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न्यूज क्लिपिंग्स् | एक ऐसा कोर्ट जहां सिर्फ महिलाएं आएंगी नजर, सुना जाएगा सिर्फ 'आधी आबादी' का मामला

एक ऐसा कोर्ट जहां सिर्फ महिलाएं आएंगी नजर, सुना जाएगा सिर्फ 'आधी आबादी' का मामला

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published Published on Feb 15, 2013   modified Modified on Feb 15, 2013
रायपुर। दिल्ली दुष्कर्म कांड के बाद बदली परिस्थिति में महिलाओं से जुड़े अपराधों और प्रताड़ना के मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए न्याय पालिका ने बड़ा फैसला किया है। 
 
रायपुर जिला अदालत में एक कोर्ट को महिलाओं के लिए अधिसूचित कर दिया गया है। इस कोर्ट में जज भी महिला ही होगी। महिलाओं के मामलों की संवेदनशीलता व अपराध की प्रकृति को देखते हुए महिलाओं के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का फैसला लिया गया है। फिलहाल, इस कोर्ट के दायरे में आईपीसी की दो धाराओं को लिया गया है।
 
जिले में अब आईपीसी की धारा 354 व 509 के मामलों की सुनवाई न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी स्मिता रत्नावत के कोर्ट में होगी। इस कोर्ट को चालान पेश होने से लेकर उसकी सुनवाई व आदेश पारित करने तक सभी प्रक्रियाओं को सुनने का पूरा अधिकार होगा।
 
अलग कोर्ट स्थापित करने का आदेश मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शैलेष कुमार केतारप ने जारी किया। 
 
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में महिलाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट को लेकर अब तक संशोधन नहीं हो सका है। इसलिए कानून में इसका प्रावधान भी नहीं है।
 
राजधानी में स्पेशल कोर्ट की स्थापना मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए की। इससे महिलाओं से छेड़छाड़ या आपराधिक मनोवृत्ति से महिला पर बल प्रयोग करने संबंधी मामलों की त्वरित सुनवाई हो सकेगी। गौरतलब है कि, प. बंगाल के मालदा में हाल ही इस तरह की एक अदालत शुरू की गई है।
 
अन्य अलग कोर्ट पहले से
 
महिलाओं से संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट है। तलाक, भरण-पोषण, दांपत्य अधिकारों की पुनस्र्थापना आदि मामलों के लिए परिवार न्यायालय है। रायपुर में तीन परिवार न्यायालय हैं। इसी तरह दुष्कर्म से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए भी अलग कोर्ट है। श्रीमती प्रज्ञा पचौरी स्पेशल जज हैं।
 
जिले में करीब 300 मामले
 
धारा-354 और 509 के तहत स्पेशल कोर्ट में लगभग 300 मामलों की सुनवाई होगी। इसके अलावा शहर व जिले के किसी भी थाना क्षेत्र में अपराध होने पर सीधे स्पेशल कोर्ट में ही आरोपी को पेश किया जाएगा। इसी कोर्ट में चालान पेश होगा और सुनवाई भी।
 
धारा-354 में दो साल की सजा और धारा 509 में एक साल की सजा का प्रावधान है।महिलाओं से संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट है। तलाक, भरण-पोषण, दांपत्य अधिकारों की पुनस्र्थापना आदि मामलों के लिए परिवार न्यायालय है। रायपुर में तीन परिवार न्यायालय हैं। इसी तरह दुष्कर्म से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए भी अलग कोर्ट है। श्रीमती प्रज्ञा पचौरी स्पेशल जज हैं।
 
जिले में करीब 300 मामले
 
धारा-354 और 509 के तहत स्पेशल कोर्ट में लगभग 300 मामलों की सुनवाई होगी। इसके अलावा शहर व जिले के किसी भी थाना क्षेत्र में अपराध होने पर सीधे स्पेशल कोर्ट में ही आरोपी को पेश किया जाएगा। इसी कोर्ट में चालान पेश होगा और सुनवाई भी। धारा-354 में दो साल की सजा और धारा 509 में एक साल की सजा का प्रावधान है।
 
दायरे में अभी दो धाराएं
 
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर स्पेशल कोर्ट बनाई गई है। धारा-354 और 509 के मामलों की सुनवाई न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी स्मिता रत्नावत के न्यायालय में होगी।
-श्लोक श्रीवास्तव, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी
 
तेज होगी सुनवाई
 
महिलाओं पर बढ़ते अपराध को देखते हुए यह काफी महत्वपूर्ण है। इससे मामलों की शीघ्र सुनवाई होगी।ञ्जञ्ज 
-हितेंद्र तिवारी, अधिवक्ता

http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-good-news-court-made-------just-for-women-4180713-NOR.html


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