Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | आम आदमी को नहीं मिली राहत----भरत झुनझुनवाला

आम आदमी को नहीं मिली राहत----भरत झुनझुनवाला

Share this article Share this article
published Published on Jan 5, 2016   modified Modified on Jan 5, 2016
एनडीए सरकार का दूसरा वर्ष समाप्त होने को है। यूं तो सरकार की दिशा निर्धारित हो चुकी है। फिर भी नये वर्ष में दिशा परिवर्तन की जरूरत दिखाई पड़ती है। एनडीए के पहले कार्यकाल का विवेचन करने के पहले वर्तमान चुनौती कुछ स्पष्ट हो जाती है। वाजपेयी सरकार ने कम से कम चार महान उपलब्धियां हासिल की थीं। भारत को परमाणु शक्ति बनाया था, कारगिल युद्ध को जीता था, इनफारमेशन टेक्नाेलॉजी में भारत की पहल की नीव रखी थी और स्वर्णिम चतुर्भुज की महत्वाकांक्षी योजना को मूर्त रूप दिया था। तिस पर एनडीए 2004 में हार गई चूंकि इन योजनाओ में आम आदमी के लिए कुछ नहीं था। सोनिया गांधी ने आम आदमी का मुद्दा उठाया और एनडीए को शिकस्त दी थी।

2009 में यूपीए ने पुनः चुनाव जीते। इस जीत का श्रेय किसानों की ऋण माफी तथा मनरेगा को जाता है। ये दोनों कदम स्पष्ट रूप से विकास के एजेन्डे के विपरीत थे। ऋण माफी से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ा और हाइवे आदि में निवेश में कटौती हुई। मनरेगा से आम आदमी की दिहाड़ी में वृद्धि हुई। शहरी उद्यमियों तथा बड़े किसानों के लिए श्रमिक महंगे हो गए। फिर भी यूपीए के शासन काल में हमारी विकास दर अच्छी रही। कारण कि ऋण माफी तथा मनरेगा ने आम आदमी के हाथ में क्रय शक्ति को बढ़ाया, बाजार में मांग बढ़ी और विकास हुआ। जैसे परहेज करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है, उसी प्रकार अमीरों द्वारा ऊंचे लाभ से परहेज करने से अमीरों की ही आय में वृद्धि हुई थी।

 


पिछले वर्ष लोकसभा चुनावों में एनडीए ने पुनः विकास के सपने को परोसा था। अच्छे शासन, काले धन की वापसी, रोजगार सृजन आदि वायदों पर भरोसा करके जनता ने एनडीए को सत्ता पर बैठाया। लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों में यह सपना चकनाचूर हो गया है। शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार में निश्चित रूप से कुछ कमी आई है। मंत्रियों की छवि अच्छी है। परन्तु जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार में कोई अंतर नहीं पड़ा है चूंकि सरकार को पीएमओ के आईएएस अधिकारी चला रहे हैं। काले धन की वापसी तो दूर, धन के बाहर जाने की गति में तेजी आई है। प्रधानमंत्री ने स्वयं आश्चर्य जताया है कि भारतीय उद्यमी देश में निवेश करने के स्थान पर विदेशों में निवेश कर रहे हैं। यानी देश की पूंजी बाहर जा रही है। मध्य वर्ग के रोजगार सृजन में कुछ गति अवश्य आई है परन्तु आम आदमी की दिहाड़ी अपनी जगह टिकी हुई है। बल्कि महंगाई की मार से आम आदमी की क्रय शक्ति में ह्रास हुआ है।

 

 


