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न्यूज क्लिपिंग्स् | MP: रुपए नहीं थे तो कूड़ा इकट्ठा कर किया पत्‍नी का अंतिम संस्‍कार, पंचायत ने नहीं दी मदद

MP: रुपए नहीं थे तो कूड़ा इकट्ठा कर किया पत्‍नी का अंतिम संस्‍कार, पंचायत ने नहीं दी मदद

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published Published on Sep 5, 2016   modified Modified on Sep 5, 2016
मध्य प्रदेश में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। इंदौर से करीब 275 किलोमीटर दूर स्थित रतनगढ़ गांव में एक आदिवासी को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार कागज, टायर, प्लास्टिक बैग और झाड़ियों से करना पड़ा क्योंकि उसके पास लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे। अपनी पत्नी की मौत से दुखी और पंचायत के इस बेरहम रुख के कारण उसे पत्नी की चिता जलाने के लिए तीन घंटे तक कचरा इकट्ठा करना पड़ा। प्लास्टिक बैग उठाते देख कुछ लोगों ने पत्नी को पानी में बहाने का भी सुझाव दिया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला शुक्रवार का है। पति जगदीश ने बताया कि मेरी पत्नी नोजीबाई की मौत शुक्रवार सुबह हुई थी। लकड़ी का इंतजाम करने के लिए हम रतनगढ़ पंचायत के पास गए, लेकिन मुखिया ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास ‘पारची' के लिए पैसे नहीं है। पारची के लिए 2500 रुपए का खर्च होता है। इसके बाद मदद के लिए पीड़ित सभासद नत्थुलाल भिल के पास गए लेकिन वह बाहर थे। उन्होंने बताया कि किसी ने हमारी मदद नहीं की। नोजीबाई के देवर शंकर ने बताया कि हम मदद की अपील कर रहे थे और कई लोग हमे शव को डिस्पोज करने की सलाह दे रहे थे। वहीं से गुजर रहे आदमी ने कहा कि अगर पैसे नहीं हैं तो शव को नदी में फेंक दो। जगदीश का परिवार और कुछ दोस्त करीब तीन घंटे तक प्लास्टिक बैग्स, पेपर और लकड़ी इकट्ठा करते रहे।

जगदीश ने बताया कि कोई भी रास्ता नहीं निकलने के बाद परिवार ने फावड़े का इंतजाम करके शव को दफनाने का फैसला किया। हम कब्र खोदने जा रहे थे उसी दौरान एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हमसे संपर्क किया। उन्होंने बखरी हुई लड़कियों और दूसरे सामान इकट्ठा करने में मदद की, जिसके बाद हम अंतिम संस्कार कर सके । 5 बजे के करीब हमने चिता को आग लगाई। कुछ देर बाद इस बात की खबर प्रशासन को लगी तो मदद के लिए कुछ लकड़ियां भेजी लेकिन तक तक अंतिम संस्कार खत्म होने वाला था।

नीमच के कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि परिवार को हुई इस असुविधा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जैसे ही मुझे घटना की जानकारी मिली मैंने एसडीएम को तुरंत परिवार को लड़कियां उपलब्ध करवाने को कहा। हमने देर कर दी लेकिन लकड़िया पहुंचा दी। उन्होंने बताया कि जिम्मेदार एथॉरिटीज को नोटिस जारी किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले ओडिशा में एक व्यक्ति को 10 किमी तक अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर चलना पड़ा था क्योंकि महिला के मौत होने पर एंबुलेंस ने उन्हें बीच रास्ते में उतार दिया था।


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