवाह

Share this article Share this article
published Published on Oct 23, 2020   modified Modified on Oct 23, 2020

-न्यूजलॉन्ड्री, 

बिहार में चुनावी चाल तेज रफ्तार पकड़ चुकी है लेकिन मैदान में मंद गति के प्रवाह वाली गंगा चुप और उदास हैं. 10 नवंबर, 2020 को जब बिहार में चुनाव के नतीजे आएंगे तो मल-कीचड़, ठोस कचरा और उद्योगों से प्रदूषित राष्ट्रीय नदी का दर्जा रखने वाली गंगा सूबे के 37वें मुख्यमंत्री की साक्षी भी बन जाएंगी. यह भी संभव है कि जीतने-हारने वाले प्रत्याशी को शायद चुल्लू भर गंगाजल की जरूरत पड़ जाए. फिलहाल चुनावी धमक और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर से ऐसा लगता है कि अभी गंगा मईया पर बेटों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ रही है.

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), जो कि एक रजिस्टर्ड सोसाइटी है और जिसे गंगा राज्यों में नदी की साफ-सफाई, साज-सज्जा से जुड़े कामों पर सरकारी एजेंसियों को अमल कराने का जिम्मा सौंपा गया है, उसकी ओर से 30 सितंबर, 2020 को एक बैठक संपन्न हुई है. इस बैठक में गंगा में प्रदूषण की रोकथाम के लिए अन्य राज्यों के साथ बिहार के कामों का भी जायजा लिया गया. बैठक में सबसे पहले यह साफ किया गया कि इसका मकसद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों का पालन करने के लिए है.

बैठक में सभी राज्यों की ओर से अपनी स्थिति स्पष्ट की गई. बिहार का भी नंबर आया, कहा गया कि राज्य में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता लागू है तो अभी हाथ बंधे रहेंगे. नवंबर के बाद गंगा सफाई का काम बहुत तेज कर दिया जायेगा.

इस भविष्य के दावे के अलावा बैठक में गंगा सफाई को लेकर अतीत के कामों और वर्तमान स्थिति की भी बात हुई। डाउन टू अर्थ को मिली बैठक की रिपोर्ट के मुताबिक, एनएमसीजी के वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ ने बताया कि राज्य कुल 65.15 करोड़ लीटर सीवेज प्रतिदिन (651.5 एमएलडी) निकासी करता है जिसमें से महज नौ करोड़ लीटर (90 एमएलडी) पुराने और आठ करोड़ लीटर (80एमएलडी) सीवेज का उपचार नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए होता है. यानी करीब 74 फीसदी सीवेज बिना उपचार के ही गंगा और सहायक नदियों में चला जाता है.

देश की नदियों को मल-प्रदूषण से रोकने के लिए सरकारें फिलहाल एसटीपी को ही कारगर तरीका मानती हैं. इनकी परियोजनाएं, डीपीआर, जगह का अधिग्रहण आदि का काम वर्षों से चल रहा है. सितंबर महीने में ही केंद्र की ओर से कुछ और नए एसटीपी लगाने की घोषणा की गई है. बहरहाल कुल 25 एसटीपी राज्य में प्रस्तावित हैं. इनमें से दो ही पूरे हैं. बाकी सभी एसटीपी कहीं-न-कहीं किसी प्रक्रिया वाली फाइल और संचालित होने के लिए अटके हैं. आचार संहिता लागू है तो अभी काम नहीं होगा और इस दौरान गंगा में सीवेज का प्रवाह बना रहेगा.

ठोस कचरे का भी अंबार अब शहर और गांवों से निकलने लगा है. लिहाजा यह मैदान और फिर नालियों, तालाबों, जलाशयों और किसी न किसी रास्ते नदियों में भी पहुंच ही जाता है. कचरे से निकलने वाला गंदा जल भी भू-जल और नदियों को प्रदूषित करता रहता है. ऐसे में बिहार इसके लिए भी तैयार नही है. इस पर भी चुनाव के दौरान कोई बातचीत नहीं दिखाई देती.

बैठक में बताया गया कि 2,272 टन प्रतिदिन (टीपीडी) कचरा प्रतिदिन राज्य में निकलता है. इसमें से महज 1226 टन कचरा प्रतिदिन प्रोसेस किया जाता है और 112 टन कचरा प्रतिदिन लैंडफिल साइट में गिराया जाता है. 934 टन कचरा यानी करीब 50 फीसदी कचरा प्रतिदिन अब भी राज्य के लिए अनछुआ है. नदियां, तालाब, जलाशय इन कचरों का निवास स्थान बन रहे हैं.

सामूहिक प्रवाह शोधन संयंत्र (सीईटीपी) के लिए भी पांच स्थान बिहार में चुने गए हैं. यह ध्यान रखने लायक है कि स्थान ही चुने गए हैं. जमीन पर अभी कुछ उतरा नहीं है. वहीं, पूर्वी और पश्चमी चंपारण में बहने वाली सिकरहना नदी को मॉडल नदी बनाने के लिए चुना गया है, जिसका जल नहाने लायक बनाया जाएगा. बैठक में बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि इस बात को छुपा ले गए कि आखिर अभी तक क्यों नहीं बनाया गया.

बैठक में गंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए बहुत उत्सुकता दिखाई गई, ऐसा लगा कि जो काम अभी तक नहीं किए जा सके हैं, वे बस चुनाव के कारण रुक गए हैं और उन्हें चुनाव खत्म होते ही बहुत जल्द पूरा कर दिया जाएगा. बहरहाल एनएमसीजी ने बिहार के अधिकारी की उत्सुकता पर विराम लगाया और कहा कि फिलहाल पेपर का कामकाज जारी रखिए, ताकि आचार संहिता बाद नवंबर से काम किया जा सके.

बैठक के अंत में जलशक्ति मंत्रालय के सचिव को यह अच्छा नहीं लगा या बातचीत ही निस्सार लगी कि राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी ही स्थिति बताने और सुनने के लिए इसमें शामिल नहीं हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि बैठक में वरिष्ठ अधिकारी जरूर आने चाहिए, और बैठक की शुरुआत में ही सभी राज्यों को यह चेताया गया कि कम से कम ठोस कचरा प्रबंधन, औद्योगिक प्रदूषण और खतरनाक कचरा, जैविक कचरा आदि के प्रबंधन को लेकर ठोस आंकड़े जुटाए जाने चाहिए. यानी आंकड़ों की कमी अब भी बनी हुई है.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


विवेक मिश्रा, https://www.newslaundry.com/2020/10/22/bihar-election-pollution-clean-ganga-mission-ngt-ganga-bihar-cm


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close