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न्यूज क्लिपिंग्स् | आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

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published Published on Dec 29, 2023   modified Modified on Dec 29, 2023

मोंगाबे हिंदी, 29 दिसम्बर 

ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल वॉर्मिंग की परिस्थितियों से निपटने में भी कम सक्षम है। नुकसान और क्षति और ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के तरीकों और उनको अपनाने की फंडिंग के मुद्दे पर बहस के दौरान भी यह असमानता काफी अहम होती है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट्स में ग्लोबल साउथ देशों के लिए जलवायु के जो अनुमान हैं, एक स्टडी ने इन अनुमानों में कई अनियमितताओं को रेखांकित किया है। सबसे बड़ी चूक खेती के लिए प्रभावी नीतियों को लागू करने से जुड़े अनुमानों में है। ग्लोबल साउथ के ज्यादातर देशों के पास खुद का राष्ट्रीय या क्षेत्रीय जलवायु आकलन नहीं है और ये देश IPCC की ओर से समय-समय पर जारी होने वाले आकलन से मदद लेते हैं ताकि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने और संबंधित नीतियों को लागू करने की दिशा में कदम उठा सकें।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी IPCC दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक अध्ययन को आधुनिक बनाने के लिए जिम्मेदार है। इस स्टडी में IPCC की सभी 6 आकलन रिपोर्ट (FAR से AR6 तक) की समीक्षा की गई है। इस स्टडी में कहा गया है कि इस आकलन को राष्ट्रीय स्तर या क्षेत्रीय स्तर पर स्वीकार करने में कई खामिया हैं। रिसर्च पेपर में खासकर दो परिस्थितियों को रेखांकित किया गया है- साउथ एशिया में वार्षिक तापमान और बारिश के अनुमान। ये दोनों जलवायु कारक नीति निर्धारण में अहम भूमिका निभाते हैं।

बेहतर नीतियों के लिए जरूरी हैं सटीक आकलन
सभी रिपोर्ट्स में यह अनुमान है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सतह की हवा का तापमान हीटवेव और भीषण बारिश जैसी घटनाओं के साथ बढ़ेगा। कई देशों के शोधार्थियों की इस स्टडी में पाया गया है कि तापमान में बदलाव के जो अनुमान हैं उनमें व्यापक तौर पर अनियमितता है और सभी रिपोर्ट में स्थान के हिसाब से वितरण में और भी ज्यादा खामियां हैं। उदाहरण के लिए, रिपोर्ट AR5 में तापमान में परिवर्तन का अनुमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 6 डिग्री सेल्सियस तक का है। यह बदलाव IPCC की रिपोर्ट्स में बताए गए अलग-अलग उत्सर्जन की परिस्थितियों के मुताबिक है।

पूरी रपट- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 29 दिसम्बर https://hindi.mongabay.com/2023/12/29/india-needs-customised-climate-projections-rather-than-ipcc-reports-study/
 

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