Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जेल में बंद गणतंत्र में एक क़ैदी की पत्नी

जेल में बंद गणतंत्र में एक क़ैदी की पत्नी

Share this article Share this article
published Published on Aug 6, 2021   modified Modified on Aug 8, 2021

-द वायर,

 सुबह थोड़ी हड़बड़ाहट होती है. तीन बच्चों को जगाना, उन्हें ऑनलाइन क्लास के लिए बैठाना, हर एक के बैठने की जगह तय करना और यह सुनिश्चित करना कि वे वीडियो गेम खेलना शुरू न करें, पढ़ते वक़्त झपकी न लेने लगें, आपस में झगड़ा न करें. यह सब कुछ ज्यादा हो जाता है, जब आप पिछले 17 महीनों से अकेले घर-बच्चे संभाल रहे हों.

§
यह उनकी शादी का चौदहवां साल है. जब 2007 में शादी का प्रस्ताव आया, तो वो दोनों कम से कम एक बार निजी तौर पर मिलना चाहते थे . ज़्यादातर पारंपरिक विवाहों में अलग से अकेले मिल पाना काम ही होता है.


उन्हें मध्य दिल्ली के कनॉट प्लेस में हाल ही में खुले पिज्जा हट आउटलेट में मिलना था. वे 20 बरस की थीं, दिल्ली विश्वविद्यालय की स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा थी. वो 25 साल के थे और सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट, पुणे से पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके थे. वो मेट्रो से पहुंची थी और वो गाड़ी से आए थे.

वे कहती हैं, ‘मैंने जिन अन्य पुरुषों को देखा था, उनके विपरीत वे न तो लापरवाह था और न ही बहुत गंभीर. समझदार, परिपक्व लेकिन मज़ाकिया भी. उसने हमारे दोनों पिज़्ज़ा से मिर्च इकट्ठी की और मुझसे खाने को कहा. सोचिये ज़रा!’

यहां तक कि उन्होंने खाने का बिल भी इन्हीं से दिलवाया. उन्होंने अब तक ज़्यादातर पुरुषों को ही हर चीज़ का बिल भरते देखा था. ऐसा आदमी जिससे आप शादी करने वाले हो, आपसे बिल दिलाये, यह अप्रत्याशित था. वे याद करते हुए कहती हैं, ‘लेकिन मुझे यह पसंद आया. मैंने खुद को बराबर महसूस किया, जैसे मेरे हाथ में भी कंट्रोल है.’

कुछ ही महीनों में उन्होंने शादी कर ली. यह एक पारंपरिक लेकिन एक खुशहाल जीवन था. अगले कुछ साल तीन बच्चों की देखभाल करने में बीत गए, सबसे छोटा बच्चा बहुत बाद में आया क्योंकि वे दोनों एक बेटी की चाहत रखते थे.

उन्होंने शुरू में अपने पिता के फर्नीचर व्यवसाय में काम किया. वे कहती हैं, ‘लेकिन वे अपने काम में बहुत प्रेरित नहीं थे. बाद में उन्होंने एक ट्रैवल कंपनी शुरू की, जो तीर्थयात्रायें करवाती थी. लेकिन काम के अलावा वो हमेशा दूसरे कामों में लगे रहते थे. अगर नालियां बंद हो जाती, सीवर लाइन ओवरफ्लो हो जाती, तो वे उन्हें साफ करवाने के लिए दौड़ना शुरू कर देते.’

वे कहती हैं, ‘मैं परेशान हो जाती थी. हम तीसरी मंज़िल पर रहते हैं. यह हमें प्रभावित भी नहीं कर रहा है. तुम्हे ऐसा करने की जरूरत क्यों है?’

वे 2011-2012 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हो गए. 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो उन्हें इस नई पार्टी की संभावनाओं पर पूरा भरोसा था. वे याद करती हैं, ‘हर चुनाव में, कोई व्यस्त नेताजी आकर हमें हाथी, पतंग, चम्मच, वगैरह के लिए वोट करने के लिए कहते थे. लेकिन उनके पास नाला साफ करने का समय नहीं था.’

बेरोजगारी, असफल बुनियादी ढांचे और बेकार चुनाव अभियानों से तंग आकर  उन्होंने कुछ वर्षों तक पार्टी के लिए काम किया. घर में उनका समझौता हुआ था. उससे यह नहीं पूछा जाएगा कि वे पूरे हफ्ते क्या करते हैं. वे देर रात, कभी 1 बजे-2 बजे तक आते थे. वो कई दिनों तक एक साथ खाना भी नहीं खाते थे. लेकिन सप्ताह में एक दिन बचा हुआ था और सिर्फ उनके नाम था. बच्चे अभी भी इसे #FridayMasti कहते हैं और उनका सोशल मीडिया उन यादों से भरा हुआ है- मॉल, वाटरपार्क, सार्वजनिक पार्क या सिर्फ ड्राइव.

§
22 जून, 2017 को 15 वर्षीय जुनैद खान मथुरा जाने वाली ट्रेन में फरीदाबाद वापस घर जा रहा था. ईद बस कुछ ही दिन दूर थी. उसने नए कपड़े, जूते आदि खरीदे थे. सीटों को लेकर हुए विवाद के बाद युवकों के एक समूह ने उसकी चाकू मारकर हत्या कर दी. उन्होंने कथित तौर पर लड़कों का मज़ाक उड़ाया, उनकी दाढ़ी खींची और उन पर गोमांस खाने का आरोप लगाया. उन्होंने उन्हें फरीदाबाद के एक स्टेशन पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया, जहां उसकी मौत हो गई.

अब तक भारत में गोरक्षा की आड़ में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की जाने वाले घृणा अपराधों और लिंचिंग के दो खूनी वर्ष हो चुके थे. कट्टरपंथियों को सरकार के समर्थन से प्रोत्साहित किया गया था और उन्हें पूरी तरह से सजा से छूट मिली हुई थी. लेकिन जुनैद की लिंचिंग ने सभी के बुरे सपनों को जीवंत कर दिया- आपको सिर्फ इसलिए मारा जा सकता है क्योंकि आप एक विशेष समुदाय से हैं .

इसके बाद 28 जून, 2017 को बहुसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा के नाम पर निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं की निंदा करने के लिए पूरे देश में ‘नॉट इन माई नेम‘ नामक एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


नेहा दीक्षित, http://thewirehindi.com/181253/the-prisoner-s-wife-in-a-jailed-republic/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close