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न्यूज क्लिपिंग्स् | एमपी में ज्यादा बारिश होने से तिल की आधी फसल खराब- धर्मेंद्र सिंह भदौरिया

एमपी में ज्यादा बारिश होने से तिल की आधी फसल खराब- धर्मेंद्र सिंह भदौरिया

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published Published on Oct 11, 2013   modified Modified on Oct 11, 2013

उत्पादकता - प्रति हैक्टेयर पैदावार 12-14 क्विंटल से घटकर 8-10 क्विंटल

तेजी का आधार
मध्य प्रदेश की मंडियों में तिल की छिटपुट आवक शुरू
मांग बनी रहने और फसल खराब होने से भाव में तेजी
मंडियों में भाव 12200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास
तिल का तेल बिक रहा है 13,800-17,300 रुपये प्रति क्विंटल
मध्य प्रदेश में दो लाख हैक्टेयर में हुई थी तिल की बुवाई

नई उपज आने पर भी तिल का भाव पिछले साल से 50 फीसदी ज्यादा

मध्य प्रदेश में अत्यधिक बारिश होने के कारण तिल की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। तिल की फसल करीब 50 से 70 फीसदी तक खराब होने का अनुमान है। इस वजह से तिल के भाव करीब 50 फीसदी तक ऊंचे चल रहे हैं। तिल की क्वालिटी भी पिछले वर्ष के मुकाबले हल्की ही है। तिल की तेजी का असर इसके तेल पर भी पड़ रहा है। तिल तेल महंगे खाद्य तेलों में गिना जाता है।

देश में तिल का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में से एक ग्वालियर-चंबल संभाग में इसकी फसल प्रभावित होने से भावों में तेजी आ रही है। वर्तमान में मंडियों में नयी तिल की छिटपुट आवक शुरू हो गई है। मांग बनी रहने के कारण इसके भावों में और भी तेजी की संभावना है। वहीं, दूसरी ओर तिल के तेल के भाव में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

वर्तमान में तेल का भाव 13,800 से 17,300 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। मध्य प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के दौरान दो लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में तिल की बुआई हुई थी। सामान्यतौर पर एक हैक्टेयर क्षेत्र में 12 से 14 क्विंटल तिल का उत्पादन होता है जबकि इस वर्ष यह उत्पादन करीब 8 से 10 क्विंटल ही रहने का अनुमान है।

प्रदेश में तिल की फसल प्रमुख रूप से ग्वालियर-चंबल संभाग के अतिरिक्त राजगढ़-ब्यावरा और थोड़ी मात्रा में नीमच-मंदसौर में होती है।

भिंड जिला स्थित अकोड़ा गांव के किसान भगवान सिंह भदौरिया ने कहा कि इस बार बारिश अधिक होने के कारण तिल की फसल प्रभावित हुई है। जहां एक ओर खेतों में उपज कम निकल रही है, वहीं दूसरी ओर तिल का रंग सफेद न होकर थोड़ा सा पीला है। अच्छी क्वालिटी का तिल पूरी तरह सफेद होता है।

एक कारोबारी रविंद्र कुशवाह ने कहा कि पिछले वर्ष इस सीजन में तिल का भाव 7000 से 7500 रुपये क्विंटल था जबकि इस वर्ष यह भाव 10000 प्रति क्विंटल के ऊपर है। दूसरी ओर ग्वालियर के एक अन्य थोक कारोबारी नितिन गुप्ता ने कहा कि अभी मंडियों में पांच से 10 बोरी तिल की आवक हो रही है।

बारिश के कारण फसल देरी से आ रही है। करीब 50 से 70 फीसदी तक फसल खराब हो गई है इसके कारण तिल के भावों में तेजी का माहौल है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में तिल के भावों में और भी अधिक तेजी आ सकती है। यहां मंगलवार को तिल 11700 रुपये क्विंटल था, जबकि बुधवार को भाव बढ़कर 12200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।

नीमच के व्यापारी पारस गोयल ने कहा कि तिल के भाव इस वर्ष ऊंचे ही रहेंगे। तिल की मांग स्थानीय बाजारों के अतिरिक्त निर्यात के लिए भी बनी हुई है।


http://business.bhaskar.com/article/BIZ-half-of-the-sesame-crop-damage-and-excessive-rains-in-mp-4399390-NOR.html


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