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न्यूज क्लिपिंग्स् | बिहार: 81 लाख से अधिक बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 6 राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है

बिहार: 81 लाख से अधिक बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 6 राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है

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published Published on Aug 22, 2020   modified Modified on Aug 22, 2020

-न्यूजक्लिक,

यह सुनकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में 80 लाख से अधिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए मात्र छह राहत शिविर ही काम कर रहे हैं।

वाम दलों के साथ-साथ अन्य विपक्षी पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में 16 बाढ़-प्रभावित जिलों में बाढ़ पीड़ितों को राहत मुहैय्या कराने को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े किये हैं।

राज्य आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के हिसाब से बाढ़ से कुल (81 लाख) 81,67,671 लोग प्रभावित हैं। लेकिन यहाँ पर मात्र छह राहत शिविर ही चलाए जा रहे हैं, जिनमें 5,198 बाढ़ पीड़ित रह रहे हैं। आधिकारिक आँकड़े उन दसियों हजार बाढ़ पीड़ितों की खोज-खबर को लेकर पूरी तरह से खामोश हैं, जिनके घरों और गाँवों में बाढ़ का पानी घुस जाने के बाद से उन्हें अपने स्थानों को छोड़कर विस्थापन का दर्द भोगना पड़ रहा है।

आधिकारिक आँकड़े में दर्शाया गया था कि 4 अगस्त तक यहाँ पर 17 बाढ़ राहत शिविर चल रहे थे। लेकिन विभाग ने अपने 5 अगस्त के अपडेट में मात्र 8 राहत शिविरों का ही उल्लेख किया है, जिसमें कुल 12,202 बाढ़ पीड़ितों की मौजूदगी को ही दर्ज किया गया था।

हालाँकि बढती महामारी की चिंताजनक की खबरों के बीच बिहार में कोरोनावायरस के 1,12,759 मामले दर्ज किये गए हैं। इस बीच हजारों की तादाद में बाढ़ पीड़ितों ने ऊँचे तटबंधों, राष्ट्रीय राजमार्गों और सरकारी स्कूलों में जाकर आसरा ले रखा है। पिछले महीने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण इलाकों में वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सम्बंधित अधिकारीयों से बाढ़ पीड़ितों का परीक्षण करने और उनमें कोविड-19 का पता लगाने के सन्दर्भ में आदेश दिए थे। 

विभाग के अनुसार सरकार ने अब तक कुल 5,50,792 लोगों को गाँवों से सुरक्षित निकाला है। बाढ़ के चलते आई भयंकर तबाही के मद्देनजर, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की लगभग 27 टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। इस बीच बाढ़ के चलते कम से कम 25 मौतें हो चुकी हैं।

इस सन्दर्भ में सीपीआई(एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि इतनी कम संख्या में सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविरों के इंतजाम को देखते हुए आम लोगों के दुःख-दर्द के प्रति कितनी चिंता है, की पोल पूरी तरह से खुल चुकी है। “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के अपने आंकड़ों में तकरीबन 130 ब्लाक और 1,317 पंचायतें बाढ़ प्रभावित हैं, लेकिन इस सबके लिए मात्र आधा दर्जन ही राहत शिविर हैं। एक असंवेदनशील सरकार का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है।”

सीपीआई(एमएल) नेता धीरेन्द्र झा के अनुसार नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ऐन-केन-प्रकारेण अक्टूबर-नवम्बर में बिहार विधानसभा चुनाव कराने पर आमादा है, और उसे बाढ़ पीड़ितों की कोई चिंता नहीं है। “आज के दिन सैकड़ों राहत शिविरों की जरूरत है, ताकि आमजन को सुरक्षित रखने और उनके लिए भोजन की समुचित व्यवस्था की जा सके। लेकिन सरकार चुनावों की तैयारी में पूरी तरह से मगन है, और बाढ़ पीड़ितों को जिन्दा रहने के लिए संघर्ष करने और अपनी देखभाल खुद से करने के लिए छोड़ दिया है।”

झा का कहना है कि कोरोनावायरस के बीच में ही बाढ़ आपदा को देखते हुए, उनकी पार्टी की मांग है कि सरकार राहत के तौर पर तत्काल 25,000 रूपये, भोजन के सूखे पैकेट और पीने के पानी को सभी बाढ़ प्रभावित गाँवों के परिवारों के बीच वितरित करे। इसके साथ ही मवेशियों के लिए उचित मात्रा में चारे की आपूर्ति और ऊँचे इलाकों में जिन लोगों ने शरण ले रखी है उनके लिए नावों की व्यवस्था की जाए।

वहीँ कांग्रेस विधायक शकील अहमद के अनुसार “मैं दिन-रात बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटा हूँ और उनके दुःख-दर्द को कम से कम करने के लिए भरसक प्रयत्न कर रहा हूँ।”

आरजेडी नेता रामानुजन प्रसाद ने दावा किया कि सीएम नीतीश कुमार का सारा ध्यान इस समय बाढ़ पीड़ितों के बजाय आगामी चुनावों पर लगा हुआ है। “सरकारी दावों के विपरीत बाढ़ पीड़ित लगातार राहत सामग्री, पीने के पानी, नावों की कमी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।”

पर्यावरण कार्यकर्त्ता रंजीव कहते हैं कि इस साल के अंत तक विधान सभा चुनाव होने तय हैं, और ऐसे में सरकार ने मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तहत बाढ़-प्रभावित परिवारों के लिए 6,000 रूपये के प्रावधान की घोषणा करने जा रही है। उनके अनुसार “सरकार के लिए भी सालाना बाढ़ से निपटने के लिए कुछ ठोस काम करने के बजाय इस प्रकार से एक राशि वितरित कर देना काफी आसान काम है।”

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


मो. इमरान खान, https://hindi.newsclick.in/bihar-flood-shelter-home


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