Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | SC ने जजों को चुनने का कॉलेजियम सिस्टम बरकरार रखा, सरकार का नहीं होगा रोल

SC ने जजों को चुनने का कॉलेजियम सिस्टम बरकरार रखा, सरकार का नहीं होगा रोल

Share this article Share this article
published Published on Oct 16, 2015   modified Modified on Oct 16, 2015
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर जजों के अप्वाइंटमेंट के लिए मोदी सरकार के बनाए नए कानून को शुक्रवार को खारिज कर दिया। यानी अब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में सीनियर जजों द्वारा नए जजों को चुनने का 22 साल पुराना कॉलेजियम सिस्टम बरकरार रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने किस कानून को खारिज किया?
मोदी सरकार ने 2014 में नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन (NJAC) कानून बनाया था। संविधान में 99वां बदलाव कर यह कानून पारित किया गया था। इसकी वैलिडिटी को चुनौती देती पिटीशन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और बाकी संस्थाओं ने दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
जस्टिस जेएस खेहड़, जस्टिस जे. चेलमश्वेर, जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एके गोयल की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि नया NJAC कानून असंवैधानिक है क्योंकि यह कानून ज्यूडिशियरी की आजादी में दखल देगा।
क्या है कॉलेजियम सिस्टम?
इसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के अलावा चार सीनियर मोस्ट जजों का पैनल होता है। यह कॉलेजियम ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के अप्वाइंटमेंट और ट्रांसफर की सिफारिशें करता है। ये सिफारिश मंजूरी के लिए पीएम और राष्ट्रपति को भेजी जाती हैं। इसके बाद अप्वाइंटमेंट कर दिया जाता है।
अगर नया कानून लागू होता तो क्या होता?
अगर एनजेएसी लागू होता तो इसमें जजों के अप्वाइंटमेंट में सरकार की भी भूमिका होती। एनजेएसी में चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर मोस्ट जज, केन्द्रीय कानून मंत्री के अलावा दो जानकार लोगों को भी शामिल करने का प्रॉविजन है। वहीं, पुराने कॉलेजियम सिस्टम में पांच जजों का पैनल यह अप्वाइंटमेंट करता था। कोर्ट के ताजा फैसले के बाद कॉलेजियम सिस्टम फिर से लागू हो गया है।
क्यों है विवाद?
- जिन दो जानकार लोगों को भी नए कमीशन में शामिल किए जाने की बात कही गई थी, उनका सिलेक्शन चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता वाली कमेटी करती। इसी पर सुप्रीम कोर्ट को सबसे ज्यादा एतराज था।
- सुनवाई के आखिरी दिन बेंच ने कहा था कि ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट के नए सिस्टम में आम लोगाें को शामिल करने से काम नहीं बनेगा।
- अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि यदि हम बाकी कमीशन में आम लोगों को शामिल कर सकते हैं तो फिर यहां ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और पिटीशनर्स की दलीलों पर 15 जुलाई तक सुनवाई की थी।
विरोध करने वालों का क्या कहना है?
नए कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और दूसरे लोगों ने दलील दी थी कि जजों के सिलेक्शन और अप्वाइंटमेंट का नया कानून गैरसंवैधानिक है। इससे ज्यूडिशियरी की आजादी पर असर पड़ेगा। जाने-माने वकील फली नरीमन, अनिल दीवान और राम जेठमलानी ने NJAC बनाए जाने के खिलाफ तर्क दिए थे।
नए कानून के फेवर में केंद्र के क्या तर्क थे?
केन्द्र ने इस नए कानून का बचाव करते हुए कहा था कि बीस साल से ज्यादा पुराने जजों के अप्वाइंटमेंट के सिस्टम में कई खामियां थीं।

http://www.bhaskar.com/news-ht/c-271-32917-re0072-NOR.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close