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न्यूज क्लिपिंग्स् | जल शक्ति मंत्रालय की कोशिशें सफल रहीं तो जल्दी ही गंगा जल शेयर मार्केट में मिलेगा

जल शक्ति मंत्रालय की कोशिशें सफल रहीं तो जल्दी ही गंगा जल शेयर मार्केट में मिलेगा

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published Published on Jan 10, 2021   modified Modified on Jan 10, 2021

-द प्रिंट,

टाइटल हाइपथेटिकल लग रहा हो तो न्यू नार्मल दौर की इस सामान्य खबर पर नजर डालिए. दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट ने पानी को कमोडिटी मान कर उसका व्यापार शुरू कर दिया है ठीक गोल्ड, क्रूड और दूसरी तमाम कमोडिटी की तरह ही. पानी का ताजा रेट जानने के लिए कृपया गूगल कर लें.

नदियों और दूसरे जल स्रोतों को लेकर चल रही सरकारी चर्चा और चिंता में बाजार के शब्दों का बढ़ता उपयोग बताता है कि भारत में नदियों का पानी तेजी से डेवलप होती कमोडिटी है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री ने ‘अर्थ गंगा’ कहकर की है. उनके इस जुमले के बाद पूरी मशीनरी गंगा को आर्थिक मॉडल बनाने में जुट गई. पिछले दिनों हुए इंडिया वाटर इम्पेक्ट समिट में जलशक्ति सचिव यूपी सिंह ने अपने भाषण में बाजार की तर्ज पर पानी की मांग और पूर्ति पर चर्चा की. उनके भाषण में कहीं भी नदी की अविरलता का जिक्र नहीं था, उनके क्या किसी भाषण में नदी की अविरलता पर बात नहीं हुई, मानों सरकार ने ‘नदी बहेगी’ के विचार से ही गिवअप कर लिया है.

यह समिट जल निकायों, स्थानीय नदियों के व्यापक विश्लेषण और प्रबंधन समेत जल सुरक्षा और प्राकृतिक जल निकायों के कायाकल्प पर चर्चा के लिए आयोजित किया गया था. समिट में इस बात की भरपूर चर्चा हुई कि विदेशी तकनीकें कैसे गंगा के अर्थशास्त्र को बढ़ा सकती है. भविष्य में पानी का बाजार क्लाइमेट चेंज, सिंचाई की जरूरतें, सूखा और बाढ़ के डाटा के आधार पर तय होगा. पानी से जुड़े एनजीओ और सरकारी संस्थाएं भूमिगत जल और नदी के पानी के उपलब्धता के डाटा पर ही काम कर रहे हैं. इन डाटा के बड़े खरीददार बड़ी वॉटलिंग कंपनियां और थिंक टैंक टाइप के एनजीओ है.कुलमिलाकर देश में पानी को कमोडिटी के रूप में स्वीकार करने और व्यापार करने का माहौल बनाया जा रहा है.

सरकारी बाबू भी दबी आवाज में वाटर के कमोडिटी के रूप में ट्रेड करने का समर्थन करते हैं, तर्क यह है कि इससे पानी का दुरुपयोग रुकेगा और जहां पानी की वास्तव में जरूरत है वहां पहुंचेगा. लेकिन सवाल यह है कि आज कौन सा नियम पानी के ट्रांसपोर्टेशन को रोक रहा है. नहरे बनी हुई है और लगातार बन रही है लेकिन वे सूखी है क्योंकि नहरे बनाई जा सकती हैं नदी और पानी नहीं. पानी के कार्पोटाइजेशन का मतलब है जेब के हिसाब से पानी की उपलब्धता नाकि प्रकृति के नियम से. सरकार का काम है पानी का सामान और न्यायसंगत उपलब्धता सुनिश्चित करना नाकि पानी को बाजार के हवाले कर देना.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अभय मिश्रा, https://hindi.theprint.in/opinion/if-the-plan-of-ministry-of-jal-shakti-were-successful-ganga-water-will-soon-be-available-in-stock-market/193577/


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