Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | 'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण

'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण

Share this article Share this article
published Published on Sep 11, 2018   modified Modified on Sep 11, 2018
'अर्बन नक्सल' एक गढ़ा हुआ राजनीतिक पद है. इसका अर्थ उन शहरी पत्रकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों से है, जो नक्सलवाद, माओवाद के समर्थक हैं. इस पद की वास्तविकता और इसके पीछे सत्ता-व्यवस्था और सरकारों की नीतियों पर इसके साथ कम विचार किया गया है.

फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक 'अर्बन नक्सल्स : द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' (अंग्रेजी में गरुण प्रकाशन से 1 जनवरी, 2018 और हिंदी में 27 मई, 2018 को प्रकाशित) के बाद और 28 अगस्त, 2018 को पुणे पुलिस द्वारा वरवर राव, बर्नोन गोनसाल्वेस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा की गिरफ्तारी और आनंद तेलतुंबड़े, स्टेन स्वामी, के सत्यनारायण के आवास पर की गयी छापेमारी के बाद यह पद संचार माध्यमों द्वारा अधिक प्रचारित-प्रसारित हुआ.


शब्द पद और मुहावरों की निर्मिति जिन कारणों से की जाती है, उधर बहुत कम ध्यान दिया जाता रहा है. वरवर राव क्रांतिकारी लेखक संगठन 'विरसम' के संस्थापक, प्रमुख क्रांतिकारी कवि और आदिवासियों के अधिकार के लिए निरंतर संघर्षरत रहे हैं. बर्नोन गोनसाल्वेस पूर्व प्रोफेसर, लेखक, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक सक्रियतावादी हैं. अरुण फरेरा वकील, मानवाधिकार सक्रियतावादी और हाल में प्रकाशित 'कलर्स ऑफ द केज : ए प्रिजन मेमॉयर' के लेखक के रूप में प्रसिद्ध हैं.


सुधा भारद्वाज प्रमुख ट्रेड यूनियनिस्ट, छत्तीसगढ़ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की महासचिव, वकीलों के एक समूह 'जनहित' की संस्थापक, आइआइटी, कानपुर से उच्च शिक्षा प्राप्त, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर हैं. गौतम नवलखा इपीडब्ल्यू पत्रिका के पूर्व सलाहकार संपादक, लेखक और सक्रियतावादी हैं.


आनंद तेलतुंबड़े देश के प्रमुख दलित चिंतक-विचारक हैं. स्टेन स्वामी आदिवासियों के हकों और अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं और के सत्यनारायण हैदराबाद के अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के संस्कृति अध्ययन विभाग के प्रोफेसर, दलित चिंतक, विद्वान और वरवर राव के दामाद हैं.


इन सबको पुणे पुलिस ने 'अर्बन नक्सल' घोषित किया. प्रमाण के तौर पर उसके पास भीमा कोरेगांव की हिंसा के साथ एक के यहां से प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश का बरामद पत्र था, जिसकी सत्यता की जांच अब होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त को रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देविका जैन, सतीश देशपांडे और माजा दारुवाला की याचिका पर हिरासत में लेने पर रोक लगा दी और सबको घर में ही 'नजरबंद' किये जाने का आदेश दिया. अब 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगी.
सरकार और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों के बीच की झड़प पुरानी है. क्या किसी को भी बिना सप्रमाण यह कहने की छूट है कि वह नक्सली या माओवादी है.


जब तक कोई व्यक्ति हथियारबंद संघर्ष की बात नहीं करता-लिखता, उसे माओवादी या नक्सली नहीं कहा जा सकता. पत्रकार, शोधकर्ता का माओवादियों के पास जाना, उनसे संवाद करना भी उन्हें माओवादी सा नक्सली सिद्ध नहीं करता. अगर कोई मार्क्स, लेनिन, माओ, चारू मजूमदार, स्टालीन, हो ची मिन्ह, चे ग्वेरा आदि की किताबें रखता है, उसे पढ़ता है, तब भी वह माओवादी नहीं है.


नक्सली गतिविधियों में शामिल होना, उसकी नीतियों, कार्यनीतियों का समर्थन और प्रचार-प्रसार ही किसी को 'अर्बन' या 'रूरल' नक्सल बना सकता है. एक लोकतांत्रिक समाज में सभी राजनीतिक विचारधराओं पर विचार-विमर्श और बहस आवश्यक है. 'अर्बन नक्सल' घोषित करने की पूरे देश में व्यापक स्तर पर प्रतिक्रिया हुई और एक ही दिन साठ हजार से अधिक लोगों ने 'मी टू अर्बन नक्सल' अपने को कहा. गिरीश कर्नाड ने गौरी लंकेश की पहली पुण्यतिथि पर विरोध के एक तरीके के तहत 'मी टू अर्बन नक्सल' का बोर्ड शरीर पर डाल रखा था.


अब गौरी लंकेश की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार चार लोगों के वकील ने कर्नाड के साथ अभिनेता प्रकाश राज, बुद्धिजीवी लेखक केएस भगवान, अग्निवेश, उमर खालिद, कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी सबका संबंध माओवादियों से मानकर पुलिस से एक एफआइआर की मांग की है.


सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिस पर कोर्ट ने फटकार लगायी है. अब पुलिस अधिकारी यह कह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और घर में नजरबंदी का आदेश देना गलत है. समझा जा सकता है कि हालात कहां तक पहुंच चुके हैं. दूसरी ओर विवेक अग्निहोत्री 'काबिल युवा मस्तिष्क' से एक सूची बनाने को कह रहे हैं, जो नक्सलियों काे समर्थन करते हैं.


आज सत्ता-व्यवस्था अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं करती है. वह ऐसे लोगों को 'नक्सल' घोषित कर रही है, जो सवाल पूछते हैं. जो गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ते हैं. वे सब सरकार के निशाने पर हैं. अपनी सुरक्षा के लिए सरकारें नये शब्द, पद, मुहावरे गढ़ती हैं.


उनका साथ देने के लिए कई टीवी चैनल्स हैं, कुछ पत्रकार-संपादक भी हैं. 'सत्यमेव जयते' के देश में यह झूठ की जीत कभी नहीं हो सकती. सत्ता-व्यवस्था पर, सरकार की नाकामियों और वादाखिलाफियों पर सवाल खड़े किये जाते रहेंगे. दांते ने कहा था, जो नैतिक संकट के समय तटस्थ है, उसके लिए नरक में सबसे गर्म जगह सुरक्षित है.


https://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/1203724.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close