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न्यूज क्लिपिंग्स् | उपभोक्ता अधिकार दिवस: डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिता की राह अभी लंबी है

उपभोक्ता अधिकार दिवस: डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिता की राह अभी लंबी है

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published Published on Mar 15, 2022   modified Modified on Mar 18, 2022

-जनपथ,

15 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस उपभोक्ताओं के अधिकारों एवं उनकी आवश्यकताओं के विषय में वैश्विक स्तर पर जागरूकता उत्पन्न करने का एक अवसर है। इस वर्ष कंज़्यूमर इंटरनेशनल के 100 देशों में फैले हुए 200 कंज़्यूमर समूहों ने “फेयर डिजिटल फाइनेंस” को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम के रूप में चुना है। कंज़्यूमर इंटरनेशनल यह महसूस करता है कि तेजी से बढ़ती डिजिटल बैंकिंग जहां उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रही है वहीं इसके तीव्र प्रसार के कारण सर्वाधिक संवेदनशील समूहों के पीछे छूट जाने का खतरा भी बना हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए साइबर फ्रॉड तब घातक सिद्ध होते हैं जब उनकी जिंदगी भर की जमा पूंजी पल भर में गायब हो जाती है।

फेयर डिजिटल फाइनेंस उपलब्ध कराना सरकारों और सेवा प्रदाताओं के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रहा है। वित्तीय सेवाओं का स्वरूप तेजी से डिजिटल हुआ है। 2007 से 2009 के मध्य आए वित्तीय संकट के बाद नए स्टार्ट अप्स और वित्तीय कंपनियों ने आम जनता एवं विभिन्न व्यवसायों को सीधे वित्तीय उत्पाद एवं सेवाएं देना प्रारंभ कर दिया। यह अब ग्राहक के किसी एक लक्ष्य अथवा आवश्यकता को पूर्ण करने पर ध्यान केंद्रित करने लगे और इनके द्वारा किसी एक उत्पाद या सेवा को बेहतर गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराने की चेष्टा की जाने लगी।

धीरे-धीरे फिनटेक की अवधारणा सामने आई। फिनटेक वह बिंदु है जहां पर वित्तीय सेवाओं और तकनीक का मिलन होता है। मोबाइल आधारित इंटरनेट सेवा और ई-कॉमर्स ने फिनटेक के प्रसार में बहुत बड़ा योगदान दिया है। फिनटेक सेवाओं का स्वरूप बहुत व्यापक है। इनमें बचत, निजी वित्तीय प्रबंधन सुविधा, निवेश और संपदा प्रबंधन, उधार एवं अनसिक्योर्ड क्रेडिट, मोर्टगेज, भुगतान, धन का प्रेषण, ई-कॉमर्स हेतु डिजिटल वॉलेट उपलब्ध कराना, बीमा, क्रिप्टो करेंसी एवं ब्लॉक चेन्स आदि विविध प्रकार की सेवाएं शामिल हैं।

मैकिंसी का आकलन है कि वैश्विक स्तर पर  कम से कम 2000 फिनटेक स्टार्टअप्स परंपरागत एवं नई वित्तीय सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं जबकि लगभग 12000 फिनटेक फर्म्स अस्तित्व में हैं। कैपजैमिनी की 2021 की वर्ल्ड फिनटेक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के दौर में फिनटेक ने न केवल अनुकूलन क्षमता दिखाई बल्कि कोविड-19 के दौरान बैंकों के बंद रहने और नकद लेनदेन न करने के सुझावों ने फिनटेक को बढ़ावा दिया। वर्ल्ड रिटेल बैंकिंग रिपोर्ट 2021 के अनुसार 57 प्रतिशत उपभोक्ता अब पारंपरिक बैंकिंग की तुलना में डिजिटल बैंकिंग को वरीयता देते हैं। 55 प्रतिशत उपभोक्ता मोबाइल एप्स का उपयोग वित्तीय लेनदेन हेतु करने के हिमायती हैं। कोरोना के पहले यह प्रतिशत 47 था। एक्सेंचर का 2020 का सर्वेक्षण दर्शाता है कि अब 50 प्रतिशत उपभोक्ता हफ्ते में कम से कम एक बार मोबाइल एप या वेबसाइट के जरिए अपने बैंक से लेनदेन करते हैं जबकि दो वर्ष पहले ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 32 प्रतिशत थी।

Source: Deccan Herald


दरअसल कोविड-19 के कारण डिजिटल लेनदेन लगभग अनिवार्य बन गया। हमारे देश  के ग्रामीण इलाकों में जहां डिजिटल साक्षरता बहुत कम है और डिजिटल संसाधनों का अभाव है वहां भी लोग डिजिटल लेनदेन के लिए बाध्य हो गए। इस कारण डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन में तो बड़ी वृद्धि हुई किंतु साथ ही साइबर फ्रॉड, फिशिंग और डाटा चोरी एवं एक विशेष उद्देश्य से एकत्रित डाटा का अन्य उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाने की घटनाएं बढ़ीं।

आरबीआई के नवीनतम आंकडों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में डिजिटल भुगतान में 30.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। नवगठित डिजिटल भुगतान सूचकांक (आरबीआई-डीपीआई)  मार्च 2020 के अंत में 207.84 था जो मार्च 2021 के आखिर में  बढ़कर 270.59 हो गया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आइटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नवम्बर 2021 में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2019 में डिजिटल लेनदेन की संख्या 3134 करोड़ थी जो वित्त वर्ष 2020 में बढ़कर 4572 करोड़ हो गई। वित्त वर्ष 2021 में इसमें और बढ़ोतरी हुई और यह 5554 करोड़ हो गई। जबकि वित्त वर्ष 22 में नवंबर के मध्य तक 4683 करोड़ डिजिटल लेनदेन हो चुके थे।

एफआइएस इंटरनेशनल यूएसए की ग्लोबल पेमेंट रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब 68 प्रतिशत उपभोक्ता डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। अप्रशिक्षित भारतीय उपभोक्ताओं ने कोविड-19 के कारण डिजिटल बैंकिंग की दुनिया में झिझकते- सहमते प्रवेश तो ले लिया किंतु उनका पहला अनुभव अनेक बार अच्छा नहीं रहा। उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा। आरबीआइ की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार एक लाख रुपए या उससे अधिक की बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उछाल आया है। वित्तीय वर्ष 2019 में धोखाधड़ी की रकम 71500 करोड़ रुपए थी जो वित्तीय वर्ष 2020 में बढ़कर 1.85 लाख करोड़ हो गई। धोखाधड़ी के मामलों में भी इस अवधि में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हिंदुस्तान टाइम्स की एक  रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2009 से सितंबर 2019 के बीच ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के 1 लाख 17 हजार मामले सामने आए जिसमें 615.39 करोड़ की रकम की धोखाधड़ी हुई।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


डॉ राजू पाण्डेय, https://junputh.com/open-space/consumer-rights-day-road-to-fair-digital-finance-is-long-ahead/
 

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