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न्यूज क्लिपिंग्स् | आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह

आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह

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published Published on Mar 6, 2020   modified Modified on Mar 6, 2020

-बीबीसी हिंदी,

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है.

द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं.

मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना कर रहा है.

अपने लेख में सिंह ने कहा, "सामाजिक तनाव और आर्थिक बर्बादी तो स्व-प्रेरित हैं लेकिन कोरोना वायरस की वजह से हो रही कोविड-19 बीमारी बाहरी झटका है. मुझे ग़हरी चिंता है कि ख़तरों का ये मेल न सिर्फ़ भारत की आत्मा को छलनी कर सकता है बल्कि दुनिया में हमारी आर्थिक और लोकतांत्रिक ताक़त और वैश्विक पहचान को भी कम करेगा."

दिल्ली में बीते सप्ताह हुए दंगों का हवाला देते हुए मनोहन सिंह ने लिखा, "बीते कुछ हफ़्तों में दिल्ली में भीषण हिंसा हुई. हमने बेवजह अपने 50 के क़रीब भारतीयों को खो दिया. कई सौ लोग घायल हुए हैं. यूनिवर्सिटी परिसर, सार्वजनिक स्थान और लोगों के निजी घर सांप्रदायिक हिंसा का दंश झेल रहे हैं. ये भारत के इतिहास के काले पन्नों की याद दिला रहे हैं."

पुलिस पर निशाना साधते हुए सिंह ने लिखा, "क़ानून व्यवस्था लागू करने वाले इदारों ने नागरिकों की सुरक्षा के अपने धर्म को त्याग दिया है. न्याययिक प्रतिष्ठानों, और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया ने भी हमें निराश किया है."

उन्होंने लिखा, "बिना रोकटोक के, सामाजिक तनाव की आग देश में फैल रही है और हमारे देश की आत्मा के लिए ख़तरा बन गई है. इस आग को वही लोग बुझा सकते हैं जिन्होंने ये आग लगाई है. सांप्रदायिक हिंसा की हर घटना गांधी के भारत पर धब्बा है."

सिंह ने कहा है कि सामाजिक तनाव का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी होगा.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


-बीबीसी हिंदी, https://www.bbc.com/hindi/india-51764025
 

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