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न्यूज क्लिपिंग्स् | पंचतत्व: 5G की तकनीक पीछे जाने का पुल खत्म कर देगी!

पंचतत्व: 5G की तकनीक पीछे जाने का पुल खत्म कर देगी!

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published Published on Jan 29, 2022   modified Modified on Jan 29, 2022

-जनपथ,

कुछ दिन हुए जब अमेरिका में कुछ उड़ानों को लेकर खबरें आई थीं। अमेरिका में 5G इंटरनेट सेवा शुरू हुई तो इसका असर विमानों पर देखने को मिला। इस 5G के कारण एयर इंडिया ने भारत-अमेरिका मार्गों पर 14 उड़ानें रद्द कर दी थीं। विमानन कंपनियों के लिए अमेरिका में 5G सेवा का शुरू होना एक संकट की स्थिति पैदा कर रहा है। दरअसल, इस बात का अंदेशा जताया जा रहा है कि 5G से विमानों की लैंडिग में किसी तरह की दिक्कतें आ सकती हैं जिससे एक विमान का रनवे पर रुकना काफी मुश्किल हो जाएगा।

यह बेशक विमानों के लिए एक मुसीबत की तरह है जिसका निदान निकाल लिया जाएगा, लेकिन उड़ने वाली तमाम चीजें विमान नहीं होती हैं। उसके निदान के बारे में हम नहीं सोचते। क्या सरकारों ने कभी सोचा भी है कि इस 5G का जीवों और जैव-विविधता पर क्या असर होगा?

हर खगोलीय पिंड की तरह हमारी धरती का भी विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र (ईएमएफ) है और इस धरती पर अरबों बरसों के दौरान जीवन ने इस ईएमएफ के साथ रहने के लिए सामंजस्य बिठा लिया है। हर सजीव पर इस ईएमएफ का प्रभाव पड़ता है। हम अपनी शरीर की कोशिकाओं के बीच भी संवाद के लिए ईएमएफ का इस्तेमाल करते हैं। जीवविज्ञान में विद्युत, चुंबकीय और विद्युत-चुंबकीय क्षेत्रों की भूमिकाओं पर खोजबीन अभी शुरुआती दौर में ही है।

वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित किया जा चुका है कि मानव निर्मित ईएमएफ के कारण जीवों पर प्रतिकूल जैविक प्रभाव पड़ते हैं। पिछले दशकों में तैनात वायरलेस तकनीकों ने हमारे पर्यावरण में ईएमएफ के स्तर को लगातार बढ़ाया है। वायरलेस संचार तकनीकों जैसे डीईसीटी कॉर्डलेस फोन, वाई-फाई, ब्लूटूथ, 2G, 3G और 4G से आप परिचित ही होंगे। यह सारी तकनीक सभी फ्रीक्वेंसी के बीच उच्चतम ईएमएफ एक्सपोजर स्तर को कई गुना बढ़ा चुकी है। वायरलेस तकनीकों से पैदा होने वाला इलेक्ट्रोस्मॉग पहले से ही प्राकृतिक स्तर से 10 लाख खरब (आप गिन नहीं पाएंगे) गुना अधिक है। 5G इसमें रेडिएशन की एक और परत जोड़ देगा।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


मंजीत ठाकुर, https://junputh.com/column/panchatatva-5g-technology-and-its-impact-on-environment/


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