Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | पेगासस में निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों का नाम आने से भारत के प्रति बढ़ा संदेह

पेगासस में निर्वासित तिब्बती सरकार के अधिकारियों का नाम आने से भारत के प्रति बढ़ा संदेह

Share this article Share this article
published Published on Sep 5, 2021   modified Modified on Sep 8, 2021

-कारवां,

जुलाई में 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने अपनी एक संयुक्त पड़ताल, जिसे उन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट कहा है, में खुलासा किया कि इजराइली कंपनी एनएसओ द्वारा विकसित पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के 50000 फोन नंबरों की जासूसी करने के लिए किया गया है. भारत में ऐसे लोगों की सूची में पत्रकार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, नेता और एक पूर्व चुनाव आयुक्त शामिल हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में एक और अप्रत्याशित समूह निगरानी के संभावित निशाने पर दिखाई दिया है. यह है तिब्बती की निर्वासित सरकार.

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता तेनजिन ग्यात्सो या दलाई लामा के करीबी तिब्बती अधिकारियों और सलाहकारों के फोन नंबर संभवत: पेगासस के माध्यम से सुने गए हैं. एनएसओ का कहना है कि वह केवल सरकारों को पेगासस स्पाइवेयर बेचती है.

निर्वासित तिब्बती समुदाय की सरकार, जिसे केंद्रीय तिब्बती प्रशासन कहा जाता है, का मुख्यालय धर्मशाला में है. 1959 में चीनी सरकार की कार्रवाई से बच कर दलाई लामा के भारत आने के कुछ समय बाद ही इसकी स्थापना की गई थी. एक कार्यकारी, विधायी और एक न्यायिक शाखा के साथ इसकी संरचना संसदीय लोकतंत्र की तरह है.

ऐसे संभावित लोगों की सूची में, जिनकी निगरानी की आशंका है, निर्वासित तिब्बती सरकार के पूर्व अध्यक्ष लोबसांग सांगे और धर्मगुरु लोबसांग तेनजिन के नाम शामिल हैं. तेनजिन को पांचवें समधोंग रिनपोछे के रूप में जाना जाता है. अन्य लोगों में नई दिल्ली में दलाई लामा के दूत टेंपा त्सेरिंग, दलाई लामा के दोनों सहयोगी- तेनजिन ताकला और चिम्मी रिग्जेन- और सत्रहवें करमापा लामा उरग्येन ट्रिनले दोरजी भी हैं जो तिब्बती बौद्ध धर्म में सर्वोच्च पद वाली शख्सियतों में से एक हैं. जानकारी के अनुसार दलाई लामा खुद कोई निजी मोबाइल फोन नहीं रखते हैं.

मैंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मीडिया प्रवक्ता तेनजिन लेक्षय से बात की. यह पूछे जाने पर कि क्या इससे भारत सरकार के बारे में तिब्बती सरकार की धारणा बदल सकती है उनका जवाब संक्षिप्त था, "नहीं, बिल्कुल नहीं," उन्होंने कहा. "मीडिया रिपोर्टों के सिवा हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है... इसलिए हम इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. और जहां तक ​​भारत और तिब्बत के संबंधों की बात है तो वह मजबूत है और अधिक मजबूत हो रहा है.”

यह जांचने के लिए कि तिब्बत और चीन के साथ भारत के संबंधों के लिए पेगासस हैक का क्या मतलब है मैंने रॉबर्ट बार्नेट से बात की, जो लंबे समय से तिब्बती मामलों के विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में आधुनिक तिब्बती अध्ययन कार्यक्रम के संस्थापक और पूर्व निदेशक हैं. वह वर्तमान में लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में प्रोफेसरियल रिसर्च एसोसिएट हैं. बार्नेट ने बताया, "भारत ने आमतौर पर तिब्बत के सवाल के राजनीतिक आयामों पर स्पष्ट रुख रखने से परहेज किया है. उसका रुख राजनीतिक उतार-चढ़ाव के अनुसार बदलता रहता है." उन्होंने मुझे बताया कि भारत लंबे समय से अपनी इस जरूरत के लिए कि चीन सिक्किम और कश्मीर पर भारतीय संप्रभुता को मान्यता दे, तिब्बत के मुद्दे को देखा है. बार्नेट ने कहा, "यह कई दशकों से भारत के लिए एक प्रमुख मुद्दा रहा है और तिब्बत ने इसे यह मौका दिया है क्योंकि इससे भारत चीन पर दबाव बना सकता है कि यदि उसने कश्मीर और सिक्किम पर नजर डाली तो वह भी तिब्बत को मान्यता देने से परहेज नहीं करेगा.”

बार्नेट का मानना है कि तिब्बती निर्वासित समुदाय के मामले में सामने आए पेगासस हैकिंग का क्या मतलब है यह अभी साफ नहीं हैं. उन्होंने कहा, "इसका इस्तेमाल चीन भारत और तिब्बती निर्वासित नेतृत्व के बीच कुछ दूरी के संकेत के रूप में कर सकता है. यह इस बात का सबूत नहीं है कि नई दिल्ली और धर्मशाला के बीच संबंध कमजोर हो रहे हैं. यह तिब्बत के राजनीतिक प्रश्न पर एक सुसंगत और दीर्घकालिक रणनीतिक नजरिया विकसित करने की भारत की तत्कालीन जरूरतों को रेखांकित करता है."

पेगासस हैकिंग तिब्बती समुदाय पर साइबर सुरक्षा हमले और निगरानी का पहला मामला नहीं है. 2009 में टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने घोस्टनेट नामक एक खुफिया कोशिश का खुलासा किया था जिसमें धर्मशाला में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन मुख्यालय को निशाना बनाया बना गया था. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने बताया था कि इस ऑपरेशन को चीन में स्थित कंप्यूटरों से नियंत्रित किया जा रहा था. लेकिन वे निर्णायक रूप से यह नहीं कह सके कि इसमें चीन की सरकार शामिल थी.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


लुइस पेज, https://hindi.caravanmagazine.in/politics/tibetan-officials-dalai-lama-advisors-pegasus-list-hindi


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close