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न्यूज क्लिपिंग्स् | उत्तराखंड आपदा: जिन्होंने पावर प्रोजेक्ट्स का विरोध किया वही मलबे के नीचे दबे

उत्तराखंड आपदा: जिन्होंने पावर प्रोजेक्ट्स का विरोध किया वही मलबे के नीचे दबे

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published Published on Feb 10, 2021   modified Modified on Feb 17, 2021

-न्यूजलॉन्ड्री,

आपदा स्थल से लगे रेणी गांव के प्रेमसिंह की मां और पत्नी दोनों रविवार को नदी किनारे खेतों में काम कर रहे थे. सवेरे साढ़े नौ बजे के आसपास अचानक विस्फोट की आवाज़ हुई. प्रेम सिंह की पत्नी गोदाम्बरी कहती हैं कि उन्हें लगा जैसे आसमान टूट पड़ा है. उफनती नदी और पत्थरों को आते देख वह भागीं लेकिन उनकी सास (प्रेम सिंह की मां) को ऋषिगंगा का वह सैलाब बहा ले गया.

“पूरे गांव में धूल मिट्टी का गुबार छा गया. नदी गर्जना कर रही थी. धरती जैसे हिलने लगी. घरों की खिड़कियां बज रही थीं. हमने ऐसा अपनी ज़िन्दगी में कभी नहीं देखा.” प्रेम सिंह ने बताया.

आज प्रेम सिंह के घर सांत्वाना देने के लिये लोगों का आना जारी है और मीडिया उनकी पत्नी से बार-बार पूछ रहा है कि मौके पर क्या हुआ था. रेणी की तरह दर्जनों गांव हैं जो इस घाटी में नदी के आपपास पहाड़ों में बसे हैं. यहां के निवासियों में ऐसी दहशत है कि वह अब यहां नहीं रहना चाहते. आपदा के बाद अंधाधुंध पावर प्रोजेक्ट्स का सवाल एक बार फिर विवादों में है. विडम्बना यह भी है कि यहां गांव के लोगों ने इन दोनों पावर प्रोजेक्ट्स का विरोध किया था जो तबाह हुये हैं और आज इन गांवों के लोग ही मलबे के नीचे दबे हैं.

घर छोड़कर जंगल में सोने पर मजबूर

रेणी गांव को 70 के दशक के चिपको आन्दोलन के लिए जाना जाता है. यहां की गौरा देवी ने पेड़ कटने से बचाने के लिये महिलाओं को संगठित किया और उनका नाम इतिहास में दर्ज है. गौरा देवी के बेटे चन्द्र सिंह का कहना है इस गांव के लोग इतना डरे हैं कि वह घरों से हटकर ऊपर पहाड़ में छानी (अस्थायी टेंट) बनाकर सो रहे हैं.

“मैं रविवार को ही ऊपर (पहाड़ पर) रहने चला गया और आज (मंगलवार को) लौटा हूं. परिवार के कुछ लोगों को हमने सुरक्षित रहने के लिये जोशीमठ भेज दिया है. लोगों को लगता है कि आपदा फिर आ सकती है,” सिंह ने कहा.

हमारी टीम ने पाया कि रेणी गांव में सन्नाटा पसरा है. लोगों को किसी और झील के होने की संभावना लगती है जो फट सकती है लेकिन सरकार या आपदा प्रबंधन की ओर से ऐसी कोई चेतावनी नहीं दी गई है और ऐसे किसी ख़तरे की पुष्टि नहीं है.

“हम कब तक ऐसे डर डर कर जियें. हमें सरकार किसी दूसरी जगह बसा दे तो ठीक रहेगा,” चन्द्र सिंह की पत्नी झूठी देवी का कहना था.

सरकार के मुताबिक करीब 200 लोग लापता हुये हैं. बुधवार सुबह तक 32 शव अलग अलग जगह से बरामद किये गये थे.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


ह्रदयेश जोशी, https://www.newslaundry.com/2021/02/10/uttrakhand-chamoli-disaster-glacier-power-projects-water-flood-rive
 

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