Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है

शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है

Share this article Share this article
published Published on Jul 4, 2021   modified Modified on Jul 4, 2021

-द प्रिंट,

चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मूल्य जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है. पिछले साल यह 197 ट्रिलियन रु. के बराबर था.

आश्चर्य है कि ‘एकाधिकार वाले बड़े’ घराने (आज के संदर्भ में लघु) उस समय गरमागरम राजनीतिक मुद्दे थे. लेकिन आज इन कंपनियों के जरिए संपदा निर्माण का जश्न मनाया जाता है क्योंकि शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड्स के जरिए कई खुदरा निवेशकों को लाया गया है, बिजनेस मीडिया एक बड़ी आवाज़ है और अग्रणी व्यवसायियों द्वारा राजनीतिक नियंत्रण की बातें दबी जबान में ही की जाती हैं.

पूंजीवाद (और यह भाई-भतीजावाद पूंजीवाद भी लगता है) को वैधता धीरे-धीरे हासिल हुई है. पहले, सरकारी पूंजीवाद को विदाई दी गई. राष्ट्रीयकरण (बैंकों, बंबई के कपड़ा मिलों और कलकत्ता की इंजीनियरिंग यूनिटों का) का अंतिम बड़ा कदम 1980 के दशक में उठाया गया. इसके नतीजे अच्छे नहीं निकले. 1980 और 1990 के दशकों में व्यवसाय जगत में अंतहीन विवाद चले, जिन्होंने राष्ट्रीय राजनीति तक को हिला दिया. लेकिन अंबानी और फिर अडानी बेदाग होकर उभरे.

ऐसा लगता है कि वे और उनके जैसे कुछ और, सरकार से और आलोचनाओं के बीच से अपना रास्ता बनाने में सफल रहे. इस बीच आर्थिक सुधार भी हुए- लाइसेंस का राज गया, निजी क्षेत्र के लिए नये सेक्टरों के दरवाजे खुले, विदेशी निवेश आए.

निजी क्षेत्र के अंदर भी मंथन चला. जो बदलाव से कदम न मिला सके, ऐसे कई लुप्त या बेमानी हो गए जैसे मफतलाल, खैतान, थापर, मोदी और साराभाई. उनकी जगह वित्त, तकनीकी सेवा, दवा और ऑटो की दुनिया के नये सितारों ने ली. आज का शेयर बाज़ार इन बदलावों के नतीजों को दर्शाता है.

निफ्टी-50 के 50 शेयरों में से 11 वित्तीय सेवा कंपनियों के, छह ऑटो कंपनियों के, पांच आईटी और चार दवा कंपनियों के हैं. इनमें सात सार्वजनिक क्षेत्र के हैं, ऊर्जा के सेक्टर में. ऑटो के सिवा, मैनुफैक्चरिंग की उपस्थिति कमजोर है और कोंग्लोमरेट घराने भी कम ही बचे हैं. निफ्टी में टाटा (चार कंपनियों), बिरला (2), अंबानी (1), अडानी (1) के लिए जगह है. यह दुनिया 1981 वाली दुनिया से बिल्कुल अलग है.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


टी. एन नायनन, https://hindi.theprint.in/opinion/stock-market-as-a-mirror-how-indian-biz-has-changed-in-40-years-and-what-its-missing/225992/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close