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न्यूज क्लिपिंग्स् | अंधविश्‍वास का इतना खौफ कि गांव के किसी घर में शौचालय नहीं

अंधविश्‍वास का इतना खौफ कि गांव के किसी घर में शौचालय नहीं

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published Published on Sep 7, 2016   modified Modified on Sep 7, 2016
गुना। ध्रुव झा। जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां पक्का मकान तो दूर घरों में शौचालय तक नहीं हैं। यहां के कई जमीदार परिवार लखपति हैं। घरों में चार पहिया वाहन, एलईडी, फ्रिज, कूलर और बाइक हैं, लेकिन गांव के लोग संपन्न् होने के बाद भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। इसकी वजह भी बड़ी अजीबोगरीब है। दरअसल, यहां के लोग अंधविश्वास की वजह से घरों में पक्का निर्माण (सीमेंट का उपयोग नहीं करते) नहीं कराते।

यह हालत गुना जनपद की इमझरा पंचायत के गांव पिपरौदा केशराज के हैं। करीब दो हजार की आबादी वाले 250 घरों के इस गांव में न तो एक भी पक्का घर है और न ही शौचालय। गौरतलब है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वच्छता अभियान को लेकर इतने गंभीर हैं, वहीं प्रशासनिक अधिकारी सालों बाद भी यह पता नहीं लगा सके कि उनके जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां एक भी घर में शौचालय नहीं है।

 

अंधविश्वास का इतना डर कि पक्के निर्माण की बात सोचकर ही रूह कांप जाती है
पिपरौदा केशराज के ग्रामीण बताते हैं कि लगभग 500-600 साल पहले गांव में गन्ने की खेती को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया था। इसमें एक पक्ष के व्यक्ति की मौत होने पर उसकी पत्नी सती होना चाहती थी। मगर ग्रामीणों ने उसे पक्के कमरे में बंद कर दिया और मृतक का अंतिम संस्कार करने चले गए। इधर, पत्नी कमरे से बाहर निकलने पक्की दीवारों से जूझती रही।
आखिर किसी तरह दरवाजे को तोड़कर मुक्तिधाम पहुंच गई। यहां देखा तो चिता आग नहीं पकड़ रही थी। पत्नी ने मृत पति को गोद में बैठाया और सती हो गई। सती होने से पहले महिला ने ग्रामीणों को श्राप दिया कि तुमने मुझे पक्के मकान की दीवारों में कैद किया था, तो मैं श्राप देती हूं कि जो भी गांव में पक्का मकान बनाएगा, वह बर्बाद हो जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीणों ने कुछ उदाहरण भी सुनाए, जिन्होंने गांव में पक्का निर्माण कराया, वे बर्बाद हो गए।
हो सकते हैं सिर्फ सरकारी निर्माण
ग्रामीणों के मुताबिक सती का श्राप सिर्फ गांव में रहने वालों के लिए है। वहीं सरकारी, धार्मिक आदि निर्माण कार्यों पर कोई दिक्कत नहीं है। नवदुनिया टीम ने गांव में देखा, तो सीसी खरंजा और मंदिर तो पक्के बने हैं, लेकिन घर कच्चे ही हैं। कई घरों की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है, तो कहीं पुराने घरों को मिट्टी और पत्थरों से सहारा दिया गया है।
इनका कहना है
गांव को सती का श्राप है, जिसके चलते पक्के मकान नहीं बना पाते हैं। घर की दीवार में दरार भी पड़ जाए, तो उसमें सीमेंट तक नहीं लगा सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से पूरे परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट जाता है।
- भैयालाल यादव, ग्रामीण
वर्षों पहले मेरे पूर्वजों ने घर में पक्का निर्माण कर लिया था। इसके बाद पूरा परिवार नष्ट हो गया। एक मैं ही बचा हूं, तो कच्चे ही मकान में रह रहा हूं। क्योंकि अब मैं सती के श्राप का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं।
- हरिशंकर शर्मा, ग्रामीण
शिविर लगाकर ग्रामीणों को अंधविश्वास से मुक्त करेंगे
एक गांव अंधविश्वास में डूबा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इस संबंध में जनपद सीईओ से चर्चा करूंगा। साथ ही गांव में पहुंचकर और शिविर लगाकर ग्रामीणों को अंधविश्वास से मुक्ति के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- कैलाश वानखेड़े, सीईओ जिला पंचायत गुना
आज के युग में ऐसा होना आश्चर्य का विषय है
ग्रामीणों ने मुझे बताया है, लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में गांव में इस तरह की चर्चाएं होना आश्चर्य का विषय है। इसके लिए मैं स्वयं ग्रामीणों से बात करूंगा, तो प्रशासन को भी ठोस पहल करना चाहिए।
- महेंद्रसिंह सिसोदिया, विधायक बमोरी
गांव वालों ने मुझे नहीं बताया
मैदानी अमले ने अब तक मुझे गांव में पक्का निर्माण न होने की जानकारी नहीं दी है। यदि ऐसा है, तो महिला बाल विकास और जन अभियान परिषद की टीम के साथ गांव पहुंचकर ग्रामीणों के मन से अंधविश्वास को दूर करेंगे।
- आरके गोस्वामी, सीईओ, जनपद पंचायत गुना
जनपद इंस्पेक्टर को सूचना दी थी
मैंने पिपरौदा केशराज की समस्या की जानकारी जनपद इंस्पेक्टर को दी थी। लेकिन ग्रामीणों के मन में सती के श्राप की घटना इतनी गहरी है कि उन्हें पक्के निर्माण के लिए समझा पाना मुश्किल होता है।
- गोरेलाल अहिरवार, रोजगार सहायक व प्रभारी सचिव, इमझरा पंचायत

 


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