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न्यूज क्लिपिंग्स् | इरोम के संघर्ष को बयां करती ‘आयरन इरोम:टू जर्नीज

इरोम के संघर्ष को बयां करती ‘आयरन इरोम:टू जर्नीज

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published Published on May 22, 2013   modified Modified on May 22, 2013
नयी दिल्ली : बालीवुड अभिनेत्री शर्मीला टैगोर का मानना है कि सैन्य बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के विरोध में करीब 12 साल से भूख हड़ताल कर रही मणिपुरी सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मीला की कहानी ‘बहुत मर्मस्पर्शी' है. इस अभिनेत्री ने कल देर शाम यहां अक्षरा थिएटर में मिनी वैद्य द्वारा लिखित पुस्तक ‘आयरन इरोम: टू जर्नीज' पर परिचर्चा में भाग लिया. इस पुस्तक में इरोम शर्मीला की एक लंबी कविता शामिल है.

शर्मीला टैगोर ने कहा, ‘‘उनकी (इरोम) कहानी बहुत मर्मस्पर्शी है. वह उनके द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया का चेहरा हैं. उनका प्रदर्शन का तरीका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अहिंसक है. मैं शर्मिंदा हूं कि मुङो पांच साल पहले उनके बारे में पता चला. हमें उनके संघर्ष और इसके कारण के बारे में लोगों को जानकारी देने की आवश्यकता है.''

यह परिचर्चा संयोग से अफस्पा के 55 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुई. अफस्पा 22 मई 1958 को लगाया गया था. इरोम शर्मीला अफस्पा के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही हैं और अधिकारी उन्हें रबर पाइप की मदद से नाक के जरिये विटामिन, खनिज, प्रोटीन सहित अन्य सामग्री देने पर मजबूर हैं. लेखिका एवं वृतचित्र निर्माता मिनी वैद्य ने कहा कि उन्होंने इस सामाजिक कार्यकर्ता के संघर्ष के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए यह पुस्तक लिखी है.

मिनी वैद्य ने कहा, ‘‘मीडिया इरोम शर्मीला के संघर्ष पर बहुत कम ध्यान दे रहा है और ‘आयरन इरोम' एक ऐसी पुस्तक है जो मैंने उनके लिए लिखी है जो इरोम शर्मीला को नहीं जानते हैं.''मणिपुर में महिलाओं ने कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया है जिसमें वर्ष 1904 का नूपी लाल का वह आंदोलन भी शामिल है जिसके कारण ब्रिटिश बंधुआ मजदूरी बंद करने पर मजबूर हुए थे. महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ मणिपुर में महिला संगठन काफी सक्रिय हैं और मिनी का कहना है कि वह इन महिलाओं पर एक पुस्तक लिखना चाहती हैं जो इरोम शर्मीला के संघर्ष की नेतृत्वकर्ता बनी हुई हैं.

शर्मीला तक पहुंचने के लिए लंबे इंतजार के बाद लेखिका ने जेल में उनसे मुलाकात की थी और इस मुलाकात के बाद मिनी ने कहा कि यह सामाजिक कार्यकर्ता एक शानदार महिला है और वह इस कार्यकर्ता के अपने लक्ष्य को पाने के साहस और प्रतिबद्धता से काफी प्रभावित हैं. मिनी इससे पहले छत्तीसगढ़ के डाक्टर सह सामाजिक कार्यकर्ता बिनायक सेन पर भी एक पुस्तक लिख चुकी हैं.


http://www.prabhatkhabar.com/node/296578


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