Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | संविधान और बराबरी की बात करने वाले उमर खालिद से क्यों डरती है सरकार

संविधान और बराबरी की बात करने वाले उमर खालिद से क्यों डरती है सरकार

Share this article Share this article
published Published on Sep 20, 2020   modified Modified on Sep 21, 2020

-कारवां,

13 सितंबर की आधी रात को खबर मिली कि उमर खालिद को लोधी कॉलोनी स्थित दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के कार्यालय में कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से झारखंड के आदिवासी इतिहास में पीएचडी करने वाले उमर को एक साजिश में तथाकथित भूमिका के लिए हिरासत में लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि फरवरी के अंतिम सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में उमर का हाथ है. उमर को मैं एक दशक से अधिक समय से जानता हूं. वह असहज करने वाले सवाल पूछने वाला नौजवान है जो पुराने किस्म के नेताओं से अलग है और जो कठिन वक्त की राजनीति में पैदा हुए अपने साथियों को प्रेरित करता है. वह अमन और सांप्रदायिक सद्भाव की खातिर कई तरह की पहलों में शामिल रहता है.

उमर को आरोपी बनाया गया है और 6 मार्च को दायर एफआईआर संख्या 59/2020 के तहत गिरफ्तार किया गया है. उस पर घृणा फैलाने, जिसके चलते हुई मौत, धन उगाहने और षडयंत्र करने से संबंधित दमनकारी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की चार धाराओं, हत्या और दंगे से लेकर अतिक्रमण से संबंधित भारतीय दंड संहिता की 18 धाराओं, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की दो धाराओं और शस्त्र अधिनियम, 1959 की दो धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. समाचार रिपोर्टों के अनुसार 14 सितंबर को, कड़कड़डूमा जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उमर को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. पुलिस ने अदालत को बताया था कि वे 11 लाख पेजों के दस्तावेजों के बारे में उमर से पूछताछ करना चाहती थी. इससे पहले 31 जुलाई को पुलिस ने उमर से पांच घंटे पूछताछ की थी और उनका फोन जब्त कर लिया था. गिरफ्तारी के दिन लगभग 12 घंटे तक पूछताछ की.

हिंसा की दिल्ली पुलिस की जांच बेतुकी है. उमर को पुलिस की अपराध शाखा के नारकोटिक्स यूनिट के सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार को आए एक अनाम मुखबिर द्वारा दिए गए बयान के आधार पर आरोपी बनाया गया है. प्राथमिकी के अनुसार, मुखबिर ने उमर, दानिश नामक एक शख्स और दो अन्य व्यक्तियों की गुप्त बैठकें कराईं थी. क्या यह मुमकिन लगता है कि नारकोटिक्स यूनिट का एक मुखबिर उन "गुप्त बैठकों" में शरीक रहा जिनमें "दिल्ली में दंगा भड़काने की सोची-समझी साजिश" रची जा रही थी. लेकिन हम अनुभव से जानते ही हैं कि दिल्ली पुलिस की कल्पना शक्ति कितनी विशाल है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथी छात्रों के साथ 9 फरवरी को अफजल गुरू की याद में आयोजित कार्यक्रम के बाद परिसर में भड़के उपद्रव की मीडिया कवरेज देखते हुए उमर. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई समाचार चैनलों ने खालिद को इस घटना में भाग लेने के लिए "आतंकवादी" करार दिया था. . इशान तन्खाजवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथी छात्रों के साथ 9 फरवरी को अफजल गुरू की याद में आयोजित कार्यक्रम के बाद परिसर में भड़के उपद्रव की मीडिया कवरेज देखते हुए उमर. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई समाचार चैनलों ने खालिद को इस घटना में भाग लेने के लिए "आतंकवादी" करार दिया था. . 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथी छात्रों के साथ 9 फरवरी को अफजल गुरू की याद में आयोजित कार्यक्रम के बाद परिसर में भड़के उपद्रव की मीडिया कवरेज देखते हुए उमर. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई समाचार चैनलों ने खालिद को इस घटना में भाग लेने के लिए "आतंकवादी" करार दिया था. इशान तन्खा
उन तमाम लोगों की तरह जिन्हें दिल्ली पुलिस ने हिंसा के मामले में फंसाया है, उमर के नाम का जिक्र उसके खिलाफ दायर कम से कम पांच प्राथमिकियों में आरोपपत्र या पूरक आरोपपत्रों में और 13 सितंबर को पुलिस के एक हलफनामे में मिलता है. इसमें एफआईआर संख्या 65/2020 शामिल है, जिसमें आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी हैं और एफआईआर संख्या 101/2020 भी, जिसमें 24 फरवरी को खजूरीखास इलाके में हुई हिंसा का मुख्य आरोपी हुसैन को बनाया गया है. इन दोनों एफआईआर की चार्जशीट में उमर का नाम "दंगा साजिश" के लिए लॉजिस्टिकल सपोर्ट और फंडिंग मुहैया कराने के लिए दर्ज है. फिर 22 फरवरी को जाफराबाद में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए एफआईआर संख्या 50/2020 और 48/2020 दर्ज है. स्क्रॉल डॉट इन में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों एफआईआर से संबंधित तीन आरोपियों के खुलासे में खालिद का नाम आया है. ये बयान, जिनकी सत्यता पर गंभीर सवाल है, पिंजरा तोड़ नामक औरतों के एक समूह की संस्थापक देवांगना कालिता और नताशा नरवाल तथा गुलफिशा फातिमा के हैं. द वायर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि न केवल कालिता और नरवाल के बयानों में वर्तनी में एक जैसी त्रुटियां हैं बल्कि इन बयानों पर "मैं हस्ताक्षर करने से इनकार करती हूं" लिखा है. उमर का नाम इन बयानों में फंड मुहैया कराने वाले के रूप में आया है, जिसने "गुप्त बैठकें" आयोजित कीं और भड़काऊ भाषण दिए.

