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न्यूज क्लिपिंग्स् | अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक

अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक

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published Published on Feb 15, 2016   modified Modified on Feb 15, 2016
नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और आंकड़ों में यह दावा सही भी है। लेकिन सरकारी बैंकों की माली हालत देख कर ऐसा नहीं लगता। जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर कड़ी बन चुके हैं।

दिसंबर, 2015 को समाप्त तिमाही में देश के 11 प्रमुख सरकारी बैंक संयुक्त तौर पर 12,867 करोड़ रुपये का घाटा उठा चुके हैं। ऐसे में सभी की निगाहें आगामी बजट में वित्त मंत्री की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों पर हैं कि वह इन बैंको की दिक्कतों को दूर करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा को 3,342 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह देश के इतिहास में किसी भी एक बैंक की तरफ से एक तिमाही में उठाया गया सबसे बड़ा घाटा है। इस दौरान बैंक का कुल फंसा कर्ज (ग्रॉस एनपीए) कुल अग्रिम के मुकाबले 9.68 फीसद हो चुका है।

इस अवधि में आइडीबीआइ बैंक को 2,184 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया को 1,505 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 1,497 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 1,425 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 827 करोड़ रुपये और देना बैंक को 663 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इन सभी बैंकों ने किसी भी एक तिमाही में इतना बड़ा घाटा नहीं उठाया है। इस घाटे के पीछे सबसे अहम वजह यह है कि इन बैंकों ने फंसे कर्जे की राशि की भरपाई अपने लाभ की राशि से की है।

सरकार का तर्क है कि यह घाटा इन बैंकों के खाता-बही को फंसे कर्जे से साफ करने के तहत उठाया गया है। ऐसा करने का निर्देश आरबीआइ की तरफ से दिया गया है। यह बात सच भी है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इस घाटे की भरपाई में इन बैंकों को दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा। साथ ही इससे उबरने के लिए केंद्र सरकार को अपने खजाने का मुंह काफी खोलना पड़ेगा। सरकार ने चार वर्षों में इन बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की मदद देने का एलान किया था। जानकारों का अब कहना है कि यह मदद नाकाफी है। इसमें काफी वृद्धि करनी होगी।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट सरकारी बैंकों के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास की अगुआई में एक टीम सरकारी बैंकों के लिए एक पूरे पैकेज की रूपरेखा तैयार कर रही है। इसके लिए रिजर्व बैंक की भी मदद ली जा रही है। फंसे कर्जे की राशि को किस तरह से बैंक माफ करेंगे, इसको लेकर नए नियम तैयार किए जाएंगे। इसकी घोषणा बजट में की जाएगी।

और बैंकिंग सुधार जल्द : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकिंग सेक्टर में और महत्वपूर्ण सुधार लाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि देश अभी उस स्थिति में नहीं पहुंचा है जहां सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों में अपनी होल्डिंग पूरी तरह से समाप्त कर सके। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री बोले कि बैंकिंग सुधारों की एक पूरी फेहरिस्त का आने वाले दिनों में एलान किया जाएगा। 29 फरवरी को जेटली आम बजट पेश करेंगे।

 


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