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न्यूज क्लिपिंग्स् | दवाओं के प्रति क्यों बढ़ रही है बैक्टीरिया, वायरस जैसे रोगजनक सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोक्षक क्षमता

दवाओं के प्रति क्यों बढ़ रही है बैक्टीरिया, वायरस जैसे रोगजनक सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोक्षक क्षमता

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published Published on Jun 5, 2021   modified Modified on Jun 5, 2021

-गांव कनेक्शन,

कोविड महामारी के रूप में समूचा विश्व भीषण स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। इस बीच कई अन्य ऐसी बीमारियां उभरी हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ाए हुए हैं। एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) स्वास्थ्य से जुड़ी एक ऐसी ही चुनौती है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शीर्ष 10 स्वास्थ्य जोखिमों में से एक माना है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2050 तक हर साल करीब एक करोड़ लोग इसकी वजह से मौत के शिकार हो सकते हैं। इनमें से 20 लाख मौतें तो केवल भारत में ही होने की आशंका जतायी जा रही है।

एएमआर एक ऐसी अवस्था है, जहाँ किसी बैक्टीरिया, कवक (फंगी) या फिर विषाणु (वायरस) के कारण होने वाली बीमारी के उपचार में उपयोग होने वाली दवाएं इस कारण निष्प्रभावी हो जाती है, क्योंकि बैक्टीरिया, कवक या वायरस अपने डीएनए में परिवर्तन कर इन दवाइयों के विरुद्ध एक प्रतिरोध बना लेता है। बहुत कम समय में ये रोगजनक सूक्ष्मजीव दवाओं के विरुद्ध अपना कवच तैयार कर लेते हैं, और पहले से अधिक शक्तिशाली बनकर उभरते हैं, जिन्हें सुपरबग्स का नाम दिया गया है। इन सुपरबग्स के तेजी से विस्तार ने बीमारियों के उपचार की अवधि को बहुत लंबा खींच दिया है। इससे उपचार निष्प्रभावी साबित होते दिख रहे हैं। इनसे बीमारी की गंभीरता भी बढ़ रही है, और मौत का जोखिम भी ज्यादा हो गया है।

उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक या फिर अनियमित उपयोग से एएमआर जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं। मवेशियों, जलचरों या फसल की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एंटी-माइक्रोबीअल दवाओं अथवा रसायनों का असंतुलित उपयोग और जलस्रोतों में खतरनाक रसायनों के प्रवाह से दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोध उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीव पर्यावरण में घुल जाते हैं। इस प्रकार ये सूक्ष्मजीव खाद्य उत्पादों या जल के जरिये प्रसारित होकर मानव, पशु और पादप सभी की सेहत के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


इंडिया साइंस वायर, https://www.gaonconnection.com/sehat-connection/increased-resistance-of-pathogenic-microorganisms-to-drugs-49294


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