एफआईआर संख्या 114/2020 का मामला इससे भी ज्यादा अजीब है. इसमें भी हुसैन प्राथमिक अभियुक्त हैं. द क्विंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरोपपत्र में "सरकारी गवाह वाई" नाम के एक गुमनाम शख्स को दिखाया गया है जिसने आरोप लगाया है कि उमर उस साजिश का हिस्सा था जो हिंसा का कारण बनी. आरोपपत्र में कुछ पैराग्राफ के बाद उस गवाह का लिंग बदल जाता है. आरोपपत्र बताता है कि सीलमपुर में ओल्ड बस स्टैंड के पास, जनवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में आयोजित एक निजी बैठक में, खालिद ने कहा था कि “खून बहाना पड़ेगा, ऐसे नहीं चलेगा. चक्का जाम ही आखिरी रास्ता है. हमें सरकार को घुटनों पर लाना है. संघियों की सरकार ऐसे नहीं मानेगी.”

इसके अलावा जिस दिन उमर को गिरफ्तार किया गया उस दिन पुलिस ने जो हलफनामा दर्ज किया उसमें एक भाषण का संदर्भ है, जो उमर ने दिया था, जिसमें फरवरी के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान मुस्लिम समुदाय को सड़कों पर नाकाबंदी करने के लिए उकसाया गया था. लेकिन इसका कोई विवरण नहीं है कि यह भाषण कहां और कब दिया गया था. एफआईआर संख्या 59 में 2 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सड़क जाम करने के लिए उकसाने के सबूत बतौर 17 फरवरी को महाराष्ट्र के अमरावती में उमर के दिए एक भाषण का जिक्र है. इसी सड़क जाम को हिंसा भड़कने के लिए उत्प्रेरक के रूप में देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं ने इस भाषण को उमर की चेतावनी और दिल्ली को हिला देने वाला भड़काऊ भाषण बताया है. हालांकि उमर ने अपने भाषण में सड़क जाम करने का प्रस्ताव तो क्या जिक्र तक नहीं किया था. यह भाषण सीएए और नागरिकों के प्रस्तावित राष्ट्रीय रजिस्टर के खिलाफ इकट्ठा हुए लोगों की शांतिपूर्ण सभा में दिया गया था.

हालांकि कोई भी अस्पष्ट, गुमनाम मुखबिर द्वारा पुलिस को "गुप्त बैठकों" के बारे में बताए जाने की सत्यता के प्रमाण नहीं दे सकता, लेकिन सार्वजनिक बैठक में दिए गए भाषण की जांच करना संभव है, जिन्हें यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर रिकॉर्ड और अपलोड किया गया.

