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न्यूज क्लिपिंग्स् | अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा

अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा

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published Published on Mar 20, 2024   modified Modified on Mar 21, 2024

 मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च

जून की उमस भरी दोपहर में ऊपरी असम के धेमजी जिले के जोनाई शहर के बाहरी इलाकों में बाढ़ का सर्वे करते हुए नामाश पसार ने बढ़ते पानी में कुछ भटकता हुआ देखा। जब वह चीज पास आई तो उन्होंने पाया कि यह एक जीवित जानवर था। अपने साथ खड़े दो अन्य लोगों की मदद से नामाश ने उसे बह जाने से बचा लिया। वह उसे वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों के पास ले गए और प्राथमिक उपचार कराया। बाद में इसे बंगाल फ्लोरिकन पक्षी (Houbaropsis bengalensis) के रूप में पहचाना गया और स्थानीय तौर पर इसे उलुमोरा कहा जाता है।

नामाश पसार आदिवासी छात्रों के एक संगठन और मिसिंग समुदाय के सामाजिक संगठन टाकम मिसिंग पोरिन केबांग (TMPK) के पदाधिकारी हैं। वह कहते हैं, ‘यह एक वयस्क उलमोरा था जो तैरकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था। संभवत: यह पास की डेइंग एरिंग वाइल्डलाइफ सैंक्चरी की चपोरी (नदी का टापू) से यहां आ गया होगा। इस पक्षी के पंखों और पैरों पर चोट लगी थी। हमने उसे सावधानीपूर्वक पानी से निकाला और उसे वन विभाग के दफ्तर ले गए।’
पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च, https://hindi.mongabay.com/2024/03/21/grassland-loss-threatens-endemic-birds-in-arunachal-sanctuary/
 

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