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न्यूज क्लिपिंग्स् | सुपर फूड बनते मोटे अनाजों को थाली और खेत में वापस लाने की जरूरत

सुपर फूड बनते मोटे अनाजों को थाली और खेत में वापस लाने की जरूरत

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published Published on Jan 16, 2022   modified Modified on Jan 21, 2022

-गांव कनेक्शन, भारत दुनिया का सबसे बड़ा मिलेट (मोटे अनाज) उत्पादक देश है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, झारखण्ड, तमिलनाडु, और तेलगांना आदि प्रमुख मोटे अनाज उत्पादक राज्य हैं। जबकि आसाम और बिहार में सबसे ज्यादा मोटे अनाजों की खपत होती है। देश में पैदा की जाने वाली मुख्य मिलेट फसलों में ज्वार, बाजरा और रागी का स्थान आता है। छोटी मिलेट फसलों में कोदों, कुटकी, सवां आदि की खेती की जाती है। जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी ये फसलें अत्यंत उपयोगी हैं जो कि सूखा सहनशील, अधिक तापमान, कम पानी की दशा में और कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से पैदा कर इनसे अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। इसलिए इनको भविष्य की फसलें और सुपर फूड तक कहा जा रहा है।

पांरपरिक भारतीय अनाजों में स्वास्थ्य का खजाना छुपा है। ज्वार, बाजरा, रागी, कोदों और कुटकी जैसी पुरातन पांरपरिक फसलों को सुपर फूड कहा जाने लगा है। बीते कुछ सालों में कई ऐसी फसलें खेतों में और ऐसा खाना थाली में लौट आया है। जिन्हें कुछ वक्त पहले तक बिल्कुल भुला दिया गया था। मोटे अनाजों को खेेत में और थाली में वापस लाने के लिए और इस पर लगे भूली हुई फसल के टैग को हटाने के लिए ठोस वैश्विक प्रयास की जरूरत है। साल 2018 को भारत में 'ईयर ऑफ मिलेट्स' के रूप में मनाया गया था। भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दरम्यांन लोगों को मोटे अनाजों के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में जागरूक किया जायेगा।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


सतेन्द्र सिंह, https://www.gaonconnection.com/kheti-kisani/health-benefits-millet-farming-india-world-international-year-of-millets-50325


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