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न्यूज क्लिपिंग्स् | पेगासस प्रोजेक्ट: अंतर्राष्ट्रीय खुलासे

पेगासस प्रोजेक्ट: अंतर्राष्ट्रीय खुलासे

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published Published on Aug 30, 2021   modified Modified on Aug 31, 2021

-न्यूजक्लिक,

नौ बहरीनी कार्यकर्ताओं के फोन नंबरों में एनएसओ स्पाईवेयर द्वारा छेड़छाड़ की गई है

सिटीजन लैब, कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय में स्थित एक अन्तर्विभागीय अनुसंधान प्रयोगशाला है, जिसने हाल ही में एक रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की है कि देश के भीतर और बाहर नौ बहरीनी कार्यकर्ताओं के फोन पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर संक्रमित किये गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कम से कम चार पीड़ित ऐसे हैं जिनके फोन को बहरीन सरकार द्वारा निश्चित रूप से हैक कर लिया गया था। 

जून 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक पेगासस के जरिये नौ कार्यकर्ताओं के फ़ोनों को सफलतापूर्वक हैक कर लिया गया था। इनमें से तीन लोग बहरीन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के सदस्य थे, जो कि बहरीन के सबसे बड़े वामपंथी राजनीतिक दल, वाद के सदस्य थे, जिन्हें आतंकवाद के मनगढ़ंत आरोपों  के आधार पर 2017 में निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा इसमें एक भूमिगत शाइते अल-वेफाक राजनीतिक दल के सदस्य और दो निर्वासित बहरीनी असंतुष्टों के फोन की हैकिंग भी शामिल है। 

पीड़ितों में से एक उस समय लंदन में थे, जब पता चला कि उनके फोन को हैक कर लिया गया है। सिटीजन लैब ने दावा किया है कि उनके रिसर्च के मुताबिक, बहरीन सरकार ने सिर्फ बहरीन और क़तर के भीतर ही पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी करवाई है। इसका अर्थ यह हुआ कि इस विशेष पीड़ित व्यक्ति को एनएसओ ग्रुप के किसी अन्य ग्राहक के जरिये लक्षित किया गया था, जो कि पेगासस सॉफ्टवेर के निर्माण और बिक्री करने वाली इजरायली कंपनी है। 

पेगासस प्रोजेक्ट इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियम द्वारा हासिल की गई कथित पेगासस की लक्षित सूची में शामिल इन नौ कार्यकर्ताओं में से पांच नंबरों से सम्बद्ध व्यक्तियों को कई साल पहले 2016 से ही लक्षित किया जा रहा था।

बहरीन किंगडम, जिस पर 1783 से अल खलीफा वंश का शासन रहा है, का अपने ही नागरिकों पर निगरानी बनाये रखने के लिए व्यावसायिक स्पाईवेयर का इस्तेमाल करने का लंबा इतिहास रहा है। इसका मानवाधिकारों को लेकर भी भयानक ट्रैक रिकॉर्ड है। लेकिन इस सबके बावजूद, एनएसओ ने अपने पेगासस स्पाईवेयर को बहरीन को बेचा, जो एनएसओ के अपने संभावित ग्राहकों के मानवाधिकारों के ट्रैक रिकार्ड्स को भलीभांति परखने के दावों पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। 

अज़रबैजान का डिजिटल नियंत्रण और पत्रकारों को निशाना बनाना 

पेगासस प्रोजेक्ट कंसोर्टियम के एक सदस्य, द आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने पिछले महीने सूचित किया था कि कथित जासूसी सूची में अजरबैजान से एक हजार से अधिक की संख्या में नंबरों को रखा गया था। इसने उन्हें संकेत दिया था कि वे व्यक्तिगत रूचि और संभावित निशाने पर रखे गए लोगों के फोन नंबर थे।

इनमें से पेगासस प्रोजेक्ट कुल 245 फोन नंबरों की पहचान कर पाने में सफल रहा है। इन पहचान में आ चुके नंबरों में से ज्यादातर फोन पत्रकारों, असंतुष्टों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अज़र्बेजानी शासन के राजनीतिक विरोधियों के पाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, स्नूपिंग सूची में उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों तक के नाम हैं।

सूची में ऐसे नाम दर्ज थे, जिनका सरकार की निरंकुश नीतियों, राजनीतिक गलियारों में व्याप्त भ्रष्टाचार, चुनाव में धांधलेबाजी, मानवाधिकार के बिगड़ते ट्रैक रिकॉर्ड, और नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ सवाल उठाने के कारण अज़रबेजानी सरकार द्वारा उत्पीड़न का लंबा इतिहास पाया गया है। 

अजरबैजान में प्रेस की आजादी पर लगाम लगाने और सेंसरशिप लगे होने के कारण पत्रिकारिता कर पाना लगातार मुशिकल होता जा रहा है। अधिकांश रिपोर्टरों, संपादकों और मीडिया कंपनी के मालिकों को कथित सूची में डालकर उनके उपर लक्षित उत्पीड़न, आपराधिक आरोपों को थोपना, यात्रा प्रतिबंधों और यहाँ तक कि राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव के निरंकुश शासनकाल में उनके 2003 में विवादित चुनाव में सत्तानशीं होने के बाद से लौह दस्तानों के साथ शासन करने के दौरान कारावास की सजा तक भुगतनी पड़ी है।

यदि पत्रकारों ने अलियेव या उनके राजनीतिक दल, द न्यू अज़रबैजान पार्टी जो 1993 से सत्ता में है, को नकारात्मक रूप में पेश किया, तो उस स्थिति में वहां पर पत्रकारों को गंभीर व्यक्तिगत जोखिम के तहत काम करना पड़ता है । यह देश में एक खुला रहस्य है कि असंतुष्टों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों सहित कुछ सरकार समर्थकों तक को निगरानी के तहत रखा जाता है, जिसे सरकार गहन परिष्कृत डिजिटल उपकरणों के माध्यम से लगातार करती आ रही है।

सबसे उल्लेखनीय, महिला पत्रकारों को सरकारी एजेंसियों और सरकार समर्थक ताकतों के द्वारा यौनिक शर्मिंदगी के जरिये लक्षित किया जाता है, क्योंकि उनकी अन्तरंग तस्वीरों और वीडियोज को या तो उनकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड कर लिया जाता है, या हैकिंग के जरिये उनके डिजिटल उपकरणों से इसे हासिल कर लिया जाता है, और फिर उन्हें डराने और उन्हें हमेशा के लिए खामोश कर देने के लिए सार्वजनिक तौर पर लीक कर दिया जाता है।

इसी प्रकार पुरुष पत्रकारों को भी ब्लैकमेल करने के लिए उनकी महिला रिश्तेदारों को लक्षित किया जाता है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अभिषेक आनंद, https://hindi.newsclick.in/pegasus-project-international-revelations
 

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