एनडीए द्वारा जिन कदमों को जनहितकारी बताया जा रहा है, वे भी वास्तव में जनविरोधी हैं। जन-धन योजना के माध्यम से आम आदमी की बचत को बड़े उद्यमियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। मेरे मित्र के घर में काम करने वाली सहायिका के पास अनएथराइज्ड कालोनी में 80 गज का प्लाट था, जिसे वह गिरवी रखकर लोन लेना चाहती थी। सरकारी बैंक ने साफ इनकार कर दिया। इससे जाहिर होता है कि जन-धन योजना के अंतर्गत आम आदमी को लोन कम ही मिलेंगे। गुड्स एंड सर्विस टैक्स के माध्यम से छोटे उद्योगों को वर्तमान मंे मिलने वाली टैक्स में छूट को समाप्त करने की योजना है। कहावत है पूत के पैर पालने में दिखाई देते हैं। पिछले डेढ़ साल में एनडीए की मूल जन विरोधी दिशा स्पष्ट दिखने लगी है।
2014 में सत्तारूढ़ होने के बाद दिल्ली में आप पार्टी ने एनडीए को अप्रत्याशित हार दी। बिहार में नीतीश-लालू गठबंधन ने एनडीए को आईना दिखाया था। एनडीए के नेतृत्व द्वारा बिहार की हार को नीतिश-लालू के अनैतिक गठबन्धन पर डाला जा रहा है। परन्तु इस गठबन्धन की सफलता के पीछे एनडीए के आम आदमी विरोधी चरित्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि एनडीए द्वारा वास्तव में जनहितकारी नीतियों को लागू किया जा रहा होता तो दिल्ली और बिहार का आम आदमी एनडीए के विरोध में वोट नहीं डालता। ऊपरी सतह पर आप तथा महागठबंधन की जीत भ्रष्टाचार और जाति समीकरण के कारण है परन्तु इन जीतों का असल कारण एनडीए की जनविरोधी नीतियां हैं। एनडीए ने न 2004 की हार से सबक लिया था और न ही दिल्ली तथा बिहार की हार से सबक लेता दिख रही है।

 

 


चुनाव के बाद शेयर मार्किट को संभालने के लिए एनडीए सरकार ने तमाम नए क्षेत्रों में विदेशी निवेश की छूट को मंजूरी दे दी। यूपीए द्वारा स्वदेशी तथा विदेशी बड़ी कम्पनियों के इंजन के पीछे भारत की ट्रेन को चलाने का मंत्र लागू किया गया था। इन बड़ी कम्पनियों द्वारा आम आदमी के रोजगार का तेजी से भक्षण किया जा रहा है जैसे बड़ी टेक्सटाइल कम्पनी में लगे एक आटोमेटिक लूम से सैकड़ों छोटे पावरलूम का धन्धा चौपट हो जाता है। एनडीए ने यूपीए के इस अप्रिय महामंत्र को और मुस्तैदी से लागू किया है। जिस भोजन के कारण रोग उत्पन्न हुआ था, उसी भोजन को अब बड़ी मात्रा मे परोसा जा रहा है। मेरे एक मित्र के नवजात शिशु को ठंड लग गई। डाक्टरों ने एन्टीबायोटिक दवा दी। बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो डाक्टरों ने और स्ट्रांग एन्टीबायोटिक दवा दी। बच्चे की मृत्यु हो गई। इसी प्रकार एनडीए सरकार विदेशी निवेश से उत्पन्न हुए रोग का उपचार विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर कर रही है। सरकार की पालिसी बड़े उद्योगों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्धारित की जा रही हैं। इन लोगों की गाड़ी को प्रधानमंत्री पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से चला रहे हैं। मुसाफिर को जाना मुम्बई है, प्रधानमंत्री उसे ईमानदारी से कोलकाता ले जा रहे हैं। जनता को चाहिए रोजगार। सरकार उसके रोजगार का भक्षण ईमानदारी से कर रही है। मध्य वर्ग को लाभ अवश्य हो रहा है परन्तु आम आदमी को इससे कोई लेना-देना नहीं है।

 

 


एनडीए की सोच है कि ऊपरी वर्ग के विकास से कुछ आय ट्रिकल करके गरीब तक भी पहुंचेगी। इस सोच में आंशिक सच है। जैसे मिडिल क्लास द्वारा प्रापर्टी की खरीद करने से गरीब को कंस्ट्रक्शन वर्कर का रोजगार मिलता है। परन्तु अपने देश में गरीब श्रमिकों की संख्या इतनी अधिक है कि इस ट्रिकल डाउन से आम आदमी को राहत कम ही मिलेगी। 2016 में एनडीए के सामने चुनौती है कि पिछले डेढ़ साल की जन विरोधी नीतियों में बदलाव करके वास्तव में आम आदमी को राहत देने की नीति लागू करे।

 


http://dainiktribuneonline.com/2016/01/%E0%A4%86%E0%A4%AE-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%B0%E0


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close