Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जेएनयू हिंसा: नौ महीने बाद कहां पहुंची जांच

जेएनयू हिंसा: नौ महीने बाद कहां पहुंची जांच

Share this article Share this article
published Published on Oct 8, 2020   modified Modified on Oct 8, 2020

-न्यूजलॉन्ड्री,

“बहुत ही मायूसी है. जिस तरह से इस घटना से यूनिवर्सिटी का डेमोक्रेटिक स्पेस गिरा था, उसे यूनिवर्सिटी और प्रशासन ने वापस सही करने की कोशिश नहीं की. और फिलहाल तो हमें कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही क्योंकि बिना इनकी मिलीभगत के यूनिवर्सिटी में इतना कुछ होना संभव नहीं हैं. नौ महीने में 0.9 प्रतिशत भी केस आगे नहीं बढ़ा है.”

जवाहर लाल नेहरू यानी जेएनयू के छात्रसंघ महासचिव सतीश चंद ने कैम्पस में पांच जनवरी को हुई हिंसा के बाद केस की स्थिति के बारे में पूछने पर निराशा से ये बातें कहीं. सतीश उस दिन जेएनयू में टी-पॉइंट पर थे जब ये घटना हुई. पीएचडी कर रहे सतीश कुमार ने कहा, “हम तो अब तक इंतजार कर रहे हैं कि पुलिस की उस मामले में कोई कार्यवाही दिखे या हम लोगों को पता चले कि इस मामले में ये हुआ है. जहां तक मेरी जानकारी है, अभी तक एक भी चार्जशीट इस मामले में नहीं हुई है.”

सतीश चंद ने बताया कि यूनियन की तरफ से जनवरी से ही लगातार इस केस के बारे में कार्यवाही की डिमांड की जा रही है कई बार प्रदर्शन कर एडमिनिस्ट्रेशन पर दबाव बनाने की कोशिश भी की गई लेकिन अभी तक न तो कुछ हुआ और प्रसाशन की तरफ से कोई उचित कार्यवाही का आश्वासन भी नहीं दिया गया है. और न ही हमें इस केस के बारे में कोई जानकारी दी जा रही है.

“इसमें साफ तौर पर जेएनयू के एबीवीपी छात्र और वो फैकल्टी जो आरएसएस से संबंधित है शामिल थे. एक जो व्हाटसएप्प चैट वायरल हुआ था, उसमें बहुत से पदाधिकारी भी शामिल थे. और आज भी वह लोग कैम्पस में न सिर्फ आराम से हैं, बल्कि लड़ाई-झगड़ा भी कर रहे हैं. अगर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इस पर कुछ करता, या पुलिस पर दवाब बनाता तो कुछ होता.

लेकिन अभी तो वो भी इन्हीं के पक्ष में खड़ा हुआ है, और उनमें किसी पर भी कार्यवाही होती हुई नहीं दिख रही है,” सतीश ने कहा.” दरअसल दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के परिसर में रविवार पांच जनवरी की शाम कुछ नकाबपोश हमलावरों ने 30 से ज्यादा छात्रों और अध्यापकों को घायल कर परिसर में तोड़-फोड़ की थी. घायल हुए छात्रों ने इस हिंसा में एबीवीपी और विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत का आरोप भी लगाया था. न्यूजलॉन्ड्री में तब छपी एक रिपोर्ट में भी छात्रों ने दावा किया था कि इस हिंसा में एबीवीपी के लोग शामिल थे.

हालांकि एबीवीपी ने इन आरोपों का खंडन किया था और इस हमले के लिए वामपंथी छात्र संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था. इस घटना की खबर आने के बाद पूरे देश में अलग अलग जगहों पर छात्रों ने प्रदर्शन भी किया था. जेएनयू से पीएचडी कर रहीं अपेक्षा भी उस हिंसा का शिकार होने वालों में से हैं, उनके हाथ में फैक्चर हो गया था. उन्होंने हमें बताया, “हम सबने वसंत कुंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

लेकिन अभी तक उन्होंने ये एफआईआर में भी कन्वर्ट नहीं की है. उसी टाइम एक पुलिस की स्पेशल टीम जेएनयू जरूर आई थी जिसने हमारी दोबारा से शिकायत सुनी. लेकिन उसके बाद से कुछ नहीं हुआ, जबकि मैंने वीडियो सबूत भी दिए थे, जिसमें जेएनयू एबीवीपी के शिवम चौरसिया सहित और लोग शामिल थे. लेकिन फिर लॉकडाउन हो गया और पुलिस ने भी अभी तक हमसे कोई सम्पर्क नहीं किया है. पुलिस तो छोड़िए एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से भी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई और न ही कोई कार्यवाही की.” “और हमें कोई उम्मीद भी नहीं है क्योंकि जो प्रॉक्टर हैं धनंजय सिंह, उनका खुद का नाम व्हाटसएप चैट में था जो तब वायरल हुई थी. अब जो खुद अटैक की प्लानिंग में थे तो आप क्या उम्मीद करोगे,” अपेक्षा ने कहा.

