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न्यूज क्लिपिंग्स् | लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद एक बार फिर काम की तलाश में वापस लौटने लगे मजदूर

लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद एक बार फिर काम की तलाश में वापस लौटने लगे मजदूर

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published Published on Jun 17, 2020   modified Modified on Jun 17, 2020

-गांव कनेक्शन,

लॉकडाउन में जो मजदूर किसी तरह परेशानियों को झेलते और जद्दोजहद के बाद अपने गाँव पहुंचे थे, एक बार फिर जहां से आए थे काम की तलाश में फिर से वहीं के लिए लौटने लगे हैं। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर से मजदूरों का राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में काम के लिए पलायन शुरू हो गया है। ठेकेदार एक बार फिर अपनी जरूरत के लिए इन लोगों को मोटी रकम का लालच देकर काम के लिए अपने मूल ग्राम से ले जा रहे हैं।

देवझिरी के प्रवासी मजदूर गल सिंह भूरिया कहते हैं, "हम गुजरात के गांधीनगर से आए थे। यहां पर मजदूरी तो मिली लेकिन पैसा बहुत कम मिलता है। 190 रुपए रोज ही काम के मिल रहे हैं। जबकि हमारी जरूरत बहुत अधिक है। इसलिए हम वापस ठेकेदार के साथ जा रहे हैं। वहां हमको 400 रु रोज की दिहाड़ी मिलेगी। वहीं झेकला गाँव के रूप सिंह सत्या ने बताया कि हमारा ठेकेदार हमको लेने आया है। उसने गुजरात बॉर्डर पर बुलाया। हम वहां से बस में रवाना हो रहे हैं। हमको फिर से वह काम दे रहा है। ठेकेदार ने बोला है कि अब कोई परेशानी नहीं आएगी। इसलिए उस पर भरोसा कर वापस गुजरात जा रहे हैं। राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों का पंजीयन किया है। इसमें आलीराजपुर में 14 हजार मजदूर, धार जिले में 11 हजार मजदूर और झाबुआ जिले में करीब 24 हजार मजदूरों का पंजीयन हुआ है। पंजीयन के बाद में अब रोजगार शिविर लगाने की बात कही जा रही है। इस तरह के दावों के बीच में सबसे बड़ी समस्या यह है कि आखिर में पलायन फिर से क्यों शुरू हो गया है।

रोजगार गारंटी योजना के तहत बड़ी संख्या में रोजगार देने का दावा किया गया। लेकिन जिस तरह की समस्याएं बनी हुई है। उसके मद्देनजर फिर से पलायन शुरू हो गया है। "हम लंबे समय से परेशान हो गए हैं। पहले तो हम बहुत तकलीफ के बाद अपने घर आए। जैसे-तैसे हम पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे। यहां पर हमारे पास में अच्छा रोजगार नहीं है। मशीन चलाना जानते थे। लेकिन यहां पर भीषण गर्मी में मजदूरी करना पड़ी। मोरबी शहर में फिर से काम शुरू हो गया है। अब हम अपने पुराने काम को ही चालू करेंगे।" ग्राम पिपलिया के राजू सुभान ने बताया।

इस संबंध में क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मचार का कहते हैं, "मध्य प्रदेश सरकार ने बहुत लंबी प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए बनाई है। प्रवासी मजदूरों का पंजीयन किया गया। पंजीयन करने पर बड़ी संख्या में मजदूर की जानकारी आई है। इनको रोजगार गारंटी योजना में तो रोजगार दे रहे हैं। चिंता का विषय यह है कि आखिर में जो कुशल मजदूर हैं, उनसे कम पैसे में कब तक काम करवाया जा सकता है। उनके लिए अभी तक औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए कोई फैसला नहीं लिया गया है। जब तक इन लोगों को घर पर ही रोजगार नहीं मिलेगा। तब तक कोई फायदा नहीं है। रोजगार मामलों के विशेषज्ञ प्रकाश पाटीदार का कहना है कि जब तक मजदूरों को पर्याप्त राशि नहीं मिलेगी। तब तक वह पलायन करते रहेंगे।

आत्मनिर्भर बनाने केवल कागजों तक ही सीमित नहीं रह सकती। इसके लिए जरूरी है कि मैदानी स्तर पर उसका क्रियान्वयन हो। वर्तमान में मजदूरों को 100 र दिन का रोजगार है और उसके बाद में किसी तरह की कोई प्लानिंग नहीं है। इसीलिए कम मजदूरी और बिना प्लानिंग के कोई भी लंबे समय तक मूल स्थान या जिले में नहीं रह सकता है। परिणाम स्वरूप पलायन का दौर शुरू हो गया है। धार जिले के श्रम पदाधिकारी अनिल भोर का कहना है कि हम लोग पंजीयन करवा चुके हैं। शासन के निर्देश के चलते जल्द ही रोजगार देने के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से शिविर आयोजित किए जाएंगे। शिविर के माध्यम से रोजगार देने का प्रयास किया जाएगा। इसमें रोजगार विभाग से लेकर उद्योग विभाग आदि की समन्वयक की भूमिका में रहेंगी।

धार जिला रोजगार अधिकारी प्रीति सस्ते का कहना है कि इस दिशा में प्रवासी पोर्टल पर जानकारी दर्ज की जा रही है। लोगों को रोजगार देने के लिए रोजगार दाताओं से जानकारी ली जा रही है। अनलॉक में सेहत से खिलवाड़ इधर जिस तरह से पलायन हो रहा है। उसको लेकर भी दिक्कतें बनी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश पाटीदार का कहना है कि मजदूरों को बसों में ठुंस- ठुंस कर ले जाया जा रहा है। ठेकेदार अपनी खुद की बसें किराए से ला रहे हैं और उसमे बैठा कर ले जाया जा रहा है। किसी प्रकार से सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं किया जा रहा है। मास्क और सैनिटाइजर तो बहुत ही दूर की बात है। ऐसे में इन अव्यवस्थाओं में मजदूरों की जिंदगी को बहुत ही खतरे में डाला जा रहा है। हालात यह है कि कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी आगामी दिनों में फैली तो सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित होंगे। इस विषय पर किसी का भी ध्यान नहीं है।
पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
 


प्रेम विजय, https://www.gaonconnection.com/desh/migrants-return-once-again-in-search-of-work-after-reverse-migration-in-lockdown-47710


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