Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | इंजीनियरिंग की फीस पांच गायें - ।।अजय कुमार सिंह।।

इंजीनियरिंग की फीस पांच गायें - ।।अजय कुमार सिंह।।

Share this article Share this article
published Published on Oct 8, 2012   modified Modified on Oct 8, 2012

बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल स्थित अरियांव गांव में वर्ष 2008 में विद्या दान सोसायटी की स्थापना किसानों के सहयोग से सूर्य कुमार सिंह ने की. इस सोसायटी से पहले प्रोजेक्ट के रूप में गांव में लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया. दूसरे प्रोजेक्ट के रूप में गांव में हेल्थ केयर सेंटर की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे यह सोसायटी विकास के मार्ग पर आगे बढ़ता गया और विद्या दान इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट की शुरुआत 2010 में हुई. एआइसीटीइ से स्वीकृति मिलने के बाद इसकी शुरुआत हुई. बिहार सरकार द्वारा संचालित आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से यह पहला इंस्टीच्यूट है, जो संबद्ध हुआ है.

किसानों का रहा बड़ा योगदान

अरियांव गांव के किसान देश और राज्य के विकास के प्रति किस कदर प्रयत्नशील हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण विद्या दान की स्थापना है. करीब तीस दर्जन किसानों ने मिलकर इस संस्थान को बीस एकड़ जमीन दान में दी है. साथ ही कई किसानों ने संस्थान का भवन बनाने में आर्थिक सहयोग भी दिया है. संभवत: भारत का यह एक अनूठा प्रोजेक्ट है. इसमें वैज्ञानिक और किसान साथ बैठ कर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने में प्रयत्नशील हैं.
चार साल में पांच गायें
संस्थान की स्थापना में जिन लोगों ने सहयोग दिया उनके भविष्य को साकार करने में विद्या दान इंस्टीच्यूट ने एक नायाब फॉमरूला दिया है. संस्थान ने किसान के बच्चों के लिए बीस सीटें आरक्षित की हैं. इन पर किसान अपने बच्चों का नामांकन करा कर उन्हें इंजीनियर बनाने का सपना पूरा कर सकते हैं. चार साल के बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की फीस के रूप में किसान पांच गायें और उनके बछड़ों को देकर अपने बच्चों को इंजीनियर बना सकते हैं. पहले साल में दो गायें और दो बाछी देनी है. उसके बाद दूसरे साल में भी दो गायें और दो बाछी किसानों को फीस के रूप में देनी है. तीसरे साल में एक गाय और एक बाछी ही संस्थान ने लेने का फैसला किया है. इसमें शर्त यह है कि गाय चाहे किसी भी नस्ल की हो, लेकिन, दुधारू होनी चाहिए.
दूध से होगी फीस की भरपाई
फीस के रूप में मिलनेवालीं गायों के दूध से संस्थान फीस की भरपाई करेगा. सोसायटी के प्रवक्ता का कहना है कि दूध उत्पादन के साथ-साथ डेयरी प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए सोसायटी की संस्था संघतिया प्रोजेक्ट को गायें सौंपी जायेंगी. संस्थान के अध्यक्ष सूर्य कुमार सिंह बताते हैं कि फीस मद में गाय लेना संस्थान के लिए फायदेमंद है. उन्होंने बताया कि एक गाय पूरे वर्ष में आठ माह तक दोनों वक्त कम-से-कम दस लीटर दूध देती है. दो गाय से साल में 48 सौ लीटर दूध का उत्पादन होता है. यदि इनमें से 18 सौ लीटर गायों के ऊपर खर्च किया जाता है. तो शेष तीन हजार लीटर को यदि बीस रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जाय, तो पहले साल मिले पशु धन से संस्थान को साठ हजार रुपये प्राप्त होंगे. दूसरे वर्ष मिली गायों व पिछले साल मिली बाछी से दूध का उत्पादन ढाई गुना बढ़ जायेगा. उन्होंने बताया कि चार सालों में इंजीनियरिंग की फीस लगभग सवा तीन लाख रुपये होती है. फीस की रकम दूध की बिक्री से आ जायेगी. इस प्रकार किसान संस्थान को गोदान देकर अपने बच्चों को इंजीनियर बनाने का सपना पूरा कर सकते हैं.
गोदान प्रोजेक्ट के तहत संस्थान में अभी तक तीन छात्रों ने नामांकन लिया है. ब्रrापुर प्रखंड के नैनीजोर निवासी श्रीकृष्णा ठाकुर ने गोदान देकर अपने बेटे परीक्षित ठाकुर का नामांकन कराया है. अरियांव के दिलेश्वर सिंह ने अपने बेटे शंकर जी सिंह का नामांकन कराया है. अरियांव के विजय कुमार सिंह ने अपने बेटे आकाश कुमार सिंह का भी नामांकन कराया. विजय कुमार सिंह कहते हैं कि किसानों के पास धन के नाम पर पशु धन और अनाज ही रहता है. इस स्कीम के कारण किसान भी अपने बच्चों को इंजीनियर बना सकते हैं. परीक्षित का कहना है कि इस स्कीम से उनका इंजीनियर बनने का सपना साकार होगा. शंकर जी सिंह भी इस स्कीम को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि पहले उन्हें भरोसा ही नहीं हुआ. लेकिन, जब नामांकन हुआ, तो ऐसा लगा जैसे उनका सपना साकार हो उठा है.
संसाधनों से संपन्न
कम समय में ही आम लोगों के सहयोग से विद्या दान इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी संसाधनों के मामलों में आत्मनिर्भर हो चुका है. बीचोबीच बने भवन में छात्रों की कक्षाएं चलती हैं. दूसरे तल्ले पर कंप्यूटर का क्लास चलता है. इसमें एक साथ 60 छात्र बैठ कर शिक्षा ग्रहण करते हैं. तीसरे तल्ले पर 25 लाख की लागत से पुस्तकालय का निर्माण हुआ है. जहां छात्र विभिन्न विषयों के बारे में अध्ययन कर सकते हैं. प्रशासनिक भवन में हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां बैठक से लेकर छात्र-छात्रओं से बातचीत की जाती है. संस्थान में छात्रवास की भी व्यवस्था हो चुकी है.
कैंटीन की है व्यवस्था
संस्थान के दक्षिणी भाग में कैंटीन की व्यवस्था है. यहां, छात्रों को चाय, नाश्ता से लेकर हर तरह का खाद्य पदार्थ उपलब्ध है. कैंटीन में छात्रों की हमेशा भीड़ लगी रहती है.
मेडिकल की भी व्यवस्था
संस्थान के दक्षिणी भाग में मेडिकल सुविधा की व्यवस्था है. यहां छात्रों के स्वास्थ्य की जांच के साथ-साथ गांव के लोगों के भी स्वास्थ्य की जांच होती है.
संस्थान ने अपने दूसरे प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत की थी. मेडिकल की शुरुआत होने से यहां के लोगों को लाभ मिल रहा है.