अपेक्षा बताती हैं, “फीस बढ़ोतरी के कारण वहां कई दिन से प्रदर्शन चल रहे थे. तो चार जनवरी को भी वहां हिंसा हुई और मैं तभी घायल हो गई थी और एम्स ट्रॉमा सेंटर में थी. फिर पांच को टीचर्स ने प्रोटेस्ट बुलाया था उसी समय बाहर से गुंडे आ गए और हिंसा की.” इस घटना के बाद कुछ मीडिया रिपोर्टस में भी दावा किया गया था कि चीफ प्रॉक्टर और एबीवीपी के पदाधिकारी तीन ऐसे वाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे जिनमें बीते रविवार को हिंसा की धमकी देते मैसेज चल रहे थे. ये व्हाटसएप चैट भी काफी वायरल हुई थी.

ज्योति प्रियदर्शिनी से हमारी मुलाकात जेएनयू के गेट पर हुई. उस घटना को याद करते हुए ज्योति सिहर जाती हैं. ज्योति ने कहा, “बहुत डरावनी थी वह घटना. शाम का वक्त था जब वह हिंसक भीड़ साबरमती हॉस्टल में घुसी. उनके पास पत्थर, हॉकी, डंडे आदि थे. जैसे ही वो आए हमने वीमन हॉस्टल गेट पर ह्यूमन चैन बना ली. उन्होंने हमें काफी डराया लेकिन हमने उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया. इस बीच एक पत्थर मुझे भी आकर लगा.” ज्योति ने बताया, “हमने इसकी शिकायत दर्ज की, लेकिन उसके बाद अभी तक कुछ नहीं हुआ है. इसके बाद बहुत से छात्रों ने दिल्ली पुलिस कमीश्नर अमूल्य पटनायक को इस बारे में मेल भी किया था. जिसमें वहां से जवाब आया कि इस मामले को आगे भेज दिया गया है. बाकि कुछ होता तो दिख नहीं रहा.”

उस शाम सूर्यप्रकाश साबरमती हॉस्टल के अपने कमरे में पढ़ाई कर रहे थे. पीएचडी के साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे विजुअली चैलेंजड सूर्यप्रकाश पर भी गुंडों ने कोई रहम नहीं किया था. लॉकडाउन के कारण अपने घर जा चुके सूर्य ने केस के बारे में पूछने पर कहा, “घं... कुछ नहीं हुआ सर...कुछ भी नहीं हुआ, जिसको कहा जाए..Nothing. हमने जब उस शाम भी पुलिस को कॉल किया था तो वह कह रही थी कि तुम लोग पिट लो, बदमाशियां बढ़ गई हैं, फिर हम आएंगे. ये ऑन रिकॉर्ड है. मैं लगातार 10 दिन थाने गया था. लेकिन कोई रेस्पॉन्स नहीं आया.” “जबकि मैं तो एक कॉमन छात्र हूं, लेफ्ट-राइट किसी के साथ नहीं. मुझे मारने के साथ मेरे सारे कमरे को तहस-नहस कर दिया. दारू की महक भी उनके मुंह से आ रही थी. और जब ये आए तो हॉस्टल की लाइट भी काट दी गई थी. इससे पूरे जेएनयू की दुनिया भर में बदनामी हुई.” सूर्यप्रकाश ने कहा. इस घटना में जेएनयू की प्रोफेसर सुचारिता सेन भी गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. इस केस में प्रशासन के ढ़ीले-ढ़ाले रवैये को लेकर प्रोफेसर सुचारिता ने पटियाला हाई कोर्ट में याचिका दायर की कि इस केस में चार्जशीट दाखिल की जाए और इस केस में तेजी लाई जाए. लेकिन हाईकोर्ट में भी इस केस को कोविड के कारण टाल दिया गया है.

प्रोफेसर सुचारिता ने हमें बताया, “अभी तो कुछ नहीं हुआ, जो सेपरेट एफआईआर फाइल करनी थी वह भी अभी तक नहीं हुई है. सिर्फ एक एफआईआर पूरी घटना पर हुई है. हां हिंसा की जगह फोकस उस बात पर हो रहा है कि वो सर्वर रूम में शट-डाउन किसने और कैसे हुआ. मतलब सब कुछ उल्टा हो रहा है. आजकल तो वैसे भी पीड़ित को ही आरोपी बनाने का ट्रेंड चल रहा है. और जो साफ लोग हिंसा करते दिख रहे थे, फोटो-वीडियो वायरल हुए थे, उनका तो कुछ नहीं हुआ...Nothing. जबकि एक तरफ पुलिस खड़ी थी और दूसरी तरफ गुंडे.” “मेरे पास भी पुलिस दो महीने बाद आई थी पूछताछ करने. जो मैंने कोर्ट में केस डाला उसमें दो बार तारीख लगी. एक बार तो जज एबसेंट थे और दूसरी बार भी कुछ नहीं हो पाया.”

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


मोहम्मद ताहिर, https://www.newslaundry.com/2020/10/08/jnu-violence-abvp-jnu-violence-abvp-delhi-police-jnu-student-bjp-jnu-attack


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close