उमर के शब्द थे : “जब 24 फरवरी को डोनाल्ड ट्रम्प भारत आएंगे, तो हम कहेंगे कि प्रधानमंत्री और भारत सरकार देश को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं. वे महात्मा गांधी के मूल्यों को नष्ट कर रहे हैं और भारत के लोग उनके खिलाफ लड़ रहे हैं. अगर सत्ता में बैठे लोग भारत को विभाजित करना चाहते हैं तो भारत के लोग देश को एकजुट करने के लिए तैयार हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “हम हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं देंगे. हम नफरत का जवाब नफरत से नहीं देंगे. अगर वे नफरत फैलाते हैं, तो हम इसका जवाब प्यार से देंगे. अगर वे हमें लाठियों से पीटते हैं, तो हम तिरंगा पकड़े रहेंगे. अगर वे गोलियां चलाते हैं, तो हम संविधान को थामे रखेंगे. अगर वे हमें जेल में डाल देंगे, तो हम जेल में गाएंगे, सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा.”

एक समय था जब एकता और प्रेम की, अहिंसा की बात करने वाले लोगों की प्रशंसा और सम्मान किया जाता था. वे दिन अब लद गए हैं. हम एक अलग ही समय में जी रहे हैं या शायद एक अलग देश में ही. आज प्रेम, अहिंसा और एकता जैसे शब्द, संविधान तथा इसकी प्रस्तावना के आह्वान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, एकजुटता और सहिष्णुता की परंपराओं को याद करने के किसी भी कार्य के लिए आपको आतंकवाद का समर्थन करने और आतंक फैलाने के आरोप में यूएपीए के तहत कैद किया जा सकता है.

उमर खालिद 15 अप्रैल 2018 को दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पर एक विरोध प्रदर्शन में. जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की सुस्त जांच के विरोध में फिल्म निर्माताओं सबा दीवान और राहुल रॉय द्वारा नॉट इन माई नेम नाम से विरोध आयोजित किया गया था..  इशान तन्खाउमर खालिद 15 अप्रैल 2018 को दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पर एक विरोध प्रदर्शन में. जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की सुस्त जांच के विरोध में फिल्म निर्माताओं सबा दीवान और राहुल रॉय द्वारा नॉट इन माई नेम नाम से विरोध आयोजित किया गया था..  

उमर खालिद 15 अप्रैल 2018 को दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पर एक विरोध प्रदर्शन में. जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या की सुस्त जांच के विरोध में फिल्म निर्माताओं सबा दीवान और राहुल रॉय द्वारा नॉट इन माई नेम नाम से विरोध आयोजित किया गया था. इशान तन्खा
उमर की गिरफ्तारी के एक दिन बाद प्रकाशित इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बतया गया है कि “स्पेशल सेल द्वारा अब तक जिन बीस लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें 16 लोगों को यूएपीए के तहत हिरासत में लिया गया है. चार को जमानत मिल गई है जबकि 15 अभी भी जेल में हैं.” उसी दिन राहुल रॉय और सबा दीवान को भी पुलिस ने हिंसा से संबंधित पूछताछ के लिए तलब किया. दोनों फिल्म निर्माता हैं और आर्टिस्ट्स यूनाइट नामक एक आयोजन में उनकी प्रमुख भूमिका रही है. यह आयोजन शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में सक्रिय रहा है. अपूर्वानंद जैसे शिक्षाविदों से भी पूछताछ की जा रही है. हम सभी ने लव जिहाद या प्रेम आतंकवाद जैसी कॉन्सपिरेसी थ्योरी के बारे में सुन रखा है जिसे आमतौर पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा प्रचारित किया जाता है. वे लोग दावा करते हैं कि मुस्लिम पुरुष हिंदू औरतों को लुभाते हैं और उनका धर्म बदलते हैं. मुझे लगता है कि हमें प्रेम आतंकवाद के बारे में सुनने की आदत डालनी होगी. यह शासन प्यार से सबसे अधिक डरता है.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


शुद्धब्रत सेनगुप्त, https://hindi.caravanmagazine.in/commentary/umar-khalid-arrest-delhi-police-riots-uapa-hindi


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close