विद्या दान सोसायटी के अध्यक्ष व भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक सूर्य कुमार सिंह का परिचय

नाम-सूर्य कुमार सिंह
उम्र-50 वर्ष
योग्यता-इंजीनियरिंग इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में सिंदरी से 1986 में पास आउट
पोस्ट-ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन बिजनेस मैनेजमेंट एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर
कार्य अनुभव-
1.1986 से 97 वैज्ञानिक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में कार्यरत
2. 1997 से 2006 तक मल्टीनेशनल कंपनी में बेंगलुरु, सिंगापुर, यूरोप व अमेरिका में कार्यरत.
3. 2008 में सॉफ्टवेयर कंपनी में सीइओ
संस्थान के निर्माण में किसानों की समर्पण की भावना से मेरे दिमाग में गोदान स्कीम की बात आयी. भवन निर्माण के दौरान जब पैसा घटा, तो एक किसान ने अपनी गाय बेचकर 25 हजार रुपये संस्थान को दान स्वरूप दिये. उसी वक्त यह बात दिमाग में आयी कि किसान के बच्चे कैसे आगे बढ़ेंगे. इनका इस संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है. इसी विचार से पशु धन की योजना बनायी गयी. पशु धन के माध्यम से संस्थान डेयरी प्रोजेक्ट भी शुरू करेगा. इसमें गांव के कई लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे.
सूर्य कुमार सिंह, अध्यक्ष, विद्या दान संस्थान


http://prabhatkhabar.com/node/214762?page=show


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close