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न्यूज क्लिपिंग्स् | विश्व मधुमक्खी दिवस पर आनलाइन कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन - डॉ. कुमार

विश्व मधुमक्खी दिवस पर आनलाइन कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन - डॉ. कुमार

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published Published on May 27, 2020   modified Modified on May 27, 2020

-फसलक्रांति, 

कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ.अखिलेश कुमार ने विश्व मधुमक्खी दिवस पर मुधमक्खीपालन एवं मधुमक्खी पालन में जैवकीटनाशकों के महत्त्व पर कृषकों को आनलाइन प्रशिक्षण दिया गया जिसमें शुरूवाती समय में इस वैश्विक महामारी कोविद-19 से बचाव के लिए कृषकें को दो गज की दूरी, मास्क लगाने, साबुन से कम से कम 20 सेंकेण्ड तक दिन में 5-6 बार हाथ धोने, सैनिटाइजर का प्रयोग के साथ-साथ बिना आवश्यक कार्य के घर से बाहर न जाने की सलाह दी गई। डॉ. कुमार ने बताया कि मधुमक्खीपालन से कृषकों मधु से आमदनी होने के साथ-साथ फसलों के उत्पादन एवं गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।

विश्व में हमारे देश का शहद उत्पादन में पाचवाँ स्थान है वर्तमान में शहद की उपलब्धता 10 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है, जबकि मात्रा 50 ग्राम होनी चाहिए। जबकि विकसित देशों में शहद की उपलब्धता 250 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। पोषणीय दृष्टिकोण से मधु का महत्तव अधिक है साथ ही साथ फसलों में परागण की प्रक्रिया 2 प्रतिशत से 300 प्रतिशत तक फसलों में वृद्धि होती है। आजकल फसलों में रासायनिक दवाओं का प्रयोग ज्यादा होता है तो धीरे-धीरे मधुमक्खियों की संख्या लगातार कम हो रही है इसलिए जैविक खेती में इनका महत्त्व और बढ जाता है जिसमें जैव कीटशाकों जेसे नीम के उत्पाद, लाभदायक फफूदीनाशक, जीवाणुनाशक, विषाणुनाशक के साथ जैविक कीटों का प्रयोग फसलों में लगने वाले हानिकारक कीट को नियंत्रित करते है और मधुमक्खियों पर इसका बुरा प्रभाव नही पड़ता है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


फसल क्रांति, https://fasalkranti.com/news/online-farmer-training-program-organized-on-world-bee-day-dr-kumar/


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