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न्यूज क्लिपिंग्स् | आहार में छुपा है वनवासियों की तंदुरुस्ती का राज

आहार में छुपा है वनवासियों की तंदुरुस्ती का राज

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published Published on May 30, 2010   modified Modified on May 30, 2010
पूर्णिया। खेल के मैदान से लेकर सुरक्षा व्यवस्था में अपनी दमदार उपस्थिति दिखाने वाले वनवासियों की तंदुरुस्ती का राज उनके आहार में छुपा हुआ है। जंगली वनस्पति के सेवन के कारण इनकी शारीरिक क्षमता दूसरों की अपेक्षा अधिक होती है। जंगलों और जलाशयों में पाये जाने वाले सरौंची, कोकरो, पतंगी, कटैया और करमीलत्ती, सहजन आदि का साग इनका पसंदीदा है। साग के इन प्रभेदों में आयरन, कैल्सियम और वीटा केरोटीन की मात्रा प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। ट्रायबल न्यूट्रीशन पर पूर्णिया महाविद्यालय के प्राचार्य डा. टीभीआरके राव द्वारा किये गये शोध में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है। इस संबंध में डा. राव ने कहा कि मैसूर से प्रकाशित होने वाले जार्नल आफ फूड साइंस एण्ड टेक्नोलाजी में इस शोध पत्र का प्रकाशन हो चुका है। उन्होंने कहा कि वनवासी पिछड़ेपन की वजह से भी जंगलों व जलाशयों में पाये जाने वाले साग को खानपान और पसंद के आहार में शामिल किये हुए हैं। लेकिन अंजाने में ही सही, उनकी पसंद बेहतर स्वास्थ्य के नजरिये से बाजार में बिकने वाले फास्ट फूड और तले-भुने भोजन से बेहतर जरुर है। डा. राव बताते हैं कि कटैया साग में सबसे अधिक कैल्सियम 422.3 मिलीग्राम प्रति एक सौ ग्राम साग में पाया जाता है। सरौंची साग भी कैल्सियम के मामले में उपयोगी है। इसमें प्रति एक सौ ग्राम साग में 209.3 मिलीग्राम कैल्सियम मौजूद रहता है। कोकरो, करमी लत्ती और पतंगी साग में कैल्सियम की मात्रा कम है। आयरन की प्रचूरता के मामले में सरौंची साग को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें प्रति एक सौ ग्राम साग में 0.11 मिलीग्राम आयरन पाया जाता है। जलाशयों में पायी जाने वाली कर्मी लत्ती को साग के रुप में भोजन में शामिल कर वनवासी विटा केरोटीन को आहार के जरिये प्राप्त कर लेते हैं। इसमें 5940 माइक्रोग्राम विटा केरोटीन प्रति एक सौ ग्राम साग में प्राप्त होता हे। कटैया व पतंगी में भी विटा केरोटीन की प्रचूर मात्रा पायी जाती है। विटामिन सी की प्राप्ति के लिये साग बहुत अधिक बेहतर स्त्रोत नहीं होता। फिर भी प्रति एक सौ ग्राम कटैया साग में 26.7 मिलीग्राम और इतने ही करमीलत्ती के साग में 23 मिलीग्राम विटामिन सी रहता है। डा. राव बताते हैं कि साधारण कार्य करने वाले पुरुषों को प्रतिदिन के हिसाब से 40 ग्राम व महिलाओं को एक सौ ग्राम खाना चाहिये। वे बताते हैं कि जिले के झील टोला, धमदाहा, श्रीनगर आदि क्षेत्रों में वनवासी की बस्तियों में शोध के दौरान यह भी पाया गया कि वनवासी सहजन का साग भी खूब खाते हैं। जो शरीर में विटामिन सी की मात्रा को बनाये रखने का काम करता है। यही कारण है जंगली वनस्पति के उपयोग के कारण उनकी सेहत दूसरों के मुकाबले अधिक अच्छी रहती है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6450126_1.html


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