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न्यूज क्लिपिंग्स् | अखिलेश के लिए चुनौती बने भ्रष्ट अफसर

अखिलेश के लिए चुनौती बने भ्रष्ट अफसर

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published Published on Oct 25, 2012   modified Modified on Oct 25, 2012
लखनऊ, 23 अक्तूबर। अखिलेश यादव के लिए उत्तर प्रदेश के भ्रष्ट अफसर चुनौती बने हुए हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर सचिवालय तक सत्ता बदलने के सात महीने बाद भी ढर्रा बदला नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करीब दो  दर्जन विभागों के प्रमुख सचिवों को फटकार लगा कर इसकी पुष्टि भी कर दी है। बाद में कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई।
दरअसल, बसपा राज में पहले बिना कुछ लिए किसी भी योजना का पैसा जारी नहीं करते थे। क्योंकि नीचे से ऊपर तक एक शृंखला बनी हुई थी, जिससे जुड़े लोग अलग अलग स्तर पर फायदा उठाते थे। सत्ता बदलने के बाद भी इस मजबूत कड़ी को अखिलेश यादव तोड़ नहीं पाए थे पर सोमवार को उनके कड़े तेवर के बाद कई विभाग में नीचे तक कोड़ा फटकारा गया है। जिन विभागों के अफसरों को फटकार लगाई गई, उनमें सार्वजनिक निर्माण विभाग से लेकर सिंचाई विभाग जैसे मलाईदार विभाग शामिल हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अफसरों की खिंचाई करते हुए विकास से जुड़ी योजनाओं के अमल में और तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शासन ने विकास और कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के लिए राशि जारी कर दी है। इसलिए इनके क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री यहां सचिवालय एनेक्सी में विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि नवम्बर से वे जिलाधिकारियों से औचक विकास कार्यों की जानकारी लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव व सचिव प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करें कि शासन से जारी राशि उनके विभागों के जनपद स्तरीय कार्यालयों तक पहुंच गई है और इसका सदुपयोग शुरू हो गया है।
दरअसल, जो ढांचा अखिलेश यादव को मिला है उसे समझना भी जरूरी है। सैकड़ों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में मायावती सरकार के ताकतवर मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा विधानसभा चुनाव खत्म होते ही तीन मार्च 2012 को जेल गए, तबसे वहीं है। लैकफेड घोटाले में दूसरे मंत्री बादशाह सिंह जेल गए। उसके बाद जो कतार में खड़े हैं, उनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन, राकेश धर त्रिपाठी ,अवध पाल सिंह,चंद्रदेव राम यादव और रंगनाथ मिश्र आदि हैं।
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट  ने कहा-मायावती के राज में जिस तरह की लूट हुई, उसकी आदत छूट नहीं रही है। यही इस समस्या की जड़ है। तब एक मंत्री उस सीएमओ को सब से काबिल मानता था जो साल भर का बजट का दस फीसद यानी पचास करोड़ अगर यह राशि है, तो दस फीसद के हिसाब से पांच करोड़ अग्रिम मंत्री तक पहुंचा देता हो। सत्ता बदलने के बाद इनमें कई अफसर खुद को बदल नहीं पा रहे हैं। जिससे सपा के चुनावी घोषणा के अमल पर असर पड़ रहा है।
उधर, नौकरशाही को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने भी सरकार पर निशाना साधा। भाजपा ने आज सपा सरकार को अक्षम और असफल बताते हुए कहा कि ग्राम विकास, नगर विकास सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की वित्तीय स्वीकृतियां अक्तूबर के अंतिम दिनों तक भी न जारी करना राज्य की जनता के साथ विश्वासघात है। प्रदेश प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि बजट पास हो जाने के फौरन बाद वित्तीय स्वीकृतियां जारी हो जानी चाहिए थी लेकिन यहां दाल में काला है। से केवल प्रशासनिक अधिकारियों की ढिलाई ही नहीं कहा जा सकता।
सपा ने दावा किया कि इस सब के बावजूद कई पहल हुई है। सोमवार को पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि चुनावी घोषणा पत्र के वायदे पूरे पांच साल के लिए हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि सभी वायदे समय से पहले पूरे कर दिए जाएं। छह महीने के अंदर सरकार ने बेरोजगार नौजवानों के लिए बेरोजगारी भत्ता बांट दिया। कन्या विद्या धन भी बंटना शुरू हो गया है। किसानों का 50 हजार रूपए तक का कर्ज माफ किया गया। खेतों की सिंचाई मुफ्त की जाएगी। ऊसर बंजर बीहड़ जमीन पर खेती करने के लिए भूमि सेना बनाने का फैसला किया गया है। राज्य को औद्योगिक रूप से गतिशील बनाने के लिए नई उद्योग एवं अवस्थापना नीति बनाई गई है। पूंजी निवेश के प्रयास हो रहे हैं। बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के काम में तेजी लाई जा रही है।

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/31207-2012-10-23-04-24-28


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