Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | खंडवा: बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के बांध बना कर उजाड़ दिए आदिवासी परिवार

खंडवा: बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के बांध बना कर उजाड़ दिए आदिवासी परिवार

Share this article Share this article
published Published on Feb 27, 2022   modified Modified on Mar 4, 2022

-जनपथ,

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा खंडवा जिले में बन रही आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी की अर्जी का प्रकरण बंद कर इसे उल्लंघन परियोजना घोषित कर दिया है। इसके साथ ही बांध के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी है। बांध का कार्य बगैर पर्यावरणीय स्वीकृति के 90 प्रतिशत हो चुका है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना खंडवा जिले के खालवा ब्लाक में निर्माणाधीन है। इस परियोजना से 600 से अधिक आदिवासी परिवार प्रभावित हो रहे हैं। पर्यावरण सुरक्षा कानून 1985 के तहत जारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के नोटिफिकेशन 2006 के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय की पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के पहले किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया परियोजना की पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के लिए सन 2017 में अर्जी दायर की गई थी, लेकिन इसे मंजूरी के मिले बिना ही गैरकानूनी रूप से परियोजना का काम तेजी से चलाया गया।

आंवलिया बांध परियोजना के लिए पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। विभाग की ओर से आवेदन कर अपनी बात रखी गई है। बांध का काम अभी बंद है। 

मेघा चौरे, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग खंडवा।
परियोजना से विस्थापित होने वाले आदिवासी प्रभावित परिवारों को भू.अर्जन कानून 2013 के अनुसार कोई भी पुनर्वास लाभ दिए गैर 48 प्रभावितों की जमीन बांध के क्रेस्ट लेवल तक पानी भर कर डूबा दी गई है। सरकार द्वारा कोई सुनवाई न करने की स्थिति में बांध प्रभावितों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बताया गया कि परियोजना बिना पर्यावरण मंजूरी के गैरकानूनी रूप से आगे बढ़ाई गई है और विस्थापितों को पुनर्वास के कोई लाभ नहीं दिए गए हैं। उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार एवं पर्यावरण मंत्रालय को दिए गए नोटिस के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के उपरांत कानून का उल्लंघन पाते हुए परियोजना को उल्लंघन वाली परियोजना घोषित करते हुए जल संसाधन विभाग की अर्जी की फाइल बिना मंजूरी दिए बंद कर दी है।

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की कार्रवाई से स्पष्ट है कि जल संसाधन विभाग द्वारा गैरकानूनी ढंग से निर्माण कार्य करवाया गया है। परियोजना की विसंगतियों को लेकर हम उच्च न्यायालय में भी लड़ाई लड़ रहे है। पर्यावरण प्राधिकरण का निर्णय प्रभावितों के लिए स्वागतयोग्य है। गैरकानूनी रूप से हुए इस निर्माण कार्य के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। साथ ही बांध के स्लूइस गेट को तोड़कर 48 लोगों के खेत में जो पानी भरा है उसको खाली किया जाए। 

आबिद खान
पर्यावरण सुरक्षा कानून 1985 के तहत जारी नोटिफिकेशनए 2006 के अनुसार किसी भी परियोजना का निर्माण कार्य तब तक प्रारंभ नहीं हो सकता। जब तक कि उसको पर्यावरण मंत्रालय से पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिल जाती है। यह मंजूरी तमाम अध्ययनों जांच के बाद दी जाती है। प्रभावितों की याचिका पर उच्च न्यायालय के नोटिस के बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की राज्य इकाई राज्यस्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण द्वारा जांच में यह पाया गया कि बिना पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के ही जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया परियोजना का निर्माण कार्य कर दिया गया है जो कि 2006 के नोटिफिकेशन का स्पष्ट उल्लंघन है। इस कारण प्राधिकरण द्वारा 14 फरवरी 2022 को हुई बैठक में जल संसाधन विभाग द्वारा आंवलिया सिंचाई परियोजना के लिए मांगी गई पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी की फाइल को बंद करते हुए इस परियोजना को उल्लंघन वाली परियोजना घोषित कर दिया है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


मनीष भट्ट, https://junputh.com/voices/tribals-deisplaced-in-khandawa-dam-project-without-environmental-clearance/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close