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न्यूज क्लिपिंग्स् | हिंदू राष्ट्र हो या न हो हम एक ग़ुंडा राज में ज़रूर तब्दील हो गए हैं

हिंदू राष्ट्र हो या न हो हम एक ग़ुंडा राज में ज़रूर तब्दील हो गए हैं

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published Published on Dec 13, 2021   modified Modified on Dec 13, 2021

-द वायर,

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गुड़गांव में शुक्रवार को खुले स्थानों पर नमाज़ अदा करने पर कई दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा उठाई गईं आपत्तियों को लेकर एक सवाल के जवाब में गुड़गांव में संवाददाताओं से कहा, ‘यहां (गुड़गांव) खुले में नमाज़ पढ़ने की प्रथा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’

कोई दूसरा सभ्य समाज होता तो उसका मुख्यमंत्री यह कहता, ‘यहां नमाज़ को बाधित करने वाली गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’

गुड़गांव में पिछले कई हफ़्तों से जुमे की नमाज़ के समय ‘हिंदू’ समूह जो कर रहे हैं, उसे और कुछ नहीं कहा जा सकता. वे आपत्ति नहीं जता रहे हैं, वे नमाज़ के वक्त नमाजियों पर हमले कर रहे हैं, नमाज़ को बाधित करने के लिए भजन-कीर्तन कर रहे हैं.


इसे निश्चय ही आपत्ति नहीं कहा जा सकता, लेकिन मुख्यमंत्री उन्हीं के साथ बैठकर सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने की बात कर रहे हैं. इससे मालूम होता है कि हिंदू राष्ट्र हो या न हो हम एक गुंडा राज में ज़रूर तब्दील हो गए हैं.

पिछले शुक्रवार को एक बार फिर गुड़गांव में नमाज़ की तय जगह पर ‘हिंदुओं’ ने ट्रक, गाड़ियां खड़ी कर दीं, नारे लगाते हुए इकट्ठा हुए और कहा कि वहां वे जनरल रावत के लिए श्रद्धांजलि सभा करेंगे.

इसके पहले हरियाणा के रोहतक से खबर मिली कि ‘हिंदुओं’ की एक भीड़ ने गिरिजाघर में घुसने और उस पर हमला करने की कोशिश की.

द्वारका में उसके पहले ईसाइयों के उपासना स्थल पर हमला किया गया. मध्य प्रदेश की विदिशा में एक मिशनरी स्कूल में घुसकर ‘हिंदुओं’ की भीड़ ने बच्चों को पत्थर मारे और स्कूल में गुंडागर्दी की.

कर्नाटक में जगह-जगह से ईसाइयों की प्रार्थना, उनके गिरजाघरों पर हमलों की ख़बरें आम हो गई हैं. छत्तीसगढ़ में ईसाइयों पर हमले तेजी से बढ़े हैं. सड़क पर किसी पादरी को पीटने से लेकर ईसाइयों के घरों में होने वाले जमावड़ों पर या यों ही उनके ऊपर हमले खबर ही नहीं रह गए हैं.

यह तो यूनाइटेड क्रिश्चियन फ़ोरम या एडीएफ जैसे समूह हैं कि हमें ऐसी हिंसा के बारे में मालूम हो पा रहा है.

इस साल अब तक ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की तकरीबन 350 घटनाओं की जानकारी है. इनमें से मात्र 40 मामलों में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को राजी हुई है. इसका मतलब यह है कि आधिकारिक तौर पर इन्हें अपराध माना ही नहीं जाएगा.

उसी तरह हर शुक्रवार को सामूहिक नमाज़ पर जो हमले किए जा रहे हैं, क्या वे गुड़गांव पुलिस के द्वारा अपराध के तौर पर दर्ज  किए जा रहे हैं? अगर किए जाते तो उन पर कार्रवाई भी होती. वही हिंसक भीड़ बार-बार लौटकर नमाज़ पर हमले नहीं करती.

अगर यह हर शुक्रवार को हो रहा है तो इसका मतलब ही है कि गुड़गांव पुलिस की निगाह में हिंसक भीड़ सम्मानित जन समूह है, जिससे समझौता किया जाना चाहिए. वह भीड़ कह रही है कि हम खुले में नमाज़ नहीं होने देंगे.

खबर है कि बैठक में पुलिस अधिकारी खुशामद के स्वर में उनसे कह रहे हैं कि धीरे-धीरे नमाज़ की जगहें घटाई जाएंगी. आप धैर्य रखें. पुलिस के द्वारा जिस स्थल पर नमाज़ की अनुमति दी गई है अगर उस जगह आराम से ट्रक, गाड़ियां खड़ी कर दी जा रही हैं, तो मानना चाहिए कि पुलिस ऐसा होने दे रही है.

वह नहीं कह सकती कि वह रोकना चाहती थी, रोक नहीं पाई. अब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी कह ही दिया, जो पिछले  हफ्ते तक ये हिंसक समूह कह रहे थे कि खुले में नमाज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी. तो हिंसा का स्रोत मालूम हो गया.

हिंसा कितनी तरह से की जा रही है, इसके ब्यौरे पढ़ने पर शर्म आने लगती है कि हम इसी मुल्क में रह रहे हैं.

एक पादरी को पीटते हुए उसकी पत्नी को जबरदस्ती सिंदूर लगाने से क्या आनंद मिलता है, यह कल्पना करना भी कठिन है. या शयद इतना भी मुश्किल नहीं.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अपूर्वानंद, http://thewirehindi.com/196446/india-hindu-rashtra-attacks-on-muslims-and-christians/


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