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न्यूज क्लिपिंग्स् | आरटीआई के नियमों में होगा अभी और बदलाव

आरटीआई के नियमों में होगा अभी और बदलाव

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published Published on Dec 15, 2010   modified Modified on Dec 15, 2010

पिलखुवा, संवाद सहयोगी : केंद्र सरकार द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के नियमों में होने वाले संभावित बदलावों को लेकर स्थानीय लोग कतई संतुष्ट नहीं हैं। विशेषकर इस अधिनियम का प्रयोग करने वाले तो कुछ ज्यादा ही चिंतित हैं।

कार्मिक मंत्रालय के लोक शिकायत विभाग द्वारा जारी किए गए इस बदलाव में अब आरटीआई के तहत किसी भी विभाग में जवाब मांगने के लिए किए जाने वाले सवाल को 250 शब्दों की सीमा में बांधने की तैयारी है। 250 शब्दों से अधिक वाले सवालों पर विचार नहीं किया जाएगा। सरकार मानती है कि अधिक लंबे सवालों से विषय में भटकाव हो जाता है तथा सवाल अनेक विषयों पर हो जाते हैं। इसके अलावा इसमें शुल्क और लागत नियंत्रण पर कुछ परिवर्तन करने का प्रस्ताव है। प्रथम अपील में स्वयं आवेदक या उसके प्रतिनिधि की उपस्थिति अनिवार्य करने का प्रस्ताव भी है अन्यथा अपील पर निर्णय नहीं दिया जाएगा। वहीं डाक शुल्क भी अब आवेदक से वसूला जाएगा।

आरटीआई कार्यकर्ता रतनलाल प्रेमी का आरोप है कि सरकार इन बदलाव के जरिए इस कानून को कमजोर करना चाहती है। सरकार नियम और प्रतिबंध लगा कर प्रक्रिया को आम आदमी के हाथों से निकालने का षड्यंत्र कर रही है।

प्रो. मधुसूदन त्रिपाठी का कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित तमाम बदलावों पर नजर डालने पर सरकार की मंशा को समझा जा सकता है। यह बदलाव आम जनता के हित में नहीं है। सरकार को इन प्रस्तावों का विश्लेषण करना चाहिए तथा ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे आरटीआई का आम आदमी अधिकाधिक उपयोग कर लाभान्वित हो सके।

अमित गर्ग का कहना है कि सरकार आरटीआई के शिकंजे में सरकारी मशीनरी को बाहर लाने का यतन कर रही है। सरकार की मंशा पूरी तरह से अनुचित है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_7031504